चीन में कभी बैन रहा साइंस फिक्शन अब मेनस्ट्रीम हुआ
जो साइंस फिक्शन चीन में कभी बैन हुआ करता था, वह अब जुनून की हद तक लोकप्रिय हो रहा है.
जो साइंस फिक्शन चीन में कभी बैन हुआ करता था, वह अब जुनून की हद तक लोकप्रिय हो रहा है. सरकार ने इसे मान्यता दी तो जनता इसके लिए उमड़ पड़ी है.साइंस फिक्शन एक ऐसी कला विधा है जिसे विविधता और एक हद तक आजादी के समर्थक के रूप में देखा जाता है. लंबे समय तक यह विधा चीन के अधिकारियों को रास नहीं आयी और इस पर बैन लगा रहा. लेकिन अब जबकि सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है तो आम जनता के बीच साइंस फिक्शन के लिए प्यार की कोई हद तक नजर नहीं आ रही है.
इसी हफ्ते चीन में वर्ल्डकॉन आयोजित हुआ, जो साइंस फिक्शन के फैन्स का दुनिया का सबसे पुराना और प्रभावशाली मेला है. पहली बार यह चीन में आयोजित हुआ. चेंगदू के साइंस फिक्शन म्यूजियम में इस मेले में भारी भीड़ जुटी और आयोजन का मुख्य आकर्षण रहे बेहद लोकप्रिय और मशहूर साइंस फिक्सन स्टार लेखक लू सीशिन. लू की सीरीज ‘थ्री बॉडी‘ पूरी दुनिया में बिक रही है और उस पर चीन में ‘वांडरिंग अर्थ' नाम से फिल्म भी बनी है.
साइंस-फिक्शन की दुनिया
वर्ल्डकॉन की चमक-दमक से दूर चीन में साइंस फिक्शन का पूरा क्षेत्र एक अलग तरह का रूप ले रहा है. यह एक ऐसी छोटी सी जगह है जहां समाज, पर्यावरण और कई बार तो राजनीति जैसे उन मुद्दों पर भी बात होती है, जिन पर चीन के सार्वजनिक जगहों में चर्चा कम ही सुनायी देती है.
पुरस्कृत लेखक चेन कीफान कहते हैं, "एक तरह से साई-फाई वर्तमान के बारे में बात करने का तरीका है. यह बाहर की काल्पनिक दुनियाओं का सहारा लेता है, किसी और ही समय की बात करता नजर आता है लेकिन असल में इसमें मौजूदा मानवीय परिस्थितियां दिखायी देती हैं.”
चेन का उपन्यास ‘द वेस्ट साइड' चीन में सुदूर भविष्य में बुनी गयी एक कहानी है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक कचरे की सफाईकरने वाले प्रवासी कर्मचारियों की मुश्किलों और चुनौतियों की बात की गयी है. चेन का बचपन गाइजू शहर में बीता है, जो कभी दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक कचरे का दुनिया का सबसे बड़ा ढेर हुआ करता था.
रोजमर्रा के मुद्दे
शियान जियाओतोंग-लिवरपूल यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वालीं लू शी कहती हैं कि पर्यावरणीय विनाश, शहरीकरण, सामाजिक असमानता, लैंगिकता और भ्रष्टाचार कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.
लू शी कहती हैं, "इन सभी को साथ मिलाकर लोग समझ सकते हैं कि चीनी लेखक किस तरह समाज को देख-परख रहे हैं.”
चीन में ऐसा होना एक अनोखी घटना हो सकती है क्योंकि वहां पिछले एक दशक में राजनीतिक और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए जगह लगातार कम हुई है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासन को इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है.
ऐतिहासिक रूप से साइंस फिक्शन चीनी सरकारों के लिए एक मुश्किल विषय रहा है. 1980 के दशक में इस पर ‘अध्यात्मिक प्रदूषण' कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया गया. उसके बाद यह सामाजिक सतह से तो लगभग पूरी तरह लापता हो गया.
हालांकि यह कुछ समय बाद लौटा लेकिन सतह के नीचे ही रहा. लेखिका रेजिना कानयू कहती हैं कि जब वह यूनिवर्सिटी में पढ़ने पहुंचीं तब उन्हें साइंस फिक्शन के कुछ प्रशंसक मिले. मिलकर उन्होंने कैंपस में छोटे-छोटे क्लब बनाये.
इसके बावजूद साइंस फिक्शन को गंभीरता से नहीं लिया गया. चेन कहती हैं कि इसे बच्चों या किशोरों के पढ़ने की चीज माना गया. इसका फायदा भी हुआ. ज्यूरिख यूनिवर्सिटी की जेसिका इम्बाख कहती हैं, "आजादी तो बहुत थी क्योंकि कोई भी साइंस फिक्शन पढ़ नहीं रहा था तो लेखकों के पास कुछ भी लिखने की आजादी थी.”
थ्री बॉडी ने बदल दिया सब कुछ
उसके बाद ‘थ्री बॉडी' की वैश्विक सफलता ने परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया. तकनीकी ताकत की उसकी अद्भुत कहानियों ने मानवता के भाग्य के बारे में जनमानस के भीतर अहसास पैदा किये.
हांगकांग मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी की यू शूयिंग कहती हैं, "आप साइंस फिक्शन को पसंद करें या ना करें, जिस सामाजिक सच्चाई से हम रूबरू हैं, वो लगातार साइंस फिक्शन जैसी दिखाई दे रही है. हम तकनीक रूप से एक अत्याधुनिक समय में जी रहे हैं. आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह तकनीकी हो चुकी है.”
चेन मानते हैं कि चीनी साइंस फिक्शन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिलचस्पी असल में असल जिंदगी की चुनौतियों की वजह से है. वह कहती हैं, "मुझे लगता है कि इस चलन की वजहों की कई परतें हैं लेकिन सबसे बड़ी वजह है चीन का विश्व स्तर पर उभार.”
वीके/एए (एएफपी)