NASA को मंगल ग्रह पर मिला जीवन का अब तक का सबसे बड़ा सबूत, रोवर ने खोजा 'संभावित बायोसिग्नेचर'
नासा के पर्सिवियरेंस रोवर को मंगल ग्रह के जेज़ेरो क्रेटर में प्राचीन जीवन का एक बड़ा संकेत मिला है. यह सबूत एक 'संभावित बायोसिग्नेचर' है, जो चट्टान के एक सैंपल में पाया गया है. हालांकि यह अब तक की सबसे मज़बूत खोज है, लेकिन जीवन की पुष्टि इन सैंपल्स के पृथ्वी पर अध्ययन के बाद ही हो सकेगी.
क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब इंसान सदियों से ढूंढ रहा है. अब ऐसा लगता है कि हम इस जवाब के एक कदम और करीब आ गए हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने घोषणा की है कि उसके पर्सिवियरेंस रोवर को मंगल ग्रह पर प्राचीन जीवन का एक बहुत मज़बूत संकेत मिला है.
यह खोज मंगल के जेज़ेरो क्रेटर (Jezero Crater) में हुई, जहाँ अरबों साल पहले एक नदी बहती थी. पिछले साल रोवर ने इस सूखी नदी के पास "चेयावा फॉल्स" नाम की एक चट्टान से सैंपल लिया था. इस सैंपल को "सैफायर कैनियन" नाम दिया गया है. अब, 'नेचर' पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सैंपल में 'संभावित बायोसिग्नेचर' मौजूद हैं.
यह बायोसिग्नेचर क्या होता है?
इसे आसान भाषा में समझते हैं. मान लीजिए आप किसी सुनसान जगह पर जाते हैं और आपको ज़मीन पर किसी जानवर के पैरों के निशान मिलते हैं. आप यह तो नहीं कह सकते कि जानवर अभी भी वहीं है, लेकिन यह निशान इस बात का सबूत है कि वहाँ कभी कोई जानवर था.
ठीक इसी तरह, 'बायोसिग्नेचर' जीवन का सीधा सबूत नहीं है, बल्कि एक ऐसा पदार्थ, निशान या बनावट है जो किसी जैविक प्रक्रिया (यानी जीवन) से बना हो सकता है. यह जीवन का एक तरह का केमिकल फिंगरप्रिंट है.
मुख्य बातें:
- नासा के पर्सिवियरेंस रोवर को मंगल ग्रह पर एक चट्टान के सैंपल में प्राचीन जीवन के संकेत मिले हैं.
- इस खोज को 'संभावित बायोसिग्नेचर' कहा जा रहा है, जो अब तक की सबसे मज़बूत कड़ी हो सकती है.
- हालांकि, वैज्ञानिक अभी इसे जीवन का पक्का सबूत नहीं मान रहे हैं. पूरी सच्चाई सैंपल के पृथ्वी पर आने के बाद ही पता चलेगी.
रोवर को असल में क्या मिला?
पर्सिवियरेंस रोवर ने अपने ख़ास उपकरणों PIXL और SHERLOC से चट्टान की जाँच की. जाँच में पता चला कि:
- यह चट्टान मिट्टी और गाद से बनी है, जो पृथ्वी पर सूक्ष्मजीवों (microbes) के सबूतों को सहेज कर रखने के लिए जानी जाती है.
- इसमें ऑर्गेनिक कार्बन, सल्फर, फॉस्फोरस और आयरन (लोहा) जैसे तत्व भरपूर मात्रा में हैं. यह मिश्रण किसी सूक्ष्मजीव के लिए ऊर्जा का एक बेहतरीन स्रोत हो सकता था.
- वैज्ञानिकों को चट्टान पर "तेंदुए जैसे धब्बे" (leopard spots) दिखाई दिए. जब इनकी और गहराई से जाँच की गई, तो उनमें विवियनाइट (vivianite) और ग्रेगाइट (greigite) नाम के दो ख़ास खनिज मिले. पृथ्वी पर ये खनिज अक्सर बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों से बनते हैं.
तो क्या मंगल पर जीवन मिल गया?
इसका जवाब है - अभी पक्के तौर पर नहीं कह सकते. नासा के वैज्ञानिक बेहद सतर्क हैं. उनका कहना है कि ये खनिज बिना जीवन के भी कुछ ख़ास परिस्थितियों में बन सकते हैं, जैसे कि बहुत ज़्यादा तापमान या एसिड वाले माहौल में. हालांकि, जिस जगह यह सैंपल मिला है, वहाँ ऐसे कोई संकेत नहीं हैं.
नासा की वैज्ञानिक केटी स्टैक मॉर्गन कहती हैं, "अलौकिक जीवन से जुड़े दावों के लिए असाधारण सबूतों की ज़रूरत होती है. हम अभी अजैविक (non-biological) संभावनाओं को पूरी तरह से ख़ारिज नहीं कर सकते."
यह खोज इसलिए भी ख़ास है क्योंकि यह मंगल की उन चट्टानों में मिली है जो भूवैज्ञानिक रूप से काफी नई हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि मंगल ग्रह पर जीवन के लिए अनुकूल माहौल शायद वैज्ञानिकों की सोच से कहीं ज़्यादा लंबे समय तक रहा होगा.
अब आगे क्या होगा? पर्सिवियरेंस रोवर ने "सैफायर कैनियन" जैसे 27 सैंपल इकट्ठे कर लिए हैं. नासा का प्लान है कि भविष्य के मिशन में इन सैंपल्स को पृथ्वी पर लाया जाएगा. जब दुनिया की सबसे उन्नत प्रयोगशालाओं में इनकी जांच होगी, तभी इस रहस्य से पर्दा उठेगा कि क्या मंगल पर कभी जीवन था.