कुछ हजार लोग तय करेंगे अमेरिका में चुनाव का नतीजा

मंगलवार के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का विजेता 34 करोड़ से ज्यादा लोगों के राष्ट्र का नेतृत्व करेगा, लेकिन यह चुनाव संभवतः केवल कुछ हजार मतदाताओं के फैसले से तय होगा - जो कुछ राज्यों में ही केंद्रित हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

मंगलवार के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का विजेता 34 करोड़ से ज्यादा लोगों के राष्ट्र का नेतृत्व करेगा, लेकिन यह चुनाव संभवतः केवल कुछ हजार मतदाताओं के फैसले से तय होगा - जो कुछ राज्यों में ही केंद्रित हैं.अमेरिका के 2024 राष्ट्रपति चुनाव में 50 में से सिर्फ 7 राज्य ही ऐसे हैं जहां दोनों उम्मीदवारों के बीच असली मुकाबला है. इन्हें 'स्विंग स्टेट' कहा जाता है. बाकी राज्य सार्वजनिक राय सर्वेक्षणों के अनुसार आराम से डेमोक्रेटिक या रिपब्लिकन माने जाते हैं. इन सात में सबसे अधिक आबादी वाला पेनसिल्वेनिया इस बात का सबसे मजबूत संकेतक है कि डेमोक्रेट कमला हैरिस या रिपब्लिकन डॉनल्ड ट्रंप में से कौन अमेरिका का अगला राष्ट्रपति होगा.

उम्मीदवारों की रणनीतियां भी इस सच्चाई को दिखाती हैं, क्योंकि उनके विज्ञापन का अधिकतर खर्च और प्रचार इन्हीं सात राज्यों में केंद्रित हैं.

जटिल है चुनाव प्रणाली

अन्य संघीय उम्मीदवारों और राज्य-स्तरीय पदों के चुनाव के उलट, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव सिर्फ लोकप्रिय वोट पर निर्भर नहीं है. इसके बजाय, "इलेक्टोरल कॉलेज" नामक प्रणाली के तहत, हर राज्य और वॉशिंगटन डी.सी. के विजेता उम्मीदवार को उस राज्य के इलेक्टोरल वोट मिलते हैं, जो मुख्यतः जनसंख्या पर आधारित होते हैं.

एक उम्मीदवार को देश के 538 इलेक्टोरल वोटों में से 270 जीतने की जरूरत होती है. ऐसे में पूरे देश में कम वोट हासिल करने के बावजूद इलेक्टोरल वोट में जीतने वाला उम्मीदवार जीत जाता है. 2016 में ट्रंप के साथ यही हुआ था.

अगर 269-269 से इलेक्टोरल वोट बराबर रहते हैं तो अमेरिकी संसद का ऊपरी सदन, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स विजेता का चयन करता है, जिसमें हर राज्य का एक वोट होता है. यह एक ऐसी स्थिति है जो विश्लेषकों के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के पक्ष में जा सकती है.

अगर स्विंग राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्य अपेक्षित रूप से वोट करते हैं, तो इससे उपराष्ट्रपति हैरिस को 226 और ट्रंप को 219 इलेक्टोरल वोट मिलेंगे. बाकी 93 वोट अनिश्चित होंगे.

कौन से राज्य हैं स्विंग स्टेट्स

सात ऐसे राज्य हैं जो मंगलवार को किसी भी पक्ष में जा सकते हैं. ये हैं मिशिगन, पेनसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन के कुछ हिस्से, एरिजोना, जॉर्जिया, नेवादा और नॉर्थ कैरोलाइना के कुछ हिस्से.

मिशिगन, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों के लिए एक "नीली दीवार" के रूप में काम करते रहे थे लेकिन 2016 में, ट्रंप ने सभी तीन में मामूली अंतर से जीत हासिल की. इससे हिलेरी क्लिंटन पर उनकी अप्रत्याशित जीत हुई.

