Fact Check: मौसम में बदलाव और बारिश होने से कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर लगेगी ब्रेक? जानिए हकीकत
कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से देश का एक बड़ा हिस्सा गंभीर रूप से प्रभावित है और यह महामारी अब तेजी से ग्रामीण इलाकों में भी पांव पसार रही है. हालांकि बीते कुछ हफ्तों से संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन मौत के आंकड़े अभी भी डरावने है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण की दूसरी लहर से देश का एक बड़ा हिस्सा गंभीर रूप से प्रभावित है और यह महामारी अब तेजी से ग्रामीण इलाकों में भी पांव पसार रही है. हालांकि बीते कुछ हफ्तों से संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन मौत के आंकड़े अभी भी डरावने है. कुछ हेल्थ एक्सपर्ट इस महामारी की तीसरी लहर को लेकर भी आगाह कर रहे है. इस बीच सोशल मीडिया पर कोविड-19 को लेकर तमाम तरह की अफवाहें फैलाई जा रही है. एक इसी तरह के दावे की पोल पीआईबी फैक्ट चेक (PIB Fact Check) ने खोली है. Fact Check: ऑक्सीजन की कमी होने पर होम्योपैथिक दवा Carbo Vegetabilis आएगी काम? जानें क्या है वायरल मैसेज का सच
एक मैसेज में दावा किया गया है कि देश में मौसम परिवर्तन होने व बारिश की वजह से कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार रुकेगी. पीआईबी फैक्ट चेक ने ट्वीट कर स्पष्ट किया कि यह दावा बिलकुल गलत है. साथ ही अपील कि की ऐसी अफवाहों पर विश्वास न करें और न ही ऐसे फर्जी संदेशों को शेयर कर के भ्रम फैलाएं.
मौसम परिवर्तन और बारिश का कोविड-19 संक्रमण की दर से कोई संबंध नहीं है. इसके कोई वैज्ञानिक साक्ष्य भी नहीं है. कोरोना की रफ़्तार केवल कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने से कम की जा सकती है. महामारी से जंग जितने के लिए सभी को ठीक से मास्क पहनना चाहिए, बार-बार हाथ धोना या सैनीटाइज़ करना चाहिए. साथ ही सामाजिक दूरी का पालन अवश्य ही करना चाहिए.
लेटेस्टली भी अपने पाठकों से अपील करता है कि कोरोना वायरस से संबंधित किसी भी फेक मैसेज पर विश्वास न करें और गलत सूचना न फैलाएं. इससे लोगों में दहशत का माहौल उत्पन्न होता है. जनता को सिर्फ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, डब्ल्यूएचओ (WHO) और अन्य संस्थाओं के आधिकारिक बयानों पर ही विश्वास करना चाहिए.
Fact check
क्या सच में मौसम परिवर्तन और बारिश से कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम हो सकती है?
यह दावा फर्जी है. महामारी केवल कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार का पालन करने से ही कम की जा सकती है.