World Food Day 2020: 16 अक्टूबर- विश्व खाद्य दिवस पर विशेष

कोविड-19 महामारी फैलने पर जब दुनिया के तमाम देशों में जब लॉकडाउन लगाया गया, तो सबसे बड़ी चिंता लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने की जताई गई. यहां तक संयुक्त राष्‍ट्र ने भी सभी सदस्य देशों को एक पत्र जारी करके कहा कि सरकारें अपने देश के लोगों को भूखे मत रहने दें.

विश्व खाद्य दिवस 2020 (Photo Credits: Pixabay)

कोविड-19 महामारी फैलने पर जब दुनिया के तमाम देशों में जब लॉकडाउन लगाया गया, तो सबसे बड़ी चिंता लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने की जताई गई. यहां तक संयुक्त राष्‍ट्र ने भी सभी सदस्य देशों को एक पत्र जारी करके कहा कि सरकारें अपने देश के लोगों को भूखे मत रहने दें. ऐसे में आबादी के लिहाज़ से दूसरे सबसे बड़े देश भारत पर सबसे बड़ा संकट था, लेकिन भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा की नई योजना के साथ 130 करोड़ की आबादी वाले देश में 81 करोड़ लोगों के लिए भोजन का इंतजाम किया. विश्‍व खाद्य दिवस, जिसे हर वर्ष 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, पर भारत सरकार की इस उपलब्धि के बारे में जानना बेहद जरूरी है. क्योंकि भारत की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य वितरण योजना है. इस योजना पर बात करने से पहले हम एक नज़र डालते हैं इतिहास पर.

दि फूड एंड एग्रीकल्‍चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) संयुक्त राष्‍ट्र की इकाई है जो भुखमरी से लड़ने के लिए विश्‍व स्तर पर काम करती है. हर व्‍यक्ति को अच्‍छी गुणवत्ता का भोजन मिले, यह इस संगठन का मकसद है. यह संगठन 130 देशों में सक्रिय है। संगठन का मानना है कि दुनिया का हर व्‍यक्ति भुखमरी को खत्म करने में योगदान दे सकता है. एफएओ का मानना है कि दुनिया में पर्याप्त मात्रा में खाद्य उत्पादन होता है और हर किसी को पर्याप्‍त भोजन मिल सकता है. चिंताजनक बात यह है कि दो दशक के अथक प्रयासों के बवजूद आज भी 870 मिलियन लोग गंभीर रूप से भुखमरी का शिकार हैं. बच्चों की बात करें तो 171 मिलियन पांच वर्ष की आयु से कम के बच्‍चे हैं, जो कुपोषित हैं. वहीं 104 मिलियन बच्‍चों का वजन औसत से कम है. इनमें 55 मिलियन बच्‍चे गंभीर रूप से कुपोषण का शिकार हैं.

भारत में खाद्य मंत्रालय का इतिहास:

द्वितीय विश्‍व युद्ध के दौरान भारत को खाद्य की भारी कमी का सामना करना पड़ा था और अपनी आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए 01 दिसम्‍बर, 1942 को गवर्नर जनरल्‍स काउंसिल के वाणिज्‍य सदस्‍य के अधीन एक खाद्य विभाग की स्‍थापना की गई थी. गृह विभाग ने एक नए खाद्य विभाग का गठन किया और बेंजामिन जॉर्ज होल्‍ड्सवर्थ, सीआईई, आईसीएस पहले सेक्रेटरी फूड बने.

बेंजमिन ने पदभार ग्रहण करते हुए कहा, "मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि भारत सरकार के खाद्य विभाग ने कार्य शुरू कर दिया है और इसने चीनी और नमक (लेकिन चाय अथवा कॉफी नहीं) सहित खाद्य पदार्थों के मूल्‍य और संचलन को नियंत्रित करने से संबंधित सभी मुद्दे अपने हाथ में ले लिए हैं. खाद्य पदार्थों से संबंधित निर्यात व्‍यापार नियंत्रण संबंधी प्रशासन इस विभाग को हस्‍तांतरित करने के संबंध में अधिसूचना जारी की जा रही है. सेना के लिए खाद्य पदार्थों की खरीद, जो इस विभाग का एक कार्य होगा, एतद्पश्‍चात् घोषित की जाने वाली तारीख तक आपूर्ति विभाग द्वारा जाती रहेगी."

विभाग के कार्य में वृद्धि होने के कारण अगस्‍त, 1943 में खाद्य सदस्‍य का एक अलग पोर्टफोलियो बनाया गया. वर्ष 1946 में, जब भारत की अंतरिम सरकार बनी. तब डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद देश के पहले खाद्य एवं कृषि विभाग के मंत्री बने.

