चांद और मंगल ग्रह पर परमाणु रिएक्टर लगाने की होड़, जानें NASA कब लॉन्च करेगा पहला न्यूक्लियर सिस्टम

NASA चांद और मंगल पर परमाणु रिएक्टर स्थापित करने की दौड़ में है, जिसका लक्ष्य दशक के अंत तक पहला सिस्टम लॉन्च करना है. परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा के विपरीत, चांद की लंबी रातों और मंगल के धूल भरे तूफानों में भी 24/7 काम कर सकती है.

(Photo : X)

अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA चांद और मंगल ग्रह पर परमाणु पावर रिएक्टर लगाने की तैयारी में ज़ोर-शोर से जुट गई है. उसकी कोशिश है कि इस दशक के अंत तक पहला न्यूक्लियर सिस्टम लॉन्च कर दिया जाए. यह कदम अंतरिक्ष में चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है.

क्यों मची है यह होड़?

हाल ही में NASA के एक अंदरूनी दस्तावेज़ से यह बात सामने आई है. इसमें कहा गया है कि चीन और रूस मिलकर 2030 के दशक के मध्य तक चांद पर एक परमाणु रिएक्टर लगाने की योजना बना रहे हैं. अमेरिका को चिंता है कि अगर चीन और रूस ऐसा करने में पहले कामयाब हो गए, तो वे उस इलाके को अपना "कीप-आउट ज़ोन" घोषित कर सकते हैं. इसका मतलब यह होगा कि वे उस क्षेत्र में अमेरिका या किसी और देश को आने से रोक सकते हैं, जिससे अमेरिका के आर्टेमिस मिशन (Artemis Mission) को बड़ा झटका लग सकता है.

इसी चुनौती से निपटने के लिए NASA ने एक विशेष अधिकारी को नियुक्त करने का फैसला किया है, जो अगले छह महीनों के अंदर दो प्राइवेट कंपनियों के प्रस्तावों को चुनेगा.

अंतरिक्ष में परमाणु ऊर्जा ही क्यों?

अंतरिक्ष में ऊर्जा के लिए परमाणु रिएक्टर का इस्तेमाल कोई नया विचार नहीं है. इसके कई फायदे हैं:

कितनी ऊर्जा की होगी ज़रूरत?

पहले के अध्ययनों में 40 किलोवॉट के सिस्टम पर ध्यान दिया गया था, जो 10 साल तक लगातार 30 घरों को बिजली देने के लिए काफी है.

लेकिन अब NASA का लक्ष्य कम से कम 100 किलोवॉट का पावर स्टेशन बनाना है. इतनी ऊर्जा की ज़रूरत लंबे समय तक इंसानों को बसाने, उनके लाइफ सपोर्ट सिस्टम चलाने, कम्युनिकेशन करने और सतह पर मौजूद बर्फ जैसे संसाधनों की खुदाई के लिए पड़ेगी. NASA की योजना 2029 के अंत तक इसे लॉन्च करने की है.

अमेरिका के लिए चुनौतियां

भले ही NASA ने तैयारी तेज कर दी है, लेकिन उसके सामने कई चुनौतियां हैं. चांद पर इंसानों को वापस भेजने वाला उसका आर्टेमिस प्रोग्राम पहले ही कई बार लेट हो चुका है. पहली क्रू लैंडिंग (Artemis 3) के लिए 2027 की तारीख रखी गई है, लेकिन ज़्यादातर एक्सपर्ट्स इसे भी मुमकिन नहीं मान रहे क्योंकि इसके लिए जिस स्पेसएक्स (SpaceX) के स्टारशिप लैंडर का इस्तेमाल होना है, वह अभी तक पूरी तरह तैयार नहीं है.

दूसरी तरफ, चीन अपने स्पेस मिशनों की समय-सीमा को पूरा करने में ज़्यादा सफल रहा है और 2030 तक चांद पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. अब देखना यह है कि अंतरिक्ष की इस नई दौड़ में कौन देश बाजी मारता है.

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