ISRO Missions in 2024: गगनयान की तैयारियों का साल रहेगा 2024, इसरो चीफ बोले- इस साल 12 मिशन लॉन्च करने का लक्ष्य

ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया कि साल 2024 गगनयान मिशन की तैयारियों का साल होगा. इसके साथ ही हम हेलीकॉप्टर से ड्रॉप टेस्ट भी करेंगे, जिसमें पैराशूट सिस्टम की जांच की जाएगी. इसी तरह के कई ड्रॉप टेस्ट किए जाएंगे

ISRO Chairman S Somnath | PTI

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) ने साल 2024 के पहले ही दिन एक बार फिर नया कीर्तिमान स्थापति किया. ISRO ने एक और इतिहास रचते हुए सोमवार, 1 जनवरी को ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्यों में से एक- ब्लैक होल को सुलझाने के लिए लिये XPoSat मिशन को सफतापूर्वक लॉच किया. ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया कि साल 2024 गगनयान मिशन की तैयारियों का साल होगा. इसके साथ ही हम हेलीकॉप्टर से ड्रॉप टेस्ट भी करेंगे, जिसमें पैराशूट सिस्टम की जांच की जाएगी. इसी तरह के कई ड्रॉप टेस्ट किए जाएंगे. इनके अलावा कई वैल्यूएशन परीक्षण भी किए जाएंगे. साथ ही हम इस साल जीएसएलवी को भी लॉन्च करेंगे. नए साल के पहले दिन ISRO ने रचा इतिहास, XPoSAT सैटेलाइट किया लॉन्च, ‘ब्लैक होल’ के खुलेंगे राज.

इसरो चीफ ने कहा कि इस साल (2024) में हमने कम से कम 12-14 मिशन लॉन्च करने का लक्ष्य तय किया है. पीएसएलवी-सी58 एक्सपोसैट मिशन के सफल लॉन्च के बाद मीडिया से बात करते हुए एस सोमनाथ ने ये बातें कही.

इसरो ने एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह का सोमवार को प्रक्षेपण किया जो ब्लैक होल जैसे आकाशीय पिंडों के रहस्यों का अध्ययन करेगा. इसरो के सबसे भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) ने अपने सी58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया.

प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती खत्म होने के बाद 44.4 मीटर लंबे रॉकेट ने चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर इस अंतरिक्ष तल से उड़ान भरी. एक्सपोसैट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा.

इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है. इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच साल है. एक्स-रे ध्रुवीकरण आकाशीय स्रोतों के विकिरण तंत्र और ज्यामिति की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण नैदानिक ​​​​उपकरण के रूप में कार्य करता है.

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