Navratri 2021 Kalash Sthapana Muhurat Vidhi: शारदीय नवरात्रि पर कलश स्थापना कैसे करें? जानें शुभ मुहूर्त, विधि-मंत्र एवं किस दिन किस शक्ति की होगी पूजा?
October Navratri 2021 Dates: हिंदू धर्म शास्त्रों में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. चार नवरात्रियों में प्रमुख मानी जानेवाली शारदीय नवरात्रि महालया यानी अमावस्या के तुरंत पश्चात शुरु होती है. इन नौ दिनों तक शक्ति की प्रतीक कही जानेवाली माँ दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है.
Kalash Sthapana Muhurat Puja Vidhi: हिंदू धर्म शास्त्रों में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. चार नवरात्रियों में प्रमुख मानी जानेवाली शारदीय नवरात्रि महालया यानी अमावस्या के तुरंत पश्चात शुरु होती है. इन नौ दिनों तक शक्ति की प्रतीक कही जानेवाली माँ दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है. अधिकांश हिंदू घरों में लोग 9 दिनों तक उपवास रखते हुए विधि-विधान से माँ दुर्गा के प्रतीक स्वरूप कलश की स्थापना करते हैं. एवं माँ भगवती की पूजा करते हैं. कलश स्थापना को ही घट-स्थापना भी कहते हैं. देवी पुराण के अनुसार माँ दुर्गा वस्तुतः ब्रह्मा (सृष्टि निर्माता), विष्णु (पालनहार) एवं महेश (संहारक) की संयुक्त शक्तियां हैं, जिनका प्रकाट्य महिषासुर नामक अत्यंत खतरनाक राक्षस का संहार करने के लिए हुआ था, इसीलिए उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहते हैं. मान्यता है कि नवरात्रि व्रत एवं पूजा करने से माँ भगवती की विशेष कृपा से जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है.
कब शुरु हो रही है शरद नवरात्रि? (When is Navratri in 2021)
शारदीय नवरात्रि अश्विन मास की अमावस्या के अगले दिन से शुरु होकर नौ दिनों तक निरंतर चलने वाला पर्व है. इन नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों का व्रत एवं उपासना किया जाता है. चूंकि यह नवरात्रि शीत ऋतु में आती है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं. इस वर्ष यह पर्व 07 अक्टूबर (गुरुवार) 2021 से शुरु होकर 15 अक्टूबर (शुक्रवार) 2021 तक चलेगा. आइये जानें किस दिन किस शक्ति की पूजा-अर्चना की जायेगी. यह भी पढ़ें : Navratri Colours 2021 For 9 Days: मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए जानें किस दिन पहनें किस रंग के कपड़े
कब और किन-किन स्वरूपों में है माँ दुर्गा की पूजा
तारीख हिंदी तिथि नवदुर्गा की तिथियां (Navratri 2021 Dates & Shubh Tithi
07 अक्टूबर, प्रतिपदा घटस्थापना और शैलपुत्री पूजा
08 अक्टूबर, द्वितिया ब्रह्मचारिणी पूजा
09 अक्टूबर, तृतीया एवं चतुर्थी चंद्रघंटा पूजा एवं कुशमांडा पूजा
10 अक्टूबर, पंचमी स्कंदमाता पूजा
11 अक्टूबर, षष्ठी कात्यायनी पूजा
12 अक्टूबर, सप्तमी कालरात्रि पूजा
13 अक्टूबर, अष्टमी महागौरी पूजा
14 अक्टूबर, नवमी सिद्धीदात्री पूजा
15 अक्टूबर, दशमी नवरात्रि पारण एवं दुर्गा विसर्जन
कलश स्थापना की विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व एवं मंत्र (Kalash Sthapana Puja Vidhi Shubh Muhurat)
जिस स्थान पर कलश स्थापना करनी है, उस जगह की अच्छे से सफाई करने के बाद वहां गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें. इसके पश्चात जमीन पर मिट्टी की वेदी बनाकर, उस पर पानी छिड़ककर जौ बिखेर दें. ये जौ देवी अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए बिछाये जाते हैं. अब एक मिट्टी के कलश में जल भर कर उसमें हल्दी की एक गांठ, तिल, सुपारी, दूर्वा, सवा पांच रुपये के सिक्के डालकर कलश पर रोली से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. कलश को मिट्टी की तैयार बेदी के बीचो-बीच दबाकर रखें. कलश पर पांच आम्र पल्लव रखें. इस पर लाल कपड़े में लिपटा जटावाला नारियल रखें. लाल रंग के आसन पर माँ दुर्गा की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित करें. अब देवी का ध्यान करें और इस (Ghatasthapana Vidhi Mantra )मंत्र का उच्चारण करें.
‘खड्गं चक्र गदेषु चाप परिघांछूलं भुशुण्डी शिर:, शंखं सन्दधतीं करैस्त्रि नयनां सर्वांग भूषावृताम।
नीलाश्मद्युतिमास्य पाद दशकां सेवे महाकालिकाम, यामस्तीत स्वपिते हरो कमलजो हन्तुं मधुं कैटभम॥
इस मंत्रोचारण के पश्चात धूप-दीप प्रज्जवलित कर गणेशजी की स्तुतिगान करें. इस बात का ध्यान रखें कि कलश के सामने अखण्ड दीप जलाएं, जिसे नौ दिनों तक जलाना होगा. अब सभी देवी-देवताओं का ध्यान करते हुए उनका आह्वान करें. नैवेद्य चढ़ाएं. तत्पश्चात दाएं हाथ में लाल पुष्प, अक्षत, रोली जल, सिक्का, पान एवं सुपारी लेकर माँ भगवती की पूजा का संकल्प लें. अंत में माँ दुर्गा की आरती उतारने के पश्चात चढ़े हुए भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करना चाहिए.