नई दिल्ली, 22 अक्टूबर : भारत-पाकिस्तान का मैच दुनिया में दर्शकों को एक अलग अनुभव दिलाता है, जहां दोनों देशों के क्रिकेट प्रशंसक अपनी-अपनी टीमों का समर्थन करते हुए नजर आते हैं. 1952 में दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान में दोनों देशों के बीच पहला टेस्ट खेले जाने के बाद से यह पिछले कुछ वर्षों में कई गुना बढ़ गया है. ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां छोटी-छोटी बातों पर विवाद हुआ है, उनमें से एक 18 अप्रैल 1986 को शारजाह में खेले गए ऑस्ट्रल-एशिया कप का फाइनल था. पाकिस्तान के जावेद मियांदाद ने आखिरी गेंद पर चेतन शर्मा की गेंद पर छक्का लगाकर फाइनल में जीत हासिल करने के बाद 36 साल से अधिक समय बीत चुका है. छक्का मारने के बाद मियांदाद जिस तरह अपने दोनों हाथ उठाकर ड्रेसिंग रूम की तरफ दौड़े, वह पल दोनों टीमों के प्रशंसक आज तक नहीं भुला पाए हैं.
फाइनल में क्रिस श्रीकांत (80 गेंदों पर 75 रन), सुनील गावस्कर (134 गेंदों पर 92 रन) और दिलीप वेंगसरकर (64 गेंद पर 50 रन) के शानदार प्रदर्शन के दम पर भारत ने 50 ओवर में सात विकेट के नुकसान पर 245 रन बनाए. पाकिस्तान के लिए वसीम अकरम ने तीन विकेट लिए, जबकि कप्तान इमरान खान ने दो विकेट लिए. पाकिस्तान की शुरूआत धीमी रही और उसने 61 रन पर तीन विकेट गंवा दिए. नंबर 4 पर आकर मियांदाद ने पाकिस्तान की पारी को आगे बढ़ाया और शानदार शतक जड़ा. पाकिस्तान को मैच जीतने के लिए अंतिम गेंद पर चार रन चाहिए थे. चेतन शर्मा ने यॉर्कर डालने का फैसला किया. लेकिन मियांदाद ने इसे फुलटॉस बनाकर छक्का लगाया. यह भी पढ़ें : India vs Pakistan: रोहित शर्मा ने इन दो खिलाड़ियों की दिल खोलकर की तारीफ, फिर भी प्लेयिंग XI में जगह पक्की नहीं- Watch Video
मियांदाद ने अपनी आत्मकथा 'कटिंग एज: माई आटोबायोग्राफी' में इस घटना का वर्णन किया है. उन्होंने आगे लिखा, "मुझे पता था कि गेंदबाज यॉर्कर डालने की कोशिश करेगा, इसलिए मैंने क्रीज पर आगे निकलकर खड़े होने का फैसला किया. वे कहते हैं कि गेंदबाज ने यॉर्कर फेंकने की कोशिश की, लेकिन गेंद उनके हाथ से फिसल गई." चेतन शर्मा के लिए यह एक ऐसा पल था जिसे वह कभी नहीं भूले. शायद, एक ऐसा पल जिसे क्रिकेट फैंस ने उन्हें कभी भूलने भी नहीं दिया.