Chandrayaan-3 के लिए आज बड़ा दिन, विक्रम और रोवर प्रज्ञान के जागने की उम्मीद
Chandrayaan-3 | Twitter

Chandrayaan-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के एक बार फिर जागने की उम्मीद है. 14 दिनों की रात के बाद चांद के साउथ पोल पर एक बार फिर सूरज की रोशनी पहुंचने लगी है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रमा पर सुबह होने के साथ ही अब अपने चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ के सौर ऊर्जा से संचालित लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ के साथ संपर्क स्थापित कर इन्हें फिर से सक्रिय करने का प्रयास कर रहा है ताकि वे वैज्ञानिक प्रयासों को जारी रख सकें. इसरो ने लैंडर और रोवर को स्लीप मोड में डालने से पहले बैटरी के फुल चार्ज रखा था. इसरो के मुताबिक, लैंडर और रोवर के सोलर पैनल पर सूरज की रोशनी पड़ते ही ये काम करना शुरू कर सकते हैं. Aditya-L1 ने खींची पृथ्वी और चंद्रमा की शानदार तस्वीरें, अंतरिक्ष से देखें धरती का अद्भुत नजारा.

लैंडर और रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया था कि सूर्योदय होने पर सूर्य का प्रकाश सीधे सौर पैनलों पर पड़े. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र, जहां लैंडर और रोवर दोनों स्थित हैं, पर सूर्य की रोशनी फिर से आने और उनके सौर पैनल के जल्द ही चार्ज होने की उम्मीद है. उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को ये फिर से काम करना शुरू करेगा. चंद्रमा पर रात होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों इस महीने की शुरुआत में क्रमशः चार और दो सितंबर को स्लीप मोड में चले गये थे.

इसरो यदि चंद्रमा पर सूर्योदय होते ही लैंडर और रोवर को फिर से सक्रिय कर देता है तो चंद्रयान-3 के पेलोड द्वारा एक बार फिर से प्रयोग किये जा सकेंगे. इसरो अब लैंडर और रोवर के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने और इन्हें सक्रिय करने का प्रयास कर रहा है.

स्लीप मोड में जाने से पहले विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर एक बार फिर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की थी. अपनी पोस्ट में ISRO ने बताया था,' फिलहाल, बैटरी पूरी तरह चार्ज है. रिसीवर को चालू रखा गया है. उम्मीद है कि रोवर अपने असाइनमेंट के दूसरे सेट को पूरा करने के लिए एक बार फिर नींद से जागेगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो वह चांद पर भारत के चंद्र राजदूत (Lunar Ambassador) के तौर पर मौजूद रहेगा.

चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया गया था. आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3 रॉकेट के जरिए इसे स्पेस में भेजा था. 23 अगस्त को इसने चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की थी. भारत ऐसा करने वाला पहला देश है.