Rare Combination of Planets: आज बना है ग्रहों का बेहद दुर्लभ संयोग, छह ग्रह स्वयं की राशि में हैं विद्यमान

ज्योतिष गणना के अनुसार 13 सितंबर यानि आज का दिन बेहद खास है. आज के दिन 9 ग्रहों में से 6 ग्रह खुद की राशि में विद्यमान है. ऐसा शुभ संयोग सालों में एक बार आता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर यानि आज सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु और शनि ये सभी 6 ग्रह स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे.

ग्रह/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली: ज्योतिष गणना के अनुसार 13 सितंबर यानि आज का दिन बेहद खास है. आज के दिन 9 ग्रहों में से 6 ग्रह खुद की राशि में विद्यमान है. ऐसा शुभ संयोग सालों में एक बार आता है. हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के मुताबिक आश्विन माह (Ashwin Month) के कृष्ण पक्ष की एकादशी (Ekadashi) तिथि पर यानि आज सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु और शनि ये सभी 6 ग्रह स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे.

सूर्य:

ज्योतिष के अनुसार भगवान सूर्य हर माह अपना राशि बदलते रहते हैं. सूर्य इस समय अपने अपने स्वयं की राशि सिंह में विराजमान हैं. सूर्य आगामी 16 सितंबर तक अपने राशि में विराजमान रहेंगे.

चंद्र:

चंद्रमा भी अपने स्वयं की राशि कर्क में विराजमान हैं. चंद्रमा ढाई दिनों में अपनी राशि बदल देते हैं. ज्योतिष गणना में चंद्रमा को मन का कारक कहा जाता है.

मंगल:

मंगल को पृथ्वी का पुत्र कहा जाता है. मंगल बीते 9 सितंबर को वक्री हुए हैं. मंगल वक्री अवस्था की वजह से 4 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 4 मिनट पर रेवती नक्षत्र और मीन राशि में प्रवेश करेंगे. इसके पश्चात् 14 नवंबर की सुबह 6 बजकर 4 मिनट पर मार्गी होकर 24 दिसंबर की सुबह 10 बजकर 16 मिनट पर मेष राशि में प्रवेश करते हुए 22 फरवरी 2021 की सुबह 4 बजकर 33 मिनट तक गोचर करेंगे उसके बाद वह वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे.

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बुध:

बुध मौजूदा समय में अपनी खुद की राशि कन्या में हैं. बुध ने बीते 3 सितंबर को स्वयं की राशि में प्रवेश किया है. बुध को ग्रहों के युवराज का दर्जा प्राप्त है.

गुरु:  

गुरु को सभी ग्रहों में सबसे फलदाई राशि माना जाता है. गुरु 13 सितंबर को स्वयं की राशि में भ्रमण करते हुए वक्री से मार्गी हुए हैं. मौजूदा समय में गुरु स्वयं की राशि में मौजूद हैं.

शनि:

शनि मौजूदा समय में अपनी स्वयं की राशि मकर में गोचर हैं. शनि करीब ढाई वर्ष में एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं. वहीं अगर वह दोबारा उसी राशि में आ जाएं तो उन्हें फिर उस राशि से निकलने में करीब 30 साल का वक्त लगता है.

बता दें कि कुंडली के शुभ भाव में शनि के होने से जातकों को कार्यक्षेत्र में सफलता हासिल होती है, वहीं अगर कुंडली में शनि की दशा खराब होती है तो जातकों को कई तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

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