International Chess Day 2023: कब है अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस? जानें इसका इतिहास, महत्व एवं शतरंज से जुड़े कुछ रोचक फैक्ट!

लगभग डेढ़ हजार साल पुराना शतरंज मूलतः भारतीय खेल है, इसे चतुरंग भी कहते हैं, बुद्धि और कौशल का प्रतीक शतरंज आज दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय है. इसकी लोकप्रियता को देखते हुए फेडरेशन इंटरनेशनेल डेस एचेक्स ने प्रत्येक वर्ष 20 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया

Chess (Photo Credits: Pixabay)

International Chess Day 2023: लगभग डेढ़ हजार साल पुराना शतरंज मूलतः भारतीय खेल है, इसे चतुरंग भी कहते हैं, बुद्धि और कौशल का प्रतीक शतरंज आज दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय है. इसकी लोकप्रियता को देखते हुए फेडरेशन इंटरनेशनेल डेस एचेक्स (Federation Internationale des Echecs) ने प्रत्येक वर्ष 20 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. चूंकि 1924 में इसी दिन फेडरेशन इंटरनेशनेल डेस एचेक्स की स्थापना हुई थी, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस के लिए यह दिन चुना गया. गौरतलब है कि यह दिवस विशेष दुनिया भर के छह सौ मिलियन (60 करोड़) से अधिक नियमित शतरंज खिलाड़ियों द्वारा मनाया जाता है. आइये जानते हैं अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस के इतिहास, महत्व एवं इससे जुड़े कुछ रोचक फैक्ट के बारे में. यह भी पढ़े: International Day of Education 2023: कब है अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस? जानें इसका इतिहास, उद्देश्य और वर्तमान में भारत का शैक्षिक स्तर!

क्या है इसका इतिहास?

अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ की स्थापना 20 जुलाई 1924 में पेरिस में हुई थी, इसी आधार पर 20 जुलाई को विश्व शतरंज दिवस मनाया जाता है, हालांकि आधिकारिक घोषणा 12 दिसंबर 2019 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी. जहां तक शतरंज के उद्भव की बात है तो कहा जाता है कि एक फारसी पांडुलिपि उल्लेखित है कि एक भारतीय राजदूत ने राजा खोसरो को शतरंज प्रदान किया था, जो बाद में बीजान्टियम और अरब प्रायद्वीप सहित दुनिया भर में लोकप्रिय हो गया. वस्तुतः शतरंज शब्द चतुरंगा से आया है, जिसका अर्थ है चार विभाग. कहते हैं कि शतरंज चार लोगों द्वारा खेला जाने वाला खेल है. एक अन्य मान्यता अनुसार प्राचीन काल में युद्ध के लिए सेना के चार अंगों हाथी, घोड़ा, रथ और पैदल सेना तैयार की जाती थी, जिसे चतुरंगिणी सेना कहते थे, इस तरह शतरंज के संदर्भ में तमाम तरह की मान्यताएं हैं.

अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस का महत्व

शतरंज वस्तुतः बुद्धिजीवियों का खेल है, जिसमें उच्च-स्तरीय सोच, तत्काल निर्णय लेने दक्षता, कुशलता और बेहतर रणनीत शामिल है. प्रारंभ में यह खेल राजघरानों में खेला जाता था. इस खेल में विचार-मंथन, रचनात्मकता, सामरिक चाल और उच्च-स्तरीय तर्क-वितर्क जरूरी है. शतरंज खेलने से खिलाड़ियों की मानसिक क्षमता बढ़ती है और उन्हें लीक से हटकर सोचने में मदद मिलती है. शतरंज प्रतियोगिता के विजेताओं को अक्सर उच्च मानसिक क्षमताओं वाले शख्सियत के रूप में लोगों के रूप में परिभाषित किया जाता है, शतरंज का खेल व्यक्ति के बौद्धिक विकास एवं सशक्त मानसिक शक्ति के स्तर को दर्शाता है.

शतरंज के खेल में भारत

शतरंज भारतीय इतिहास के पुराने खेलों में एक है, जो पिछले कुछ ही सालों में दुनिया भर में लोकप्रियता के झंडे गाड़ चुका है. जहां तक खेल के मैदान में बिछे शतरंज के बिसात की बात है तो साल 1988 में भारत के विश्वनाथन आनंद देश के पहले ग्रैंडमास्टर बने थे. उसके बाद से वह पांच बार विश्व चैंपियन भी रहे. आनंद एवं आल इंडिया चेस फेडरेशन के प्रयासों से ही भारत शतरंज ओलंपियाड जैसी प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा है.

शतरंज के चौंकाने वाले फैक्ट!

* शतरंज का खेल भारत में गुप्त साम्राज्य से शुरू हुआ और फारसी सासानिद साम्राज्य तक फैल गया.

* मुगलों द्वारा फारस को हराने के पश्चात शतरंज ने मुगलों के बाद मध्य पूर्व फिर यूरोप और रूस में लोकप्रियता हासिल की.

* 1894 से 1920 तक (27 वर्ष) तक विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब एमानुएल लास्कर नामक जर्मन डॉक्टर के पास है.

* शतरंज के खेल का सबसे लंबी चुनौती इवान निकोलिक बनाम गोरान अर्सोविक के बीच खेला गया था, जो 269 चालों में बराबरी पर समाप्त हुआ.

* शतरंज में ‘चेकमेट’ शब्द फारसी वाक्यांश ‘शाह मैट’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘राजा मर चुका है.’

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