दुनिया भर में फरवरी माह के अंतिम दिन को ‘दुर्लभ रोग दिवस’ के रूप मे मनाया जाता है. इस दिन को सेलिब्रेट करने का मुख्य उद्देश्य दुर्लभ रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और ऐसे दुर्लभ रोग से ग्रस्त व्यक्तियों का समुचित उपचार कर एक स्वस्थ समाज को विकसित करना है. संक्षेप में कहें तो दुर्लभ रोग दिवस दुर्लभ बीमारियों के खिलाफ एक आंदोलन है, एक क्रांति है, जिससे सेहत की देखभाल में समानता और दुर्लभ रोगों से पीड़ितों के उचित निदान के लिए कुछ समाजसेवी संगठन सक्रिय हैं. साल 2008 में स्थापना के बाद से दुर्लभ रोग दिवस एक अंतर्राष्ट्रीय दुर्लभ रोग समुदाय के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इस वर्ष 29 फरवरी को दुर्लभ रोग दिवस मनाया जाएगा. आइये जानते हैं, इस दिवस के बारे में कुछ रोचक जानकारियां...
दुर्लभ रोग दिवस फरवरी के अंतिम दिन क्यों मनाया जाता है?
फरवरी माह साल का सबसे दुर्लभ दिन होता है, क्योंकि 4 साल 28 दिन और 1 साल 29 दिन का होता है. इसलिए 2008 में अमेरिका में अनाथ औषधि अधिनियम के पारित होने की 25वीं वर्षगांठ पर दