भोपाल: शौक वाकई गजब की चीज होती है जिसे पूरा करने के लिए व्यक्ति कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाता है, इसकी बानगी देखने को मिली मध्य प्रदेश में. दरसअल, डिंडोरी जिले में रहने वाले एक वकील को बेहद अजीबो-गरीब किस्म का शौक (Hobby) है, जिसके बारे में हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते. दरअसल, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के डिंडोरी (Dindori) जिले में रहने वाले दयाराम साहू (Dayaram Sahu) पेशे से एक वकील (Lawyer) हैं, लेकिन इनका शौक बेहद खतरनाक है. जी हां, बताया जाता है कि दयाराम साहू पिछले 40-45 सालों से कांच (ग्लास) (Glass) खा रहे हैं. हालांकि उन्हें बचपन से ही कांच खाने का शौक था, जो अब भी बरकरार है. दयाराम साहू का कहना है कि कांच खाना उनकी आदत में शुमार है और उन्हें इसका नशा है.
हालांकि वो यह भी कहते हैं कि इस लत के कारण उनके दांतों को काफी नुकसान हुआ है. वो दूसरों को इसका पालन करने का सुझाव नहीं देंगे, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. उन्होंने कहा कि इसलिए अब उन्होंने कांच का सेवन करना कम कर दिया है.
वीडियो में देखिए कैसे चाव से कांच खा रहे हैं वकील साहब-
#WATCH: Dayaram Sahu, a lawyer from Dindori has been eating glass since last 40-45 years, says,"it's an addiction for me. This habit has caused damage to my teeth. I wouldn't suggest others to follow as it's dangerous for health. I have reduced eating it now." #MadhyaPradesh pic.twitter.com/DRWXXb93qA
— ANI (@ANI) September 14, 2019
इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि दयाराम कितनी आसानी से बल्ब और कांच के बोतल के टुकड़ों को चबा रहे हैं और उसे निगलते हुए नजर आ रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि उनकी पत्नी उन्हें कांच खाने से रोकने की बजाय खुद उनके लिए कांच का इंतजाम करती हैं. हालांकि उनकी पत्नी का कहना है कि उन्होंने कई बार अपने पति को कांच खाने से रोकने की कोशिश की, लेकिन वो कभी नहीं मानें और सालों से कांच खाने की अपनी इस लत को बरकरार रखा है. यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश: 12 फीट लंबे अजगर को देख गांव में मचा हड़कंप, वन विभाग ने किया रेस्क्यू, तस्वीर हुई वायरल
बहरहाल, बताया जाता है कि दयाराम के मन में बचपन से ही कुछ अलग करने की चाहत थी, जिसके चलते बचपन से ही उन्होंने कांच खाना शुरू कर दिया. हालांकि दयाराम ने कांच खाने की शुरुआत शौकिया तौर पर की थी, लेकिन बाद में ये उनकी आदत बन गई, लेकिन दातों को नुकसान पहुंचने की वजह से उन्होंने अब पहले की अपेक्षा कांच खाना कम कर दिया है.