Vinayak Chaturthi 2022: नववर्ष की पहली वरद विनायक चतुर्थी? जानें इसका महात्म्य पूजा-विधि, मुहूर्त एवं व्रत कथा!

पौष मास शुक्लपक्ष की गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी एवं वरद चतुर्थी भी कहते हैं. नये साल की पहली गणेश चतुर्थी होने के कारण इसका विशेष महत्व बताया जा रहा है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह विनायक चतुर्थी 06 जनवरी 2022 को मनाई जायेगी. इस दिन विघ्नहर्ता श्रीगणेश जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है.

भगवान श्री गणेश ((Photo Credits: File Image))

पौष मास शुक्लपक्ष की गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी एवं वरद चतुर्थी भी कहते हैं. नये साल की पहली गणेश चतुर्थी होने के कारण इसका विशेष महत्व बताया जा रहा है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह विनायक चतुर्थी 06 जनवरी 2022 को मनाई जायेगी. इस दिन विघ्नहर्ता श्रीगणेश जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. आइए जानते हैं कि नए साल की पहली विनायक चतुर्थी व्रत, पूजा मुहूर्त एवं चंद्रोदय का समय एवं इसकी कथा क्या है?

पौष विनायक चतुर्थी का महात्म्य

हिंदू धर्म के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत, पूजा एवं कथा पढ़ने अथवा सुनने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जीवन में सुख, समृद्धि, शुभता एवं सौभाग्य में वृद्धि होती है. यह व्रत फलाहार होता है, इसलिए दिन में एक बार फलाहार किया जा सकता है. पौष मास स्नान-दान के लिए सबसे पवित्र माह माना जाता है, इसलिए इस माह विनायक चतुर्थी होने के कारण व्रत का महात्म्य कई गुना बढ़ जाता है.

विनायक चतुर्थी पूजा विधिः

विनायक चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई के बाद स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान श्रीगणेश का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें और अपनी मनोकामना व्यक्त करें. इसके पश्चात पंचोपचार विधि से भगवान श्रीगणेश जी की पूजा प्रारंभ करें. सर्वप्रथम गणेश जी को रोली एवं अक्षत का तिलक लगायें. उन्हें 21 गांठ दूर्वा अर्पित करते हुए लाल पुष्प चढ़ाएं. प्रसाद में मौसमी फल एवं मोदक चढ़ाएं. मान्यता है कि दूर्वा और मोदक अर्पित करने से भगवान गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है. पूजा के दरम्यान निरंतर इस मंत्र का जाप करते रहें. यह भी पढ़ें : बेतुके बहाने बनाकर अमिताभ बच्चन के बंगले की दीवार गिराने में देर कर रही बीएमसी: महाराष्ट्र लोकायुक्त

ॐ गं गणपतयै नम:

इसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करें और पूजा पूरी होने के बाद बाद यह मंत्र जपते हुए धन-धान्य, निरोगता एवं शुभता के लिए प्रार्थना करें.

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात।

इसके पश्चात गणेश जी की आरती उतारते हुए पूजा का समापन करें. गणेश चतुर्थी की एक बार पूजा शाम के समय भी करनी चाहिए. अगले दिन प्रातःकाल स्नान-दान के पश्चात भगवान श्रीगणेश जी का ध्यान कर व्रत का पारण करें.

विनायक चतुर्थी (6 जनवरी 2022) तिथि एवं पूजा मुहूर्त

विनायक चतुर्थी प्रारंभः 02.34 PM (05 जनवरी) से

विनायक चतुर्थी समाप्तः12.29 AM (06 जनवरी) तक

ऐसे में विनायक चतुर्थी का व्रत एवं पूजा 6 जनवरी 2022 गुरुवार को रखा जायेगा.

पूजा का मुहूर्तः 11.25 AM से 12.29 PM (06 जनवरी 2022)

वरद विनायक चतुर्थी व्रत कथा

एक दिन भगवान शिव और पार्वती नर्मदा तट पर विहार करते हुए विचार किया कि समय बिताने के लिए शिवजी से चौपड़ खेलने को कहा. तब हार-जीत का फैसला के लिए शिवजी ने एक पुतला बनाकर उसकी प्राण-प्रतिष्ठा कर उससे कहा कि हम चौपड़ खेल रहे हैं. तुम उचित फैसला करके विजेता का फैसला करना. इसके बाद दोनों चौपड़ खेलने लगे. मगर माँ पार्वती तीन बार जीतीं, लेकिन पुतले ने शिवजी को विजेता बताया. बालक के असत्य से नाराज होकर पार्वतीजी ने उसे लंगड़ा होने का श्रॉप दे दिया. बालक ने पार्वतीजी से छमा मांगते हुए उद्धार का मार्ग पूछा. पार्वतीजी ने कहा, यहां जब नाग-कन्याएं गणेश-पूजन के लिए आयेंगी तब तुम उनके अनुसार गणेश-व्रत एवं पूजा करोगे, तभी मुझे प्राप्त कर सकोगे. एक वर्ष पश्चात नाग-कन्याएं आईं. उनके बताये अनुसार बालक ने गणेशजी का व्रत एवं पूजन किया. तब प्रसन्न होकर गणेशजी ने उससे वर मांगने को कहा. बालक ने कहा, हे प्रभु मुझे इतनी शक्ति दीजिये कि मैं स्वयं चलकर माँ के पास कैलाश पहुंचूं. गणेशजी ने उसकी इच्छा-पूर्ति का वरदान दिया. कहते हैं. तभी से यह सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला व्रत माना जाता है.

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