Anne Frank Google Doodle: एनी फ्रैंक के डायरी प्रकाशन की 75वीं वर्षगांठ, गूगल ने एनिमेटेड स्लाइड शो डूडल के जरिए किया सम्मानित
सर्च इंजिन गूगल ने मशहूर यहूदी जर्मन-डच डायरिस्ट और होलोकॉस्ट पीड़ित ऐनी फ्रैंक को खास डूडल के जरिए याद किया है. गूगल ने एनी फ्रैंक को उनके डायरी के प्रकाशन की 75वीं वर्षगांठ पक एनिमेटेड स्लाइड शो डूडल के जरिए सम्मानित किया है.
Anne Frank Google Doodle: सर्च इंजिन गूगल (Google) ने मशहूर यहूदी जर्मन-डच डायरिस्ट और होलोकॉस्ट पीड़ित ऐनी फ्रैंक (Anne Frank) को खास डूडल के जरिए याद किया है. गूगल ने एनी फ्रैंक को उनके डायरी के प्रकाशन की 75वीं वर्षगांठ पर एनिमेटेड स्लाइड शो (Animated Slide Show) डूडल (Doodle) के जरिए सम्मानित किया है. इस स्लाइड शो में उनसे जुड़ी घटनाओं को दर्शाया गया है. एनी ने इस डायरी को तब लिखा था, जब वो 13-15 साल की थीं. इस डूडल में बताया गया है कि एनी द्वारा लिखी यह डायरी होलोकॉस्ट और युद्ध की घटनाओं के बारे में पढ़ी जाने वाली सबसे मार्मिक डायरियों में से एक है.
12 जून 1929 को जन्मीं एनी फ्रैंक द्वारा लिखी गई डायरी होलोकॉस्ट के दौरान घाटी में हुई घटनाओं को दर्शाने वाली एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बनकर सामने आई. इसका इस्तेमाल इतिहास की किताब की तरह किया जाने लगा. एनी के जन्म के कुछ समय बाद ही उनकी फैमिली फ्रैंकफर्ट जर्मनी को छोड़कर नीदरलैंड आ गई, क्योंकि वहां अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जाने लगा.
विश्व युद्ध 2 की शुरुआत के दौरान एनी 10 साल की थीं और इस युद्ध के दौरान जर्मनी ने नीदरलैंड पर हमला कर दिया था. जिसका प्रभाव एनी और उनकी फैमिली पर भी पड़ा. युद्ध के कारण लाखों यहूदियों को मजबूरन अपना घर छोड़कर भागने या छुपने पर मजबूर होना पड़ा. एनी के परिवार को भी सब कुछ छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा. एनी के पास उस समय एक चेकर हार्डबैक नोटबुक मिला, जिसमें उन्होंने अपने 25 महीने के हर अनुभव को अपनी डायरी में लिखा था. एनी को यकीन था कि उनकी डायरी युद्ध के बाद प्रकाशित की जाएगी. यह भी पढ़ें: Gama Pehlwan's 144 Birthday Google Doodle: गामा पहलवान के जन्मदिन पर गूगल ने ख़ास डूडल बनाकर किया उन्हें याद
नाजी सरकार द्वारा एनी की फैमिली को 4 अगस्त 1944 को पकड़ लिया गया और उन्हें डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया, जहां उनसे कठोर परिश्रम करवाया गया और उन्हें यातनाएं दी गई. कुछ महीनों बाद एनी और मार्गोट फ्रैंक को जर्मनी के बर्गन बेल्सन एकाग्रता शिविर ले जाया गया, उस दौरान शिविर में घातक बीमारियां तेजी से फैलने लगी, जिसके चलते एनी और मार्गोट ने दम तोड़ दिया. 15 साल की उम्र में दम तोड़ने वाली एनी की लिखी हुई डायरी ‘दी डायरी ऑफ एनी फ्रैंक’ को नॉन फिक्शन किताब के तौर पर प्रकाशित किया गया और उसे 80 भाषाओं में ट्रांसलेट किया गया.