चार साल बाद, जो बाइडेन ने मिशिगन, विस्कॉन्सिन और पेनसिल्वेनिया में जीत हासिल की और इसके साथ ही जॉर्जिया और एरिजोना में भी जीत हासिल की, जो पहले रिपब्लिकन पार्टी के लिए मजबूती से खड़े थे.

यह चुनाव कितना करीबी है?

डॉनल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच चुनाव को अमेरिकी इतिहास के सबसे करीबी और तीखे मुकाबलों में से एक माना जा रहा है. रविवार तक, न्यूयॉर्क टाइम्स के सार्वजनिक सर्वेक्षण ट्रैकर के अनुसार, सभी सात स्विंग राज्य लगभग बराबरी पर थे. ट्रंप को एरिजोना में 3 प्रतिशत अंकों की बढ़त मिली, जबकि बाकी छह राज्य औसतन एक अंक के भीतर थे.

यह चुनाव 2020 के मुकाबले और भी ज्यादा नजदीकी है. उस साल, सिर्फ 43,000 वोटों में बदलाव ट्रंप को फिर से चुनाव जिताने के लिए काफी होता.

इन सात राज्यों में भी पेंसिल्वेनिया सबसे अहम है. इस राज्य के पास 19 इलेक्टोरल वोट हैं, जो किसी भी अन्य स्विंग राज्य से अधिक हैं. यही वजह है कि पेंसिल्वेनिया को किसी भी उम्मीदवार की जीत के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.

अगर हैरिस पेंसिल्वेनिया हारती हैं, तो उन्हें जीतने के लिए नॉर्थ कैरोलइना या जॉर्जिया में जीतना होगा - जो पिछले चार दशकों में कुल तीन बार डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के लिए वोट कर चुके हैं.

वहीं, अगर ट्रंप पेंसिल्वेनिया हारते हैं, तो उन्हें विस्कॉन्सिन या मिशिगन में जीतना होगा, जिनमें 1980 के दशक से अब तक एक बार ही रिपब्लिकन उम्मीदवार जीता है.

यही वजह है कि दोनों उम्मीदवारों ने पेंसिल्वेनिया को सबसे महत्वपूर्ण राज्य माना है. हैरिस और ट्रंप ने वहां अन्य राज्यों की तुलना में अधिक समय बिताया. विज्ञापनों की निगरानी करने वाली संस्था एडइंपैक्ट के मुताबिक 7 अक्टूबर तक दोनों अभियानों और उनके सहयोगियों ने पेंसिल्वेनिया में 27.93 करोड़ डॉलर विज्ञापनों पर खर्च किए. यह दूसरे नंबर के राज्य मिशिगन से 7.5 करोड़ डॉलर ज्यादा था.

नेब्रास्का की एक सीट में इतनी दिलचस्पी क्यों?

48 राज्य अपने इलेक्टोरल वोट विजेता को सभी वोट दे देते हैं, लेकिन दो राज्य, नेब्रास्का और माएन में हर संसदीय सीट के विजेता को एक इलेक्टोरल वोट देते हैं. 2020 में, बाइडेन ने नेब्रास्का की पांच वोटों में से एक जीती थी जबकि ट्रंप ने माएन के चार में से एक वोट हासिल किया था.

नेब्रास्का के ओमाहा केंद्रित सेकंड कांग्रेशनल डिस्ट्रिक्ट या सीट का एक इलेक्टोरल वोट ऐसा है, जिसके बारे में अनुमान लगाना मुश्किल है. हालांकि स्वतंत्र विश्लेषकों का मानना है कि यह हैरिस के पक्ष में झुकती दिखाई दे रही है. दोनों दलों ने ओमाहा में विज्ञापन पर लाखों डॉलर खर्च किए हैं.

इसकी वजह है कि यह अकेला वोट निर्णायक हो सकता है. यदि हैरिस मिशिगन, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन जीतती हैं और ट्रंप बाकी चार स्विंग राज्यों में जीत जाते हैं - जो पूरी तरह से संभव है - तो नेब्रास्का की यह एक सीट तय करेगी कि चुनाव बराबरी पर खत्म होगा या हैरिस के पक्ष में.

वीके/आरपी (रॉयटर्स)

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