स्विट्जरलैंड के कैथोलिक चर्चों में यौन शोषण के एक हजार मामले इतिहासकारों ने ढूंढ कर निकालें हैं. रिसर्चरों का कहना है कि यह शुरुआत हैं इनकी संख्या और ज्यादा हो सकती है. इन मामलों में आरोपी चर्च के अधिकारी और पादरी हैं.स्विट्जरलैंड में कैथोलिक पादरियों और दूसरे लोगों के किये यौन शोषण पर एक रिसर्च में भयावह नतीजे सामने आए हैं. एक साल के अध्ययन के बाद ज्यूरिष यूनिवर्सिटी की टीम ने बताया है कि करीब 1000 से ज्यादा लोगों के साथ यौन शोषण हुआ. ये मामले 20 वीं सदी के मध्य के हैं.
हाल में यौन शोषण की ऐसी खबरें जर्मनी, इटली और फ्रांस से भी आ चुकी हैं. यूरोपीय संघ के इन देशों में ऐसी राष्ट्रीय रिपोर्टों ने पीड़ितों के लिए क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए, दुर्व्यवहार करने वाले बिशप, कार्डिनल और धार्मिक अधिकारियों को सजा देने की मांग को बढ़ावा मिला है.
यौन शोषण के बढ़ते मामले
इस रिपोर्ट को स्विस कांफ्रेंस ऑफ बिशप ने तैयार करवाया है. ज्यूरिष यूनिवर्सिटी के दो इतिहासकारों, मोनिका डोमान और मरिएता मिएर, ने यह रिसर्च की है. चर्च के पुराने दस्तावेज के जरिए यह जानकारी जुटाई गई. रिसर्च में इतिहासकारों ने करीब 510 आरोपी और 921 पीड़ितों की पहचान की. पीड़ितों में करीब 39 प्रतिशत औरतें, 56 प्रतिशत पुरुष और 5 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिनके लिंग का पता नहीं चल सका.
मोनिका डोमान का कहना है, "हमें यह केस देख कर लगता है कि यह आंकड़े सिर्फ एक शुरुआत है.” उनका यह भी कहना है, "ये अपराध जितने बेरहम और गहरे हैं, उन्हें देखने के बाद हमें लगता है कि बहुत कम प्रतिशत केस रिपोर्ट हुए होंगे.” जांच में अभी कई जिलों के दस्तावेज अभी देखने बाकी हैं.
इटली के चर्चों में यौन शोषण पर पहली रिपोर्ट जारी
मोनिका का मानना है कि कैथोलिक चर्च ने कई अपराधों को दबाया और उनके दस्तावेज नष्ट किए हैं. जांच में अपराधियों पर आपसी संबंध की सीमाओं को तोड़ने और कई साल तक यौन शोषण करने की शिकायतें सामने आई हैं. इन में ज्यादातर अपराधी कैथोलिक पादरी, चर्च कर्मचारी और स्विट्जरलैंड के धार्मिक गुटों में शामिल रहे हैं. शिकायत पर जांच होने से रोकने के लिए, अपराधियों को दूसरे जिलों के चर्च में भेज दिया जाता था. रिसर्च कहती है "ऐसा करके कैथोलिक चर्च ने अपने लोगों को समाज की कल्याण के ऊपर रखा है.”
आगे एक बड़ी रिपोर्ट की तैयारी
एक बड़ी रिपोर्ट बनाने की कोशिश की जा रही है जिस में और भी जिलों के दस्तावेज देखें जाएंगे. यह भी देखा जाएगा कि क्या स्विस सरकार ने भी इन शिकायतों को दबाने के प्रयास किए हैं. रिसर्च कर रही टीम को करीब 17,00,000 डॉलर 2026 तक दिए जाएंगे.
टीम ने होली सी यानी वेटिकन की दूतावास से इन आरोपों की शिनाख्त के लिए दस्तावेज देखने की अनुमति मांगी मगर उन्हे खारिज कर दिया गया. स्विस ग्रुप की अध्यक्ष ने मीडिया कांफ्रेंस में कहा "आज पोप कहते हैं कि वह ऐसे आरोपों की छानबीन करना चाहते हैं मगर दस्तावेज देखने की अनुमति भी नहीं दे रहे हैं. ”
एसडी/एनआर (डीपीए, एपी)