Fact Check: क्या एक समुदाय के लोगों को COVID-19 के बहाने जबरन क्वारेंटाइन में भेजा जा रहा है? PIB फैक्ट चेक से जानें इस वायरल दावे की सच्चाई
कोरोना वायरस संकट के बीच सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि एक समुदाय के लोगों को कोविड-19 के बहाने जबरन क्वारेंटाइन में ले जाया जा रहा है, जो हकीकत में डिटेंशन केंद्र है. पीआईबी फैक्ट चेक में पता चला है कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा यह दावा झूठा है. ऐसी खबरों का मकसद समाज में केवल भेदभाव पैदा करना है.
Fact Check: कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के खिलाफ पूरी दुनिया एकजुट होकर लड़ रही है. चीन (China) के वुहान (Wuhan) से फैले इस घातक जानलेवा वायरस (Dedly Virus) के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए दुनिया के तमाम देशों ने लॉकडाउन का विकल्प चुना है. कोविड-19 (COVID-19) के प्रकोप से बचने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) और सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) को ही अब तक सबसे कारगर विकल्प माना जा रहा है. एक ओर जहां पूरी दुनिया इस वैश्विक त्रासदी से निपटने की तमाम कोशिशें कर रही है, तो वहीं इस संकट की घड़ी में सोशल मीडिया पर फेक न्यूज के सैलाब से कहीं न कहीं इस मुहिम को प्रभावित करने की कोशिशें भी जारी हैं. जी हां, सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर कई फेक खबरें वायरल (Viral Fake News) हो रही हैं, जिनकी मदद से लोगों को गुमराह किया जा रहा है.
इंटरनेट पर तमाम फेक खबरों (Fake News) के बीच एक खबर ऐसी भी है कि एक समुदाय विशेष के लोगों को जानबूझकर कोविड-19 के बहाने क्वारेंटाइन (Quarantine) में ले जाया जा रहा है, जो कि वास्तव में डिटेंशन सेंटर है. इस दावे के साथ सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था, जिसकी पड़ताल पीआईबी फैक्ट चेक (PIB Fact Check) ने की. यह भी पढ़ें: Fact Check: क्या मुस्लिम है बांद्रा में लोगों की भीड़ इकट्ठा करने वाला विनय दुबे? जानें उसके धर्म और पिता के नाम को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्ट की सच्चाई
दावा- सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि एक समुदाय के लोगों को कोविड-19 के बहाने जबरन क्वारेंटाइन में ले जाया जा रहा है, जो हकीकत में डिटेंशन केंद्र है.
वास्तविकता- सोशल मीडिया पर किया जा रहा यह दावा झूठा है. ऐसी खबरों का मकसद समाज में केवल भेदभाव पैदा करना है.
पीआईबी फैक्ट चेक-
गौरतलब है कि पीआईबी फैक्ट चेक में इस दावे को बिल्कुल गलत और निराधार बताया गया है. दरअसल, कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए संदिग्धों का टेस्ट कराया जा रहा है, जिसका किसी विशेष समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है. सिर्फ उन्हीं लोगों को ही क्वारेंटाइन किया जा रहा है जिनमें कोरोना के लक्षण पाए जा रहे हैं या फिर जिनसे दूसरों में संक्रमण फैलने का खतरा है. यह भी पढ़ें: Fact Check: क्या पीएम मोदी ने लॉकडाउन के बीच हर व्यक्ति के खाते में 15,000 रुपए जमा करने का किया था वादा? PIB फैक्ट चेक ने बताई इस खबर की सच्चाई
बहरहाल, सोशल मीडिया पर लगातार इस तरह की फेक खबरें सामने आ रही हैं, जबकि पीआईबी फैक्ट चेक के जरिए लोगों तक तमाम दावों की हकीकत को पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. इसके साथ ही कोरोना वायरस संकट की इस घड़ी में लोगों से लगातार यह अपील भी की जा रही है कि वे सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे किसी भी दावे की वास्तविकता जाने बगैर उन पर भरोसा न करें.
Fact check
सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि एक समुदाय के लोगों को कोविड-19 के बहाने जबरन क्वारेंटाइन में ले जाया जा रहा है, जो हकीकत में डिटेंशन केंद्र है.
सोशल मीडिया पर किया जा रहा यह दावा झूठा है. ऐसी खबरों का मकसद समाज में केवल भेदभाव पैदा करना है.