Google ने Doodle बनाकर बेहद खास अंदाज में मनाया Physicist Lev Landau का 111वां जन्मदिन

गूगल आज सोवियत भौतिक विज्ञानी का 111वां जन्मदिन मना रहा है. 20वीं शताब्दी में फिजिक्स के क्षेत्र में खोज करने और अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले Lev Landau का जन्मदिन गूगल डूडल बनाकर मना रहा है.

Google ने Lev Landau के 111वें जन्मदिन पर बनाया Doodle (Photo Credits: Google)

Google Doodle:  गूगल आज सोवियत भौतिक विज्ञानी (Soviet physicist) Lev Landau का 111वां जन्मदिन मना रहा है. 20वीं शताब्दी में (physics) फिजिक्स के क्षेत्र में खोज करने और अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले Lev Landau का 111वां जन्मदिन गूगल डूडल बनाकर मना रहा है. Landau का जन्म साल 1908 में अजरबैजान (Azerbaijan) के बाकू (Baku) में हुआ था. बचपन से ही गणित और विज्ञान में उनका दिमाग बहुत तेज चलता था और वो एक होनहार छात्र के तौर पर जाने जाते थे. 13 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर ली थी, फिर उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया. उनके पिता एक तेल कंपनी (oil firm) में इंजीनियर थे और उनकी मां एक डॉक्टर थीं.

लेनिनग्राद यूनिवर्सिटी (Leningrad University) के फिजिक्स विभाग में शामिल होने के बाद Lev Landau का पहला शोधपत्र 'द थ्योरी ऑफ द स्पेक्ट्रा ऑफ डायटॉमिक अणु' (the Theory of the Spectra of Diatomic Molecules) साल 1924 में प्रिंट हुआ, तब उनकी उम्र महज 18 साल थी. 21 साल की उम्र में उन्होंने पीएचडी कर लिया था.

उन्होंने रॉकफेलर फेलोशिप और एक सोवियत वजीफा (Rockefeller fellowship and a Soviet stipend)अर्जित किया, जिससे उन्हें ज्यूरिच, कैंब्रिज और कोपेनहेगन (Zurich, Cambridge, and Copenhagen) में अनुसंधान सुविधाओं का दौरा करने की अनुमति मिली. जहां उन्हें नोबल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर (Nobel Laureate Niels Bohr) के साथ अध्ययन करने का मौका मिला. क्वांटम सिद्धांत में अपने काम के लिए मशहूर बोहर की संगत से वे काफी प्रभावित हुए. यह भी पढ़ें: Arecibo Message: गूगल ने खास डूडल बनाकर 44 साल पहले धरती से बाहर भेजा गया पहला रेडियो मेसेज सेलिब्रेट किया

उन्होंने क्वांटम यांत्रिकी में घनत्व मैट्रिक्स विधि (density matrix method) की खोज की. इसके अलावा दूसरे क्रम के चरण संक्रमण के सिद्धांत (second-order phase transitions), फर्मी तरल के सिद्धांत (theory of Fermi liquid), जिनजबर्ग सिद्धांत (Ginzburg) जैसे महत्पूर्ण सिद्धांतों की खोज का सारा श्रेय उन्हें ही जाता है. उन्हें साल 1962 में अत्यंत कम तापमान पर तरल हीलियम के व्यवहार (liquid helium's behavior) के अनुसंधान के लिए भौतिकी में नोबल पुरस्कार (Nobel Prize) से सम्मानित किया गया था.

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