चीन की सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी एसएमआईसी ने घरेलू 7nm चिप बनाकर पश्चिमी देशों को हैरानी में डाल दिया है. तो क्या अमेरिका इसका जवाब और ज्यादा प्रतिबंधों के साथ देगा?हुआवे के नई टेक्नोलॉजी वाले फोन की लॉन्चिंग के बाद से ही अमेरिका-चीन चिप युद्ध में फिर से गहमागहमी आ गई है. अमेरिका इस चिप को चीन की पहुंच से दूर रखने की उम्मीद कर रहा था.
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पिछले महीने, हुआवे ने डिवाइस के लिए उपयोग किए गए चिप्स पर ज्यादा विवरण दिए बिना मेट 60 प्रो फोन जारी किया था. लेकिन ओटावा स्थित सेमीकंडक्टर में विशेषज्ञता रखने वाले एक शोध संगठन, टेकइनसाइट्स ने विश्लेषण के लिए जब फोन को अलग किया तो परिणाम हैरान करने वाले थे. दरअसल, यह डिवाइस चीन में बने किरिन 9000s 7-नैनोमीटर प्रोसेसर पर चलाया गया था. चिप का पैमाना जरूरी है कि क्योंकि छोटे पैमाने के चिप्स को अधिक तत्वों के साथ पैक किया जा सकता है, जिससे वे तेज और ज्यादा शक्तिशाली बन जाते हैं. चिप 5G सक्षम भी प्रतीत होती है.
चिप बनाने वाली कंपनी, सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉर्प (एसएमआईसी), पहले 14 नैनोमीटर स्तर तक सीमित चिप्स बनाने के लिए जाना जाती थी. हुआवे के स्मार्टफोन के अपने विश्लेषण में, टेकइनसाइट्स ने कहा कि प्रोसेसर यह बताता है कि चीन की सरकार पूरी तरह से घरेलू चिप इकोसिस्टम के लिए ‘दरवाजे खोल रही है.'
वॉशिंगटन को ‘थोड़ा सा झटका' लगा है
हुआवे और एसएमआईसी दोनों ही कंपनियां कथित तौर पर सुरक्षा जोखिमों के चलते अमेरिकी प्रतिबंधों के अधीन हैं. एसएमआईसी चीन की सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी है जिसे दुनिया की सबसे उन्नत माइक्रोचिप्स बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली एक्सट्रीम अल्ट्रावॉयलेट मशीनें खरीदने से प्रतिबंधित किया गया है. अल्ट्रावायलेट की आपूर्ति सिर्फ डच कंपनी एएसएमएल करती है.
कुछ लोग उम्मीद कर रहे थे कि ये प्रतिबंध अमेरिका की तकनीकी बढ़त को बरकरार रखेंगे क्योंकि दोनों देश वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार पर प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. कंसल्टिंग कंपनी यूरेशिया ग्रुप के लू जियाओमेंग खासतौर पर हुआवे फोन की 5जी क्षमताओं का जिक्र करते हुए कहते हैं, "अमेरिका को थोड़ा झटका लगा है. उन्हें लगा कि उन्होंने तो हर चीज पर प्रतिबंध लगा दिया है, फिर भी चीनी कैसे प्रगति कर रहे हैं?”
अमेरिका को संदेश
हुआवे फोन के लॉन्च को चीन में कुछ हद तक राष्ट्रीय विजय के रूप में देखा गया. कई लोगों ने नोट किया है कि इसे अमेरिकी वाणिज्य मंत्री रायमोंडो की यात्रा के दौरान जारी किया गया था, शायद यह दिखाने के लिए कि अमेरिका, चीन की आत्मनिर्भरता को समझ सके. और अमेरिका ने इस पर ध्यान दिया भी. बाइडेन प्रशासन ने पहले ही प्रतिबंधों के संभावित उल्लंघन की जांच शुरू कर दी है और कुछ रिपब्लिकन सांसद सख्त प्रतिबंधों की मांग कर रहे हैं.
हालांकि, स्पष्टीकरण में अत्याधुनिक तकनीक प्राप्त करने के लिए प्रतिबंधों को दरकिनार करने वाली चीनी कंपनियों को शामिल नहीं किया जा सकता है. पिछले साल, टेकइनसाइट्स ने पहले ही रिपोर्ट दी थी कि एसएमआईसी संशोधित, कम उन्नत डीप अल्ट्रावॉयलेट मशीनों का उपयोग करके 7 एनएम चिप्स बनाने में कामयाब हो सकती है जो अभी भी खरीद के लिए उपलब्ध हैं.