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आज़ादी के बाद बढ़ती गई खाद्य मंत्रालय की जिम्मेदारी:

भारत के आज़ाद होने के बाद खाद्य विभाग का पुनर्गठन किया गया. 29 अगस्‍त, 1947 को खाद्य मंत्रालय ने साकार रूप लिया. उपलब्‍ध रिकार्ड के अनुसार वर्ष 1947 में शर्करा और वनस्‍पति निदेशालय खाद्य मंत्रालय का एक अंग था. अधिक प्रशासनिक कार्य कुशलता और मितव्‍ययिता को ध्‍यान में रखकर 01 फरवरी, 1951 को कृषि मंत्रालय को खाद्य मंत्रालय के साथ मिला दिया गया, जिससे खाद्य और कृषि मंत्रालय का गठन हुआ. समय के साथ-साथ कार्य की मात्रा में उल्‍लेखनीय वृद्धि होने के कारण दो अलग मंत्रालयों अर्थात् खाद्य मंत्रालय और कृषि मंत्रालय का गठन अक्टूबर, 1956 में किया गया, लेकिन 17 अप्रैल, 1957 को फिर से इनका विलय करके खाद्य और कृषि मंत्रालय का नाम दिया गया. 30 दिसम्‍बर, 1958 को केंद्रीय और राज्‍य भंडारण निगमों से संबंधित कार्य खाद्य और कृषि मंत्रालय के अंतर्गत खाद्य विभाग को हस्‍तांतरित किया गया. और इसी तरह मंत्रालय का कारवां आगे बढ़ता गया ओर नई-नई जिम्मेदारियां बढ़ती गईं.

कोरोना काल में सबसे बड़ी खाद्यान्न वितरण योजना:

कोविड-19 महामारी के दौरान भारत सरकार ने मार्च 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का ऐलान किया. इस योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) और अंत्योदय अन्न योजना (AAY) में शामिल लगभग 81 करोड़ लोगों का पेट भरने का बीड़ा उठाया गया. 81 करोड़ यानी अमेरिका की जनसंख्‍या का ढाई गुना, यूरोपियन यूनियन की जनसंख्‍या का दुगना और यूके की जनसंख्‍या का 12 गुना. इन सभी लाभार्थियों को 5 किलो चावल/गेहूं मुफ्त प्रदान किया जा रहा है. राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अब तक कुल 33.40 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उठाया जा चुका है.

इस योजना के तहत भारतीय खाद्य निगम ने खाद्यान्नों की खरीद में नए कीर्तिमान स्थापित किए. हाल ही में समाप्त फसल सीजन में 389.76 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 504.91 लाख मीट्रिक टन चावल की खरीद की गई. मई 2020 तक 74 करोड़ लोग इस योजना से लाभान्वित हुए. अप्रैल से जून, 2020 तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के सफल कार्यान्वयन के बाद भारत सरकार ने इस योजना को जुलाई से नवंबर 2020 तक 5 महीने के लिए और बढ़ा दिया.

जुलाई से नवंबर, 2020 तक PMGKAY-II के लिए कुल आवंटन 200.19 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न (91.33 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 109.96 लाख मीट्रिक टन चावल) वितरित किया जाएगा. इस योजना के लाभार्थियों के साथ-साथ राज्य सरकारों से भी बहुत उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है. PMGKAY-II के लिए आवंटित 200.19 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त खाद्यान्न सहित भारत सरकार द्वारा 5 महीनों के दौरान समाज के कमजोर वर्गों को वितरित किए जाने वाले खाद्यान्न की कुल मात्रा लगभग 455 लाख मीट्रिक टन होगी.

NFSA और AAY के तहत प्रत्येक लाभार्थी को सब्सिडी वाले कीमतों पर अपने नियमित रूप से मिलने वाले खाद्य अनाज के कोटा के अलावा 5 किलोग्राम गेहूं या चावल बिल्कुल मुफ्त दिया जा रहा है. खास बात यह है कि भारतीय खाद्य निगम ने इस काम के लिए व्यापक और विस्तृत लॉजिस्टिक प्लानिंग की और सुगमता के साथ क्रियान्‍व‍ित किया और बीते 5 महीनों में आवंटन के अनुसार खाद्यान्न स्टॉक देश के हर हिस्से तक पहुंचाया. इस योजना के क्रियान्‍वयन में शुरुआत में 1.7 लाख करोड़ रुपए का बजट रखा गया, जिसमें बाद में 90 हजार करोड़ रुपए का बजट और बढ़ाया गया.

विशेष आयोजन के साथ एमएओ की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा भारत:

दि फूड एंड एग्रीकल्‍चर ऑर्गनाइजेशन की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्‍य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 रुपए के स्मृति सिक्के का अनावरण करेंगे. यह स्‍मृति सिक्का एफएओ के साथ मजबूत संबंधों का प्रमाण है. इस मौके पर भारत के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गईं फसलों की 17 जैविक प्रजातियों को राष्‍ट्र को समर्पित करेंगे। इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री, वित्त मंत्री, महिला एवं बाल विकास कल्‍याण मंत्री के साथ-साथ आंगनवाड़ी कार्यकत्रियां, कृषि विज्ञान केंद्रों, जैविक केंद्रों व हॉर्टी कल्‍चर में कार्यरत लोग शिरकत करेंगे.

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