प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को बांटेंगे छात्रों को साइकिल? जानें वायरल मैसेज की सच्चाई
दूसरी सबसे अहम बात यह है कि नेशनल पोर्टल (india.gov.in) पर दी गई भारत सरकार की वेब डायरेक्ट्री में दिए गए यूआरएल का कहीं भी कोई जिक्र नहीं किया गया है.
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर रोजाना तरह-तरह के मैसेज वायरल होते रहते है. जिनकी सच्चाई सामने आने के बाद पता चलता है कि वो खबर गलत या फर्जी है. इसी कड़ी में एक ऐसा ही मैसेज वायरल हो रहा है. जिसमे यह दावा किया जा रहा है कि 15 अगस्त के दिन देश के PM नरेंद्र मोदी छात्रों को सरकारी स्कीम के तहत मुफ्त में साइकिल बांटेंगे. आलम यह है कि इस तरह के मैसेज में छात्रों से दिए गए लिंक के माध्यम से फॉर्म भरने की भी अपील की गयी है. इसके साथ ही इस मैसेज को अधिक से अधिक फॉरवर्ड करने की अपील की गई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्र इस स्कीम का फायदा ले सकें.
#जानिए क्या वायरल मैसेज में दिए गए URL का मोदी सरकार से कोई संबंध है?
बताना चाहते है कि इस वायरल मैसेज में फॉर्म भरने के लिए एक वेबसाइट का लिंक दिया गया है- http://Bharat-sarkar.com/साईकिल. जानकारी के लिए बताना चाहते है कि भारत सरकार की सभी वेबसाइट नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर डेवलप करता है. इसके अलावा भारत सरकार की ज्यादातर वेबसाइट के यूआरएल में nic.in या gov.in होता है. चौकानेवाली बात यह है कि वायरल मैसेज में दिए गए यूआरएल में ये दोनों चीजें नदारत है.
दूसरी सबसे अहम बात यह है कि नेशनल पोर्टल (india.gov.in) पर दी गई भारत सरकार की वेब डायरेक्ट्री में दिए गए यूआरएल का कहीं भी कोई जिक्र नहीं किया गया है.
इसलिए सबूतों के आधार पर वायरल मैसेज में दिए गए यूआरएल (URL)का भारत सरकार से कोई लेना-देना नहीं है.
जानिए वायरल मैसेज के URL में है क्या?
बता दें कि वायरल मैसेज में दिए गए यूआरएल http://Bharat-Sarkar.com/साईकिल/ पर क्लिक करने पर एक पेज खुलता है, जिसमें नीचे डिटेल्स भरने के लिए फॉर्म दिया गया है और ऊपर पीएम की तस्वीर, अशोक स्तंभ और साईकिल स्कीम का नाम दिया गया है.
इस वेबसाइट पर 'नियम और शर्तें' का लिंक भी दिया गया है. इस लिंक पर क्लिक करने पर एक नया पेज खुलता है, जहां लिखा गया है कि इस वेबसाइट का केंद्र सरकार या किसी अन्य राजनीतिक दल से कोई लेना देना नहीं है.
इसी कड़ी में बताना चाहते है कि फैक्ट चेकर वेबसाइट BOOM ने इस वेबसाइट और यूआरएल के बारे में रिसर्च की तो पाया कि ये वेबसाइट देश की राजधानी में डिजाइन की गई थी.
अपनी पड़ताल में BOOM ने यह भी पाया कि ये मैसेज वास्तव में हिंदी में लिखे गए पहले के मैसेज को एडिट कर लिखा गया था. बताना चाहते है कि पहले इसी मैसेज में 15 अगस्त को छात्रों को मुफ्त में स्कूल बैग दिए जाने का दावा किया गया था. हम तो यही कहेंगे की कोई भी मैसेज की पड़ताल किये बगैर कोई कदम ना उठाये. जिससे आपके साथ किसी तरह की धोखाधड़ी हो जाए.