महेंद्र सिंह धोनी का अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला साहसी और निस्वार्थ था : शास्त्री
भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री का कहना है कि टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला साहसी और निस्वार्थ कदम था. शास्त्री ने साथ ही कहा कि धोनी 2014 में 90 टेस्ट खेल चुके थे लेकिन उन्होंने 100 टेस्ट खेलने तक का इंतजार नहीं किया.
नई दिल्ली, 3 सितम्बर : भारतीय टीम (Indian Team) के कोच रवि शास्त्री का कहना है कि टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला साहसी और निस्वार्थ कदम था. शास्त्री ने साथ ही कहा कि धोनी 2014 में 90 टेस्ट खेल चुके थे लेकिन उन्होंने 100 टेस्ट खेलने तक का इंतजार नहीं किया. शास्त्री ने अपनी किताब स्टारगेजिंग : द प्लेयर्स इन माई लाइफ में लिखा, "धोनी उस वक्त ना सिर्फ भारत के बल्कि दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी थे जिनके नाम तीन आईसीसी ट्रॉफी थी जिसमें दो विश्व कप शामिल हैं. उनकी फॉर्म अच्छी थी और वह 100 टेस्ट पूरे करने से सिर्फ 10 मैच दूर थे."
उन्होंने लिखा, "धोनी टीम के शीर्ष तीन फिट खिलाड़ियों में थे और उनके पास अपने करियर को बूस्ट करने का मौका था. यह सच है कि वह ज्यादा जवान नहीं थे लेकिन इतने उम्रदराज भी नहीं थे. उनका निर्णय समझ में नहीं आया." भारत के पूर्व ऑलराउंडर, जिन्होंने अपनी किताब में कई खिलाड़ियों के बारे में लिखा है, उन्होंने कहा कि उन्होंने भारत के पूर्व विकेटकीपर को अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए मनाने की कोशिश की. हालांकि, उन्हें लगता है कि धोनी ने इस पर टिके रहकर सही फैसला लिया. धोनी ने जब संन्यास लिया था उस वक्त शास्त्री टीम निदेशक की भूमिका में थे. यह भी पढ़ें: IND vs ENG: घुटने से खून निकलने के बावजूद एंडरसन ने जारी रखी थी गेंदबाजी
शास्त्री ने लिखा, "सभी क्रिकेटर कहते हैं कि लैंडमार्क और माइलस्टोन मायने नहीं रखते, लेकिन कुछ करते हैं. मैंने इस मुद्दे पर एक संपर्क किया और कोशिश कर रहा था कि वह अपना मन बदल सकें. लेकिन धोनी के लहजे में एक ²ढ़ता थी जिसने मुझे मामले को आगे बढ़ाने से रोक दिया. पीछे मुड़कर देखने पर, मुझे लगता है कि उनका निर्णय सही, साहसिक और निस्वार्थ था." उन्होंने कहा, "क्रिकेट में सबसे पावरफुल पॉजिशन को छोड़ना इतना आसान नहीं होता. धोनी एक अपरंपरागत क्रिकेटर हैं. उनकी विकेट के पीछे और सामने तकनीक का कोई तोड़ नहीं है. युवाओं को मेरा सुझाव है कि जब तक यह स्वाभाविक रूप से न आए, तब तक उनकी नकल करने की कोशिश न करें."
शास्त्री ने कहा, "धोनी के समय खेलने वाला कोई भी विकेटकीपर इतना तेज नहीं था. वह लंबे समय तक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रहे. धोनी मैदान पर जो कुछ भी हो रहा था, उसके अवलोकन में तेज थे और जब खेल की प्रवृत्ति को पढ़ने के आधार पर निर्णय लेने की बात आती थी तो वह अजीब थे." कोच ने कहा, "उनकी यह क्वालिटी ज्यादा नोटिस नहीं की गई क्योंकि वह कम गलतियां करते थे. निर्णय समीक्षा प्रणाली के साथ उनकी सफलता न केवल अच्छा निर्णय दिखाती थी, बल्कि यह भी बताती थी कि कॉल करने के लिए वह स्टंप के पीछे कितनी अच्छी स्थिति में होते थे." शास्त्री ने धोनी को सचिन तेंदुलकर और कपिल देव के अलावा तीन सबसे प्रभावशाली भारतीय क्रिकेटरों में से एक करार दिया.