दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि चैटजीपीटी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चैटबॉट्स की प्रतिक्रियाएँ किसी अदालत में कानूनी या तथ्यात्मक मुद्दों के निर्णय का आधार नहीं बन सकती हैं. न्यायमूर्ति प्रथिबा एम सिंह ने कहा कि चैटजीपीटी न्यायिक प्रक्रिया में मानवीय बुद्धिमत्ता या मानवीय तत्व का स्थान नहीं ले सकता है और अधिक से अधिक, यह एक उपकरण है जिसका उपयोग प्रारंभिक समझ या प्रारंभिक अनुसंधान के लिए किया जा सकता है और इससे अधिक कुछ नहीं. यह भी पढ़ें: HC On Wife's Threats Of Suicide And Torture: दिल्ली हाई कोर्ट की फटकार, पत्नी की आत्महत्या और प्रताड़ना की धमकी पति के लिए इससे बड़ी यातना नहीं हो सकती

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