नासा का पार्कर सोलर प्रोब सूरज के सबसे करीब पहुंचेगा
नासा का यान पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के इतने करीब से गुजरने वाला है, जितना अब तक कोई मानव निर्मित यान नहीं गया.
नासा का यान पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के इतने करीब से गुजरने वाला है, जितना अब तक कोई मानव निर्मित यान नहीं गया. यह एक अद्भुत वैज्ञानिक उपलब्धि होगी.नासा का पार्कर सोलर प्रोब इस 24 दिसंबर को सूरज के बेहद करीब से गुजरेगा. यह अब तक की सबसे करीबी उड़ान होगी, जब यह अंतरिक्ष यान सूरज की सतह से केवल 62 लाख किलोमीटर की दूरी पर होगा.
पार्कर सोलर प्रोब मिशन सूरज के रहस्यों को सुलझाने और अंतरिक्ष में मौसम की घटनाओं को समझने के लिए शुरू किया गया था. इसे अगस्त 2018 में लॉन्च किया गया था और यह सात सालों तक चलने वाला मिशन है.
मैरीलैंड स्थित जॉन्स हॉपकिन्स एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी (एपीएल) में पार्कर सोलर प्रोब मिशन के संचालन प्रबंधक निक पिंकाइन ने कहा, "अब तक कोई भी मानव निर्मित यान किसी तारे के इतना करीब नहीं पहुंचा है. इसलिए, पार्कर सोलर प्रोब वाकई अज्ञात क्षेत्र से डेटा भेजेगा. हमें इस बात का बेसब्री से इंतजार है कि यान सूरज का चक्कर लगाकर वापस लौटे और हमें नई जानकारी भेजे."
अनोखा है पार्कर सोलर प्रोब
पार्कर सोलर प्रोब अपनी गति और सहनशक्ति दोनों के हिसाब से एक अनोखा मिशन है. यह यान 6,90,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा है. इतनी तेज गति से यह वॉशिंगटन से टोक्यो एक मिनट से भी कम समय में पहुंच सकता है.
इसके अलावा, यान का हीट शील्ड लगभग 870-930 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी सह सकता है. लेकिन अंदर के वैज्ञानिक उपकरणों को सुरक्षित रखने की तकनीक इतनी उन्नत है कि वे केवल 29 डिग्री सेल्सियस के आसपास के तापमान पर काम करते रहेंगे.
अगर पृथ्वी और सूरज के बीच की दूरी को एक अमेरिकी फुटबॉल मैदान के बराबर मानें, तो यह यान केवल 4 गज की दूरी पर होगा. पार्कर 24 दिसंबर को भारतीय समय के हिसाब से शाम 5.23 बजे सूरज के सबसे करीब पहुंचेगा.
यह मिशन कई अनोखी चुनौतियों का सामना कर रहा है. जब यान सूरज के सबसे करीब होगा, जिसे "पेरीहेलियन" कहा जाता है, उस समय नासा की टीम का यान से सीधा संपर्क टूट जाएगा. इसके बावजूद, वैज्ञानिक "बीकन टोन" नामक तकनीक का उपयोग कर यान की स्थिति का पता लगाएंगे. नासा की टीम को यान के डेटा का बेसब्री से इंतजार है, जो अगले कुछ हफ्तों में मिलना शुरू होगा.
अहम जानकारी का इंतजार
पार्कर सोलर प्रोब सूरज के बाहरी वातावरण, जिसे कोरोना कहते हैं, की गहराई से जांच कर रहा है. इस मिशन का मकसद सूरज से निकलने वाली ऊर्जा की धारा, जिसे सोलर विंड कहते हैं, के रहस्य को सुलझाना है. साथ ही, यह पता लगाना है कि कोरोना का तापमान सूरज की सतह से ज्यादा क्यों है. यह यान कोरोनल मास इजेक्शन (सूरज से निकलने वाले विशाल प्लाज्मा बादल) के बनने की प्रक्रिया को भी समझने में मदद करेगा.
इस मिशन के जरिए सूरज के बारे में ऐसी जानकारी मिल रही है, जो पहले कभी नहीं मिली. वैज्ञानिक इसे ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को गहराई देने वाला कदम मानते हैं. नासा का यह यान न केवल विज्ञान के लिए बल्कि अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है. इस मिशन के तहत 22 मार्च 2025 और 19 जून 2025 को दो और रिकॉर्ड-ब्रेकिंग फ्लाईबाय होंगे, जब यान इसी दूरी तक दोबारा पहुंचेगा.
इससे पहले 2011 में वैज्ञानिकों ने सूर्य के सबसे नजदीकी ग्रह बुध की कक्षा में पृथ्वी से भेजे एक अंतरिक्ष यान को स्थापित करने में कामयाबी हासिल की थी, जब नासा का खोजी यान बुध के दीर्घवृत्ताकार कक्षा में पहुंचा था.
वीके/एए (एएफपी)