आज के इस दौर में हर शख्स पर सोशल मीडिया (Social Media) का असर बड़े पैमानें दिखाई देता है. स्मार्टफोन आने की वजह से हर कोई एक-दूसरे से सोशल मीडिया पर जुड़ना पसदं करता है. समय के साथ-साथ लोगों में सोशल मीडिया के प्रति रूचि लगातार बढ़ती जा रही है.यही कारण है कि आज स्मार्टफोन लेने से पहले यूजर्स सोशल मीडिया पर ई-कॉमर्स साइट पर फीचर्स देखना पहले पसंद करते है.जहां पहले लोग रिटेल स्टोर जाकर फोन के फीचर्स पता कर खरीदते थे. लेकिन सोशल मीडिया (Social Media) आने की वजह से लोग ऑनलाइन फोन ऑर्डर करते है. सोशल मीडिया साइट फेसबुक (Facebook), ट्विटर (Twitter) और इंस्टाग्राम (Instagram) बड़े पैमाने पर यूजर्स पर प्रभाव डालते है जिससे वे अपना मन बदल देते है. यही वजह है कि बड़ी- बड़ी कंपनियां मार्केटिंग के लिए फेसबुक (Facebook), ट्विटर (Twitter) और इंस्टाग्राम (Instagram) का इस्तेमाल करती है.
बता दें कि ट्विटर (Twitter) और फेसबुक (Facebook) पर आनेवाली लगभग हर चीज Paid होती है. इसलिए जरूरत है कि आप बिना कुछ सोचे समझे ऐसे प्रमोशनल चीजों पर आसानी से भरोसा ना करें. फ्लैश सेल और लुभावने डिस्काउंट ऑफर्स की वजह से यूजर्स आसानी से इसके झांसे में आ जाते है. इसी कड़ी में अगर आप नया स्मार्टफोन (Smartphone) खरीदने का मन बना रहे हैं तो इन बातों पर यकीन ना करें.
1- आप ई-कॉमर्स साइट पर दिए गए स्मार्टफोन के रिव्यु पर पूरी तरह से भरोसा ना करें. क्योंकि हो सकता है तो वह रिव्यु Paid हो. जिससे नेगेटिव रिव्यु आपको नहीं पता चल पाएगा. इसके पीछे की वजह है कि कई ब्रांड्स सिर्फ Paid रिव्यु पर फोकस करते है. यह भी पढ़े-PUBG Mobile दे रहा फ्री में Oppo F9 Pro स्मार्टफोन जीतने का मौका, आज है आखिरी दिन
2-नया ब्रांडेड फोन शुरू में टॉप परफॉर्मेंस और बैटरी रिजल्ट्स दिखाएगा. लेकिन यह बात आप भी जानते है कि कोई चीज जितना ज्यादा इस्तेमाल करेंगे ये बेंचमार्क पर असर करेगा. इसलिए जरूरत है कि स्मार्टफोन ऑर्डर करते वक्त आप बेंचमार्क पर ज्यादा फोकस ना करें.
3- अधिकतर यूजर्स यह देखकर फोन खरीदते है कि कौन सा स्मार्टफोन सबसे ज्यादा बिका है. क्योंकि उन्हें लगता है कि जो स्मार्टफोन ज्यादा बिक रहा है वो अच्छा होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. हो सकता है कि किसी कंपनी के टॉप-5 में होने के चलते उसका प्रोडक्ट बेस्ट हो. Apple कभी भी भारत में शीर्ष 5 ब्रांडों में शामिल नहीं रहा है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि Apple फोन खरीदने लायक नहीं है.
4- कई कंपनियां अपने स्मार्टफोन को बेहतर बताने के लिए DxOMark रेटिंग का इस्तेमाल कर यूजर्स को यकीन दिलाती है कि उनके कंपनी का कैमरा सबसे बेहतर है. लेकिन टेस्ट में आये परिणाम इसके उलट है. यह भी पढ़े-ऑनलाइन ठगी और ATM फ्रॉड के मामले बढ़े, इन एहतियाती कदमों को अपनाकर बच सकते हैं आप
5-स्मार्टफोन खरीदते वक्त कंपनी द्वारा बताये गए यूएसपी यानि यूनीक सेलिंग पॉइंट पर ज्यादा ध्यान न दें. क्योंकि आप एक पूरा प्रोडक्ट खरीद रहे हैं. इसलिए स्मार्टफोन में मौजूद एक फीचर्स के बेहतर होने से कोई फायदा नहीं है.
6- कोई भी कंपनी अपने ब्रैंड का फ्लैश सेल सही नहीं बताती है. कंपनी सेल में 10 यूनिट्स भी ला सकती है और 1000 यूनिट्स या 10,000 यूनिट्स भी. इसलिए यह कहना गलत होगा कि फ्लैश सेल में जल्दी-जल्दी डिवाइस बिक जाने की वजह उसकी बहुत ज्यादा डिमांड है.
7-दरअसल सभी फीचर्स के साथ कंपनी अपने फोन को बेचने के लिए ड्यूरेबिलिटी दिखा करके यूजर्स को टारगेट करती है. इसलिए जरूरत है कि आप इस बात का ध्यान रखें कि सभी ग्लास फोन टूट सकते है. वही बिना IP68 रेटिंग वाले किसी डिवाइस को भीग जानें पर उसका इस्तेमाल करना सेफ नहीं है.
8-सोशल मीडिया पर मार्केटिंग हेड सहित कंपनी के बाकि लोगों द्वारा स्मार्टफोन को लेकर किये जा रहे दावों को देखकर फोन खरीदने का निर्णय ना लें. क्योंकि उनकी जिम्मेदारी है कि वे अपनी कंपनी का फोन ज्यादा से ज्यादा बेचें.