US Vs China Trade War: टैक्स बढ़ाने पर भड़का ड्रैगन! ट्रंप के 'ट्रेड वार' पर चीन ने अमेरिका को दी चेतावनी, कोई भी नहीं जीतेगा ये जंग

चीन ने मंगलवार को चेतावनी दी कि "कोई भी व्यापार युद्ध नहीं जीतेगा", यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन और अन्य देशों से आयातित सामानों पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा के बाद आया.

चीन ने मंगलवार को चेतावनी दी कि "कोई भी व्यापार युद्ध नहीं जीतेगा", यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन और अन्य देशों से आयातित सामानों पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा के बाद आया. ट्रंप ने यह कदम अवैध नशीले पदार्थों की तस्करी और आप्रवासन के मुद्दों के संदर्भ में उठाने की बात की थी.

चीन के अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयू ने एएफपी को भेजे गए एक ईमेल में कहा, "चीन का मानना है कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग आपसी लाभकारी है." उनका यह बयान ट्रंप के आरोपों और व्यापार युद्ध की धमकी के जवाब में था.

सोमवार को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "ट्रुथ सोशल" पर कई पोस्ट किए, जिसमें उन्होंने अमेरिका के सबसे बड़े व्यापार साझेदारों पर शुल्क लगाने की योजना का एलान किया. उन्होंने विशेष रूप से चीन को 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात की, जिसे वह फेंटनाइल तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता के रूप में देख रहे थे.

ट्रंप के बयान के बाद, जब चीन के विदेश मंत्रालय से पूछा गया कि क्या बीजिंग ने ट्रंप की टीम से बातचीत करने की कोशिश की है, तो मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "हम संवाद और संपर्क बनाए रखने के लिए हमेशा तैयार हैं."

ट्रंप का यह कदम उनके आर्थिक एजेंडे का अहम हिस्सा है, जिसमें वह अपने अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर शुल्क लगाने की बात कर चुके थे. अमेरिका लंबे समय से यह आरोप लगाता आया है कि चीन फेंटनाइल तस्करी में मदद कर रहा है, जो अमेरिका में कई समुदायों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.

चीन के दूतावास के प्रवक्ता लियू ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि बीजिंग इस तस्करी को रोकने के लिए कई कदम उठा रहा है. उन्होंने कहा, "ये सभी तथ्य यह साबित करते हैं कि चीन जानबूझकर फेंटनाइल के प्रीकर्सर्स को अमेरिका में भेजने का काम नहीं कर रहा है."

यह मामला सिर्फ व्यापार युद्ध से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसे चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव और आपसी व्यापारिक रिश्तों की जटिलताओं के रूप में भी देखा जा सकता है. यदि दोनों देशों के बीच संवाद और समझौते का रास्ता नहीं खुलता है, तो यह दोनों देशों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर परिणाम उत्पन्न कर सकता है.

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