AstraZeneca Withdraws COVID Vaccine Worldwide: एस्ट्राजेनेका ने दुनिया भर से वापस मांगी अपनी कोरोना वैक्सीन, क्या ब्लड क्लॉटिंग का खतरा है दवा के वापसी का कारण, जानिए पूरा सच
ब्रिटेन की कोविड वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मंगलवार को निया भर से अपने टीकों को वापस लेने की पहल की. एस्ट्राजेनेका ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब कुछ दिनों पहल ही उसने ब्रिटेन की कोर्ट को बताया था कि उसकी वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग की संभावना हो सकती है.
AstraZeneca Withdraws COVID Vaccine Worldwide: ब्रिटेन की कोविड वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मंगलवार को निया भर से अपने टीकों को वापस लेने की पहल की. एस्ट्राजेनेका ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब कुछ दिनों पहल ही उसने ब्रिटेन की कोर्ट को बताया था कि उसकी वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग की संभावना हो सकती है. हालांकि, कंपनी ने वैक्सीन को वापस लेने का फैसला उपलब्ध अपडेटेड टीकों की अधिकता को बताया है.
एस्ट्राजेनेका का कहना है कि दुनियाभर में अब कई तरह की कोविड-19 वैक्सीन विकसित हो चुकी हैं, ऐसे में अपडेटेड टीके अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं. इससे 'वैक्सेजेवरिया' की मांग में गिरावट आई है. इसलिए अब इसका निर्माण या आपूर्ति नहीं की जा रही है. बता दें, एस्ट्राजेनेका अपने कोविड-19 टीके को यूरोप के भीतर 'वैक्सजेवरिया' नाम बेच रही थी, भारत में यह कोविड वैक्सीन कोविशील्ड के नाम से लगी थी.
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एस्ट्राजेनेका दुनिया भर से वापस मांग रही अपनी कोरोना वैक्सीन
एस्ट्राजेनेका पर क्या आरोप लगे थे?
टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन वापस लेने के लिए 5 मार्च को आवेदन किया था. यह 7 मई को प्रभावी हुआ है. इससे पहले एस्ट्राजेनेका के खिलाफ ब्रिटेन में कई मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें लोगों ने वैक्सीन लगवाने के बाद गंभीर स्वास्थ्य परेशानियों का आरोप लगाया था. उस दौरान ब्रिटेन की इस फार्मास्युटिकल कंपनी ने कोर्ट में माना था कि 'वैक्सजेवरिया' या 'कोविशील्ड'बहुत ही दुर्लभ मामलों में, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ टीटीएस या थ्रोम्बोसिस का कारण बन सकता है.
कोविडशील्ड वैक्सीन का क्या साइड इफेक्ट है?
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा कम कर देता है. इसका साइड इफेक्ट होने पर शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं, जो रक्त प्रवाह को ब्लॉक कर सकते हैं. इसकी वजह से शरीर के बाकी अंगों तक खून नहीं पहुंच पाता है. इससे ब्रेन स्ट्रोक और कार्डियक अरेस्ट की आशंका बढ़ जाती है. फिलहाल, मामला कोर्ट में विचाराधीन है. अगर कोर्ट याचिकाकर्ताओं का दावा स्वीकार कर लेता है तो कंपनी को बड़ी रकम चुकानी पड़ सकती है.