Saubhagya Sundari Teej Vrat: अखंड सौभाग्य के लिए सुहागन स्त्रियां इस दिन करती हैं, शिव-पार्वती की पूजा! जानें व्रत का महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि!
Teej Vrat (Photo Credits :maxpixel)

  उत्तर एवं दक्षिण भारत में सौभाग्य सुंदरी व्रत का बहुत महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार सौभाग्य सुंदरी तीज का व्रत मार्गशीष मास की तृतीया के दिन मनाया जाता है. हिंदू धर्म में तृतीया माता पार्वती की जन्म तिथि मानी जाती है. ऐसी भी मान्यता है कि इसी तिथि में माँ पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था, और भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इसके बाद से ही मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की तृतीया को सौभाग्य सुंदरी का व्रत एवं पूजा की शुरूआत हुई. इस बार सौभाग्य सुंदरी तीज का व्रत 11 नवंबर 2022 दिन शुक्रवार को रखा जायेगा.

सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत का महत्व

   सौभाग्य सुंदरी व्रत ‘तीज’ एवं ‘करवा चौथ’ के समान महत्वपूर्ण होता है. यह व्रत जीवन में सकारात्मकता एवं सौभाग्य लाने के लिए मनाया जाता है. इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा-व्रत करती हैं. मान्यता है कि जो सुहागिन महिलाएं सच्चे मन से मां पार्वती और शंकर जी की पूजा करती हैं. उनकी वैवाहिक जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं, तथा दाम्पत्य जीवन में मधुरता आती है, साथ ही सुख शांति, समृद्धि एवं ऐश्वर्य में कभी कमी नहीं होती है. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार सौभाग्य सुंदरी तीज का व्रत अच्छे वर की कामना के लिए करते हैं. इसके साथ ही 'मांगलिक दोष' तथा कुंडली में प्रतिकूल ग्रह दोषों को समाप्त करने के लिए भी यह व्रत बहुत शुभकारी माना जाता है.  सौभाग्य सुंदरी व्रत महिलाओं के लिए 'अखंड सौभाग्य का वरदान' होता है. यह भी पढ़ें : Dreams Meaning & Spirituality: सपने में खुद को अकेले या सार्वजनिक रूप से नग्न देखने का क्या आशय हो सकता है?

सौभाग्य सुंदरी पूजा का शुभ मुहूर्त

 हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्णपक्ष की तृतीया तिथि 11 नवंबर, 2022 दिन शुक्रवार को समाप्त हो रहा है. सौभाग्य सुंदरी की पूजा निम्न शुभ मुहूर्त के अनुसार है.

 पूजा का शुभ मुहूर्तः 09.22 AM से 10.43 AM बजे तक (11 नवंबर 2022)

ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार सौभाग्य सुंदरी के इस व्रत एवं पूजा में शिव एवं सिद्ध योग बन रहे हैं. सभी जानते हैं कि शुभ कार्यों के लिए ये दोनों योग बहुत शुभ माने जाते हैं.

पूजा-विधि?

 इस दिन सुहागन स्त्रियां ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-दान करती हैं. इसके पश्चात भगवान शिव एवं माता पार्वती का ध्यान कर पूजा एवं व्रत का संकल्प लेती हैं और अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करती हैं. इसके पश्चात सोलह श्रृंगार करती हैं. घर के मंदिर के सामने एक चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछायें. इस चौकी पर माता पार्वती एवं भगवान शिव की तस्वीर अथवा प्रतिमा स्थापित करें. प्रतिमा के सामने धूप एवं दीप प्रज्जवलित करें. तथा भगवान शिव एवं माता पार्वती के इन मंत्रों का जाप करें.

माता पार्वती के मंत्र

* ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमःऊँ पार्वत्यै नमः।।

* ॐ साम्ब शिवाय नमः ॐ गौर्ये नमः।।

* देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

पुत्रान देहि सौभाग्यम देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

रुपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

ॐ उमायै नम:।।

ॐ पार्वत्यै नम:।।

ॐ जगद्धात्र्यै नम:।।

ॐ शांतिरूपिण्यै नम:।।

ॐ शिवायै नम:।।

भगवान शिव के पूजा मंत्र

ॐ हराय नम:।।

ॐ महेश्वराय नम:।।

ॐ शूलपाणये नम:।।

ॐ पिनाकवृषे नम:।।

ॐ शिवाय नम:।।

ॐ पशुपतये नम:।।

  इसके बाद शिव-पार्वती की प्रतिमा के समक्ष मोली, रोली, चावल, सुपारी और पान अर्पित करें. सौभाग्य सुंदरी तीज पूजा करते समय भगवान शिव के परिवार के साथ नौ ग्रहों की भी पूजा की जाती है. इस दिन माता पार्वती के लिए विशेष भोग तैयार किये जाते हैं. अंत में शिव एवं पार्वती जी की आरती उतारते हैं और लोगों को प्रसाद वितरित करते हैं. इसके बाद व्रत का पारण करते हैं.