नई दिल्ली, 9 अगस्त : भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) से संबंधित लगभग 100 सांसदों ने शुक्रवार को संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस बैठक का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी कोटे के भीतर क्रीमी लेयर लागू करने के संबंध में दिए गए फैसले पर चर्चा करना था. सांसदों ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि यह फैसला लागू नहीं किया जाना चाहिए.
सांसदों ने स्पष्ट किया कि उनका विरोध उपवर्गीकरण के खिलाफ नहीं है, बल्कि एससी/एसटी समुदाय के लिए क्रीमी लेयर के प्रावधान के खिलाफ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट शेयर कर इस मुलाकात की जानकारी दी और आश्वासन दिया कि एससी/एसटी समुदाय के लिए क्रीमी लेयर का प्रावधान लागू नहीं किया जाएगा. यह भी पढ़ें : मध्य प्रदेश सीएम मोहन यादव ने हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर से की बात, 1 करोड़ के इनाम का ऐलान
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते हफ्ते एससी/एसटी वर्ग के कोटे में उपवर्गीकरण को मंजूरी दी थी. कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी कैटेगरी के भीतर नई उपश्रेणियां बनाई जा सकती हैं और इसके तहत अत्यंत पिछड़े तबके को अलग से आरक्षण दिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य सरकारें कोटे के भीतर कोटे की अनुमति दे सकती हैं, लेकिन उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह निर्णय राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के आधार पर न लिया जाए. यदि ऐसा होता है, तो निर्णय की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई राज्य सरकार किसी जाति को कोटे के अंदर कोटा देती है, तो उस राज्य सरकार को यह साबित करना होगा कि यह पिछड़ेपन के आधार पर ही किया गया है. यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एससी/एसटी के कुल आरक्षण का 100 प्रतिशत हिस्सा किसी एक वर्ग को न दिया जाए.
प्रधानमंत्री के साथ बैठक में शामिल सांसदों ने जोर देकर कहा कि एससी/एसटी समुदाय के लिए आरक्षण का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करना है. यदि क्रीमी लेयर का प्रावधान लागू किया जाता है, तो यह उन लोगों के लिए नुकसानदायक होगा, जो अभी भी समाज के हाशिए पर हैं. सांसदों ने इस बात पर भी जोर दिया कि एससी/एसटी समुदाय के लिए आरक्षण का उपयोग उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए किया जाना चाहिए, न कि उन्हें और विभाजित करने के लिए.
इस मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एससी/एसटी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देगी. उन्होंने कहा कि सरकार एससी/एसटी समुदाय के साथ खड़ी है और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी. यह आश्वासन सांसदों और एससी/एसटी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो उनके हितों की रक्षा की दिशा में आगे बढ़ने का संकेत है.