हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रेमी/प्रेमिका के खिलाफ विवाह में हस्तक्षेप करने के लिए मुकदमा कर सकता है और स्नेह एवं साथ छिन जाने के एवज में आर्थिक मुआवज़े की मांग कर सकता है. जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की पीठ ने स्पष्ट किया कि भले ही सुप्रीम कोर्ट ने 'जोसेफ शाइन' मामले में व्यभिचार को आपराधिक श्रेणी से हटा दिया हो, लेकिन इसके सिविल परिणाम अब भी संभव हैं. अदालत ने कहा कि यदि किसी तीसरे व्यक्ति के कारण वैवाहिक संबंध टूटते हैं, तो प्रभावित पक्ष उस व्यक्ति के खिलाफ हर्जाने का दावा कर सकता है. यह भी पढ़ें: तलाक के बाद भी मुस्लिम महिला को मिलेगा गुजारा भत्ता, पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला

अदालत ने टिप्पणी की, "जब कोई जीवनसाथी वैवाहिक संबंध टूटने से उत्पन्न क्षति के लिए दावा करता है, तो कानून इसे एक अपकृत्य (टॉर्ट) के रूप में मानता है और विवाह में हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति से मुआवज़ा मांगा जा सकता है." कोर्ट ने यह टिप्पणी उस मामले में दी, जिसमें एक महिला पर एक विवाहित व्यक्ति की पत्नी ने अपने वैवाहिक संबंध बिगाड़ने का आरोप लगाया था. हाई कोर्ट ने उस महिला के खिलाफ दायर मुकदमे को विचारणीय मानते हुए इसे बरकरार रखा.

दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी द्वारा महिला पर लगाए गए आरोप के खिलाफ मुकदमा बरकरार रखा

(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)