दुनिया हक्का-बक्का है, क्योंकि एक बायोइंजीनियरिंग कंपनी 'ब्रेनब्रिज' ने 'सिर प्रत्यारोपण' की ऐसी तकनीक विकसित करने का दावा किया है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को एक शरीर से दूसरे में स्थानांतरित कर सकेगी! कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और रोबोटिक्स का इस्तेमाल करते हुए, यह प्रक्रिया 8 सालों में हकीकत बन सकती है. कंपनी का दावा है कि इस प्रक्रिया से मरीज औसत जीवन प्रत्याशा से भी ज़्यादा जी सकते हैं!
हालांकि, विशेषज्ञों ने इस दावे को 'काल्पनिक' बताते हुए कहा है कि यह मस्तिष्क के काम करने के तरीके को बहुत सरल तरीके से समझता है. ऐसा प्रतीत होता है कि सिर प्रत्यारोपण को लेकर दुनिया में बड़ा विवाद है. 2016 में, यूरोपीय न्यूरोसर्जिकल सोसाइटी ने इस प्रक्रिया को अनैतिक करार दिया था. फिर भी, ब्रेनब्रिज का दावा है कि यह प्रक्रिया उन मरीजों को 'नया जीवन' दे सकती है जो लकवा या रीढ़ की हड्डी की चोटों से पीड़ित हैं.
कंपनी का कहना है कि इस प्रक्रिया से गुजरने वाले लोग औसत जीवन प्रत्याशा से भी अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं, क्योंकि मस्तिष्क 'कई सौ सालों तक जीवित रहने में सक्षम है बशर्ते कि शरीर युवा बना रहे.' ब्रेनब्रिज के अनुसार, इस तरह के प्रत्यारोपण लकवा और रीढ़ की हड्डी की चोट जैसे जीवन बदलने वाली स्थितियों वाले मरीजों को 'पूरी तरह से कार्यात्मक शरीर' पाने का अवसर प्रदान कर सकते हैं.
प्रस्तावित प्रणाली के तहत, दाता का शरीर - एक मस्तिष्क-मृत रोगी जिसमें कार्यात्मक शरीर है, और प्राप्तकर्ता, जिसका सिर नए शरीर में प्रत्यारोपित किया जाएगा, दोनों को पहले 5°C (41°F) तक ठंडा किया जाएगा. 'संभावित मस्तिष्क क्षति को कम करने के लिए.' 'कृत्रिम प्लाज्मा समाधान' की एक अनिश्चित सांद्रता को फिर दोनों शरीरों में प्रशासित किया जाएगा ताकि मस्तिष्क और शरीर ऑक्सीजन युक्त रहे और थक्का बनने से रोका जा सके.
रोबोटिक रूप से किया जाने वाला ऑपरेशन, 'सावधानीपूर्वक' कैरोटिड और वर्टेब्रल धमनियों और जुगुलर नसों को उजागर करेगा. फिर रक्त को प्राप्तकर्ता के सिर से पूरी तरह से निकाल दिया जाता है ताकि थक्का बनने से रोका जा सके, इससे पहले कि इसे 'तुरंत' दाता शरीर के संचार तंत्र से जोड़ा जाए और ताजा ऑक्सीजन युक्त रक्त से पंप किया जाए. यह दावा किया गया है कि एआई एल्गोरिदम, सर्जरी के दौरान 'सीमलेस पुनःसंयोजन की सुविधा के लिए मांसपेशियों और तंत्रिकाओं दोनों को ट्रैक करेंगे.'
इस दावे ने दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय को हैरान कर दिया है, क्योंकि सिर प्रत्यारोपण अभी भी विज्ञान कथा ही है. यह प्रक्रिया नैतिक, तकनीकी और चिकित्सीय चुनौतियों से भरी हुई है. अभी तो यह कहना बहुत जल्द है कि यह सपना सच में बदल पाएगा या नहीं, लेकिन यह सवाल जरूर उठाता है कि विज्ञान के आगे कहां तक जाया जा सकता है और कहां पर इंसानियत की सीमाएं खत्म हो जाती हैं?