Dhanteras Date 2025: धनतेरस कब है 18 या 19 अक्टूबर को? जानें इसका महत्व, मूल-तिथि, विभिन्न शहरों में धनतेरस पूजा के मुहूर्त एवं पूजा-विधि के बारे में?
पांच दिवसीय दीपावली महापर्व की शुरुआत धनतेरस से ही होती है. हिंदुओं के लिए इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. इस पर्व को कई बातों के लिए जाना जाता हैं.
Dhanteras Date 2025: पांच दिवसीय दीपावली महापर्व की शुरुआत धनतेरस से ही होती है. हिंदुओं के लिए इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. इस पर्व को कई बातों के लिए जाना जाता हैं. विष्णु पुराण के अनुसार समुद्र-मंथन के दौरान इसी दिन हाथों में अमृत-कलश लेकर ब्रह्माण्ड के प्रथम चिकित्सक भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे. इस दिन भगवान धन्वंतरि के साथ-साथ धन के देवता कुबेर और सुख एवं समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होती है. इस दिन मृत्यु देवता यम के नाम पर दीप प्रज्वलित करते हैं, जिसे यमदीपम कहते हैं.
यह पर्व धन, समृद्धि, सौभाग्य और सेहत से जुड़ा है. यह साल के सबसे शुभ दिनों में एक होता है, जब लोग सोना, चांदी, बर्तन एवं कीमती वस्तुएं खरीदते हैं. आइये जानते हैं धनतेरस पर्व के महत्व, इसकी मूल तिथि, शुभ मुहूर्त, एवं पूजा विधि आदि के बारे में.ये भी पढ़े:Dhanteras 2025 Date: धनतेरस पर सोना कब और किस मुहूर्त पर खरीदें? जानें धनत्रयोदशी की मूल तिथि, मुहूर्त एवं दीपावली के इस पहले पर्व का महत्व!
धनतेरस का महत्व
धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि समुद्र-मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे. इस दिन धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. इस दिन लोग सोना, चांदी और बर्तन के अलावा घर, गाड़ी एवं फैक्ट्री जैसी कीमती वस्तुएं भी खरीदते हैं, क्योंकि माना जाता है कि इससे सौभाग्य और सफलता मिलती है, तथा धन में वृद्धि होती है. सूर्यास्त के पश्चात दीप प्रज्वलित करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
धनतेरस 2025 मूल तिथि एवं समय
कार्तिक त्रयोदशी प्रारंभ: 12.18 PM (18 अक्टूबर 2025)
कार्तिक त्रयोदशी समाप्त: 01,51 PM (19 अक्टूबर 2025)
धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 07.12 PM से 08.16 PM तक (18 अक्टूबर 2025)
(कुल अवधि: 1 घंटा 05 मिनट)
यम दीपम: 18 अक्टूबर, 2025
प्रदोष काल: 05.45 PM से 08.16 PM तक
वृषभ काल: 07.12 PM से 09.07 PM तक
प्रमुख शहरों में धनतेरस की पूजा मुहूर्त
नई दिल्ली: 07.16 PM से 08.20 PM तक
मुंबई: 07.49 PM से 08.41 PM तक
कोलकाता: 06.41 PM से 07.38 PM तक
चेन्नई: 07.28 PM से 08.15 PM तक
जयपुर: 07.24 PM से 08.26 PM तक
हैदराबाद: 07.29 PM से 08.20 PM तक
अहमदाबाद: 07.44 PM से 08.41 PM तक
बेंगलुरु: 07.39 PM से 08.25 PM तक
पुणे: शाम 07.46 PM से 08.38 PM तक
गुड़गांव: 07.17 PM से 08.20 PM तक
नोएडा: 07.15 PM से 08.19 PM तक
चंडीगढ़: 07.14 PM से 08.20 PM तक
यम दीपम अनुष्ठान
धनतेरस का एक प्रमुख अनुष्ठान यम दीपम है, जो प्रदोष काल में किया जाता है. मृत्यु के देवता यम को प्रसन्न करने के लिए घर के बाहर दक्षिण दिशा में एक छोटा सा दीप जलाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु से बचाता है और शांति एवं दीर्घायु प्रदान करता है.
धनतेरस पूजा-विधि
सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर घर एवं पूजा स्थल की सफाई करें. मुख्यद्वार पर रंगोली और तोरण लगाएं. मंदिर के समक्ष चौकी स्थापित करें, इस पर पीला वस्त्र बिछाकर देवी लक्ष्मी की प्रतिमा, धन्वंतरि एवं कुबेर की मूर्ति था कुबेर यंत्र रखें. धूप-दीप प्रज्वलित करें. निम्न मंत्र का जाप करें.
लक्ष्मी मंत्र
‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम’
कुबेर मंत्र:
‘ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धन्याधिपतये धनं मे देहि दापय स्वाहा’
धन्वंतरि मंत्र:
‘ॐ धन्वंतरये नमः’
भगवान को हल्दी, कुमकुम, गेंदे का फूल, चावल, अक्षत, इत्र, पान-सुपारी अर्पित करें. नये बर्तन में फल, मिठाई, धनिया, एवं पंचामृत का भोग लगाएं. घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाएं. लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें. अंत में लक्ष्मी जी की आरती उतारें.