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यूरेशिया ग्रुप के भू-प्रौद्योगिकी अभ्यास के प्रमुख लू का मानना है कि हुआवे की नवीनतम प्रगति एक आश्चर्य के रूप में नहीं आनी चाहिए थी. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "यदि आपकी रणनीति ने हुआवे को एक कोने में धकेल दिया है, तो वे आखिरकार इन प्रतिबंधों से बाहर निकलने का अपना रास्ता भी खोज लेंगे.”
अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक नीति कार्यक्रम के निदेशक जेम्स लुईस भी कुछ ऐसा ही मानते हैं. वो कहते हैं कि नए अमेरिकी प्रतिबंध चिप की दौड़ में समय लगा सकते हैं, लेकिन हुआवे और अन्य चीनी कंपनियों को रोक नहीं पाएंगे.
क्या ताइवान की टीएसएमसी को परेशान होने की जरूरत है?
हालांकि कुछ विशेषज्ञ ऐसे भी हैं जो हुआवे की सफलता को कम करके आंकते हैं और इस बात पर संदेह करते हैं कि कंपनी बड़े पैमाने पर उन्नत चिप्स का उत्पादन कर सकती है. ताइवान के औद्योगिक प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के कंसल्टिंग डायरेक्टर रे यांग डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं कि रिसर्च और विकास के फेज में रहने के बजाय "प्रौद्योगिकी को उत्पादन के लिए स्केलेबल बनाने की जरूरत है."
वो कहते हैं कि दुनिया की अग्रणी चिप निर्माता ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी टीएसएमसी के पास बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तमाम पेटेंट हैं, जबकि एसएमआईसी इस मामले में अभी बहुत पीछे है. टीएसएमसी वैश्विक बाजार को और भी अधिक उन्नत 5 एनएम चिप्स की आपूर्ति करने में सक्षम है. कंपनी के पास पहले से ही सबसे उन्नत सेमीकंडक्टर्स के लिए 60 फीसद से ज्यादा निर्माण क्षमता है.
यांग का मानना है कि हुआवे की सफलता अल्पकालिक होगी, शायद एकाध साल से ज्यादा नहीं रहेगी. यांग कहते हैं, "एसएमआईसी ईयूवी तकनीक के बिना 5 एनएम चिप्स नहीं बना सकती.”
निर्यात पर प्रतिबंध ‘शीतयुद्ध जैसा समाधान'
पिछले हफ्ते, अमेरिकी वाणिज्य मंत्री रायमोंडो ने भी कहा था कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि हुआवे उन्नत चिप्स के साथ ‘बड़े पैमाने पर' स्मार्टफोन का उत्पादन करने में सक्षम थी. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने विनिर्माण प्रक्रिया की जांच जारी रखी है. ऐसे मौके पर जबकि चीन विरोधी लोग अधिक प्रतिबंधों की मांग कर रहे हैं, कुछ विशेषज्ञों ने दावा किया है कि चीन को मजबूती से जुड़ी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से बाहर करने के लिए कठोर उपायों को पारित करना असंभव होगा.
सीएसआईएस के डायरेक्टर लुईस कहते हैं, "चिप्स को ब्लॉक करने की कोशिश एक बहुत ही शीत युद्ध समाधान सरीखा है.' अमेरिकी सरकार के लिए उनका सुझाव है कि ‘चिप्स को चीन भेजने की अनुमति दी जाए' लेकिन उन चिप्स के निर्माण के लिए उपकरणों की नहीं.
जैसा कि लुईस संकेत करते हैं, इस तरह से यह एक जीत की स्थिति होगी जहां अमेरिकी कंपनियां चीन में अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रख सकती हैं. जबकि ओप्पो और श्याओमी जैसे चीनी ब्रांड अभी भी पश्चिमी चिप्स का सहारा लेंगे जिनकी कीमत कम है और गुणवत्ता अधिक है. उनके बिना, चीन के पास अपनी सेमीकंडक्टर क्षमताओं का निर्माण करने के लिए ‘जबरदस्त प्रोत्साहन' होगा.
अवरोध कम, शोध ज्यादा
इसके अलावा, चीन पहले ही सेमीकंडक्टर्स के निर्माण के लिए प्रमुख धातुओं के निर्यात को सीमित करके प्रतिबंधों का जवाब दे चुका है. और पिछले महीने, चीन ने विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू चिप निर्माताओं के लिए 40 बिलियन डॉलर के एक नए फंड की घोषणा की.
यूरेशिया ग्रुप के लू का मानना है कि अमेरिका "प्रतिस्पर्धा को रोकने पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है और अपनी क्षमताओं को बढ़ाने पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहा है."
वो कहते हैं, "जब आप अपने प्रतिस्पर्धियों को तीन पीढ़ी पीछे रख रहे हैं, तो इसका मतलब, आप अपनी कंपनी को भी एक या दो पीढ़ी पीछे रख रहे हैं.”