यूक्रेन: कभी चलाती थी गोली, अब बन गई ब्यूटी क्वीन

21 साल की यूक्रेनियन(Ukraine)लड़की जो एक टीनेज निशानेबाज थीं उन्होंने ब्यूटी पीजेंट का खिताब जीत लिया है. ओल्गा शिशकिना(Olga Shishkina) सौंदर्य प्रतियोगिता में अपना रास्ता बनाने से पहले पूर्वी यूक्रेन की लड़ाई में एक निशानेबाज थीं...

Olga Shishkina (Photo Credits: East2West News Social Media, @NewsflashN Twitter)

21 साल की यूक्रेनियन(Ukraine)लड़की जो एक टीनेज निशानेबाज थीं उन्होंने ब्यूटी पीजेंट का खिताब जीत लिया है. ओल्गा शिशकिना(Olga Shishkina) सौंदर्य प्रतियोगिता में अपना रास्ता बनाने से पहले पूर्वी यूक्रेन की लड़ाई में एक निशानेबाज थीं. शुरुआत में उनपर यूक्रेनी जासूस होने का शक था, लेकिन अब वो विद्रोहियों में से एक है. ओल्गा ने एक बार एक किलोमीटर दूर तक निशाना लगाया था.

ओल्गा के पास्ट की बात करें तो, डेली मेल(Daily Mail) से बात करते हुए उन्होंने बताया कि "मैंने लोगों को नहीं मारा, निशानेबाजों(Snippers) के बारे में ऐसा कहना सही नहीं है. मेरे लिए वो लोग दुश्मन हैं और मेरे टार्गेट. मैं उन लोगों के बारे में नहीं सोचती जिन्हें मैं शूट करती हूं. मुझे नहीं लगता मैंने जिन्हें शूट किया है उनके बच्चे होंगे, मां या फॅमिली होगी. ये एक लड़ाई है और मेरे लिए ऐसे जीना आसान है. मुझे अपने आप पर कोई शर्म नहीं है और मैंने जिन्हें मारा है मुझे उसका कोई पछतावा नहीं है. क्योंकि मैंने किसी भी आम इंसान कोई नहीं मारा."

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ओल्गा  एक तथाकथित पीपल्स ऑफ़ डोनेट्स्क के लिए लड़ रही थी जो उक्रेन से अलग हुआ क्षेत्र है. दो साल पहले उन्हें डोनेट्स्क के एक यूनिट में ट्रान्सफर कर दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने 'लेडी ऑफ द रिपब्लिक ब्यूटी पीजेंट में भाग लिया था. जिसमें उन्होंने सारे टेस्ट पास कर लिए जिसके बाद ओल्गा का कॉन्फिडेंस लेवल और बढ़ गया, ओल्गा ने बताया वो बहुत से लोगों से मिली जिसके बाद उन्हें रियलाइज हुआ के आर्मी के बाहर भी दूसरी ज़िन्दगी है.

ब्यूटी पीजेंट में उन्हें अपने जीवन में कठोर परिवर्तन के लिए लेडी ट्रांसफॉर्मेशन शीर्षक से सम्मानित किया गया. उन्हें पुरस्कार में एक लैपटॉप मिला जिसके साथ ओल्गा ने डोनेट्स्क में कैफे शुरू किया. फ्यूचर में ओल्गा का शादी का भी प्लान है. वोल्गा ने बताया के वो 14 भाई बहनों में से एक थी जिनकी ज़िन्दगी अनाथ आश्रम में गुजरी. जब वो पांच साल की थी तो उनके पिता उन्हें अपने साथ ले गए, लेकिन पिता की मौत के बाद उन्हें अनाथ आश्रम  वापस आना पड़ा.

ओल्गा ने सेना में भर्ती ली क्योंकि 2014 कि लड़ाई में उनका अनाथ आश्रम निशाने पर था. ओल्गा पर यूक्रेनी जासूस होने का शक था, इस दौरान उन्हें महीनों निगरानी में रखा गया था.

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