शौकिया गणितज्ञ ने खोजी एकदम नई आकृति, सुलझाई 60 साल पुरानी समस्या
इंग्लैंड में रहने वाले एक सेवानिवृत्त प्रिटिंग टेक्नीशियन डेविड स्मिथ ने एक नयी आकृति खोजी है, जिसे लेकर विशेषज्ञों में खासी हलचल है.
इंग्लैंड में रहने वाले एक सेवानिवृत्त प्रिटिंग टेक्नीशियन डेविड स्मिथ ने एक नयी आकृति खोजी है, जिसे लेकर विशेषज्ञों में खासी हलचल है.डेविड स्मिथ एक रिटायर्ड प्रिंट टेक्निशियन हैं. उत्तरी इंग्लैंड में रहने वाले 64 वर्ष के स्मिथ सेवानिवृत्त होने के बाद अपने पुराने शौक आकृतियों के साथ समय बिता रहे थे. पिछले नवंबर में उन्होंने एक ऐसी आकृति खोज निकाली, जिसे अब तक देखा और सोचा ही नहीं गया था.
जब स्मिथ ने मार्च में अपनी इस नयी आकृति को दुनिया के साथ साझा किया तो लोगों ने इसे हाथोहाथ लिया. इसे टीशर्ट, रजाइयों, बिस्कुट और यहां तक कि फुटबॉल तक पर प्रिंट किया गया. कुछ लोगों ने तो ऐसे टैटू बनवाने की भी योजना बना ली.
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यह 13 भुजाओं वाला एक बहुभुज है जिसे स्मिथ ने द हैट नाम दिया है. यह पहली ऐसी आकृति है जो अकेले ही पूरी सतह को इस तरह ढक सकती है कि कहीं भी पैटर्न दोबारा इस्तेमाल नहीं होता. इस आकृति के जरिये स्मिथ ने गणित की एक 60 साल पुरानी समस्या को भी सुलझा दिया है, जिसे आइनस्टाइन नाम दिया गया था. यह नाम वैज्ञानिक आइनस्टाइन के नाम पर नहीं बल्कि जर्मन शब्द से आता है, जिसका अर्थ होगा एक पत्थर.
शुद्धतम आइन्स्टाइन
पूरी दुनिया के गणितज्ञों का हैरत में डाल देने वाले स्मिथ को गणित में कोई विशेषज्ञता हासिल नहीं है. बल्कि वह तो कहते हैं कि स्कूल के दौरान वह गणित में अच्छे विद्यार्थी तक नहीं थे. वैज्ञानिकों ने यह तो माना कि द हैट पहली आइन्स्टाइन है लेकिन इसकी मिरर इमेज को लेकर कुछ समस्याएं बताई गईं. इसलिए कुछ गणितज्ञों ने स्मिथ की मदद की ताकि इसे सैद्धांतिक रूप से सिद्ध किया जा सके.
पिछले महीने इस बारे में एक शोध पत्र इंटरनेट पर प्रकाशित हुआ था. इस शोध में नयी आकृति तैयार की गई, जिसे द स्पेक्टर नाम दिया गया. स्पेक्टर में मिरर इमेज की समस्या भी सुलझ गयी और अब यह शुद्धतम आइन्स्टाइन बन गयी है.
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कनाडा की वॉटरलू यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंटिस्ट क्रेग कैपलन कहते हैं कि यह "मजेदार और लगभग हास्यास्पद लेकिन अद्भुत कहानी है.” कैपलन कहते हैं कि बीते नवंबर में उन्हें डेविड स्मिथ का ईमेल मिला था. कैपलन के मुताबिक उस ईमेल में उन्हें कुछ ऐसा मिला जो आकृतियों के व्यवहार को लेकर उनकी उम्मीदों से बाहर की चीज थी.
अगर आप इन आकृतियों को गत्ते पर काट कर उसे एक मेज पर सजाएं तो आप अनंत काल तक उन्हें जोड़ते रह सकते हैं और कभी भी एक पैटर्न दोबारा नहीं आएगा. कैपलन और दो अन्य गणितज्ञों ने कंप्यूटर प्रोग्राम का इस्तेमाल किया और दिखाया कि आकृति अनंतकाल तक बनाई जा सकती है. इस तरह सिद्ध हुआ कि यह पहली आइन्स्टाइन है.
बड़ी खोज है
जब मार्च में पहली बार इस आकृति को प्रकाशित किया गया तो जिन लोगों का ध्यान पर इस पर गया, उनमें जापान के योशिआकी अराकी भी थे. अराकी की दिलचस्पी टाइलों में है. उन्होंने ‘द हैट' का इस्तेमाल करके एक कलाकृति बनाई. उसमें एक अन्य आकृति भी जोड़ी गई थी और नयी आकृति को ‘द टर्टल' नाम दिया गया. लेकिन उस आकृति में कई जगह ‘द हैट' को पलटकर इस्तेमाल करना पड़ा था.
उसे देखने के बाद स्मिथ फिर से काम पर जुट गये ताकि एक ऐसी आकृति बनायी जा सके, जिसे पलटना ना पड़े और वह चलती रहे. एक हफ्ते की मेहनत के बाद स्मिथ ने कैपलन को एक नयी आकृति ईमेल की. कैपलन कहते हैं कि उन्हें तो यकीन ही नहीं हुआ कि "यह इतना सरल हो सकता है.” लेकिन कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और आकृति में इधर-उधर कुछ कोने बदलने से यह सिद्ध हो गया.
कैपलन कहते हैं कि इन शोध पत्रों को प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों की समीक्षा के लिए भेजा गया है. हालांकि वैज्ञानिक इस नयी खोज को लेकर बेहद उत्साहित हैं. अमेरिका के स्मिथ कॉलेज में पढ़ाने वालीं गणितज्ञ मार्जरी सेनेशल कहती हैं कि यह एक ‘उत्साहजनक, हैरतअंगेज और मजेदार' खोज है. मार्जरी कहती हैं कि स्पेक्टर की खोज कुदरत की व्यवस्था को और गहराई से समझने में मददगार साबित होगी.
वीके/एए (एएफपी)