सावन कृष्ण पक्ष चतुर्थी पर गणेशजी के गजानन स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि गणेशजी के इस स्वरूप की पूजा करने से जीवन में चल रही सारी बाधाएं दूर होती हैं, तथा जातक के जीवन में सुख एवं शांति की वर्षा होती है. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इस दिन कुछ विशिष्ठ पूजा एवं उपाय करने से जातक वर्तमान में चल रही समस्याओं से मुक्ति पाता है. यहां कुछ ऐसे ही उपाय बताये जा रहे हैं. इसके साथ इस दुविधा को भी दूर करें कि श्रावण संकष्टी चतुर्थी का व्रत कब रखा जाएगा, 24 या 25 जुलाई 2024 को? आइये जानते हैं इस संदर्भ में ज्योतिष शास्त्री क्या कहते हैं.
कब है श्रावण संकष्टी चतुर्थी व्रत
सावन कृष्ण पक्ष प्रारंभः 07.30 AM (24 जुलाई 2024)
सावन कृष्ण पक्ष समाप्तः 04.19 AM (25 जुलाई 2024)
उदया तिथि के अनुसार श्रावण संकष्टी चतुर्थी का पर्व 24 जुलाई को मनाया जायेगा.
चंद्रोदयः 09.38 PM
इस दिन चंद्रमा की पूजा अर्चना से सुख-शांति मिलती है
सावन संकष्टी चतुर्थी की पूजा के साथ करें ये 5 उपाय
गणेशजी के साथ भगवान शिव की पूजाः वैसे तो संकष्टी चतुर्थी पर गणेशजी की पूजा का विधान है. लेकिन श्रावण चूंकि शिवजी को समर्पित माह है, इसलिए इस दिन गणेशजी एवं शिवजी की संयुक्त पूजा करने से दोहरा पुण्य-फल मिलता है. घर-परिवार में सुख-शांति के साथ नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं. यह भी पढ़ें : Mangla Gauri Vrat 2024: श्रावण माह में मंगला गौरी व्रत क्यों रखा जाता है? जानें क्या है व्रत का महत्व, मंत्र, पूजा-विधि एवं व्रत-कथा!
छात्र इसलिए रखें संकष्टी चतुर्थी व्रतः भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं, जिन छात्रों को शिक्षा में बाधा अथवा परीक्षा-प्रतियोगिताओं में असफलता मिल रही है, उन्हें श्रावण संकष्टी चतुर्थी का व्रत अवश्य रखना चाहिए. ऐसा करने से गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और वे हर परीक्षा पास करते हैं.
अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् का पाठः श्रावण संकष्टी चतुर्थी की पूजा करते समय अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम् का पाठ करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं. गौरतलब है कि अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम एक शक्तिशाली मंत्र है, इसके नियमित पाठ से व्यक्ति की आय में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, आय के नये स्तोत्र खुलते हैं.
ग्रहों की बुरी स्थिति से निपटने हेतुः जिस जातक की कुंडली में किसी भी प्रकार का ग्रह-दोष हो, तो उसे ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए श्रावण संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा करते समय निम्न मंत्र का 108 जाप अवश्य करना चाहिए. शीघ्र ही इसका प्रभाव देखने को मिलेगा.
अथर्वशीर्ष का पाठ करें मिलेंगे ये लाभः तमाम मेहनत और निष्ठा से कार्य करने के बावजूद अगर आपको सफलता नहीं मिल रही है तो श्रावण संकष्टी पर गणेशजी की पूजा करते समय अथर्वशीर्ष का पाठ करें और 11 दूर्वा की गांठ एक-एक कर गणेशजी को अर्पित करें. आपके संकट दूर होंगे.