Dussehra 2018: जानें क्यों विजयादशमी पर पान खाने की है परंपरा, बजरंगबली से जुड़ा है इसका कनेक्शन
दशहरे के दिन भी भगवान राम मे लंकापति रावण का वध किया था और विजय प्राप्त की थी. हनुमान जी श्रीराम के परम भक्त कहे जाते हैं और उन्हें पान बेहद पसंद है, इसलिए कहा जाता है कि दशहरे के दिन पान का बीड़ा चढ़ाने बजरंगबली अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं.
शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन विजयादशमी यानी दशहरे का पर्व मनाया जाता है. असत्य पर सत्य की विजय के इस पर्व को देशभर में भाईचारे के साथ मनाया जाता है. इस दिन देश में कई जगहों पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है. सोने की पत्तियों का आदान-प्रदान करके लोग एक-दूसरे को विजयादशमी की बधाई देते हैं. दशहरे के दिन नए कार्यों की शुरुआत करना, खरीददारी करना, गहने खरीदना इत्यादि बेहद शुभ माने जाते हैं. इसके अलावा इस दिन कुछ परंपराओं का निर्वाह भी किया जाता है, जिनमें से एक है श्रीराम भक्त हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाना और उस पान का सेवन करना.
मान्यताओं के अनुसार, दशहरे के दिन भी भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था और विजय प्राप्त की थी. हनुमान जी श्रीराम के परम भक्त कहे जाते हैं और उन्हें पान बेहद पसंद है, इसलिए कहा जाता है कि दशहरे के दिन पान का बीड़ा चढ़ाने बजरंगबली अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं.
हनुमान जी को बेहद पसंद है पान
बजरंगबली को अष्ट सिद्धि प्राप्त है यानी उन्हें धन की देवी लक्ष्मी के आठों रूपों का आशीर्वाद प्राप्त है. ऐसे में अगर आप दशहरे के दिन उन्हें पान का बीड़ा अर्पित करते हैं तो इससे आप पर लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी. अगर हनुमान जी प्रसन्न होंगे तो इससे आपको भगवान राम का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा. यह भी पढ़ें: Dussehra 2018: विजयादशमी पर क्यों बांटे जाते हैं सोने के पत्ते, जानें इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता
दशहरे के दिन पान खाना होता है शुभ
पान को जीत व प्रेम का प्रतीक माना जाता है और बीड़ा का अर्थ है कि हम दशहरे के दिन सही राह पर चलने का बीड़ा उठाते हैं. दशहरे पर रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि दशहरे के दिन पान खाकर लोग असत्य पर सत्य की विजय का जश्न मनाते हैं.
मांगलिक कार्यों में होता है पान का इस्तेमाल
मान्यताओं के अनुसार पान का पत्ता मान और सम्मान का भी प्रतीक होता है, यही वजह है कि हिंदू धर्म में मागंलिक और शुभ कार्यों के दौरान पान का उपयोग किया जाता है. पान के पत्ते का उपयोग शादी-विवाह, कथा और पाठ जैसे कामों में किया जाता है. पूजा के दौरान देवी-देवताओं को पान-सुपारी अर्पित किया जाता है और नवरात्रि में भी मां दुर्गा के पूजन में पान-सुपारी चढ़ाया जाता है. यह भी पढ़ें: Dussehra 2018: इन Messages के जरिए दीजिए अपने दोस्तों को विजयादशमी की शुभकामनाएं
पान से बेहतर होती है पाचन क्रिया
शारदीय नवरात्रि के समय मौसम का मिजाज बदलने लगता है, जिससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है. नवरात्रि में नौ दिनों के उपवास के बाद जब लोग अन्न ग्रहण करते हैं तो इससे उनकी पाचन क्रिया प्रभावित होती है. ऐसे में दशहरे के दिन पान खाने की यह परंपरा पाचन क्रिया को सामान्य बनाए रखने में मदद करती है.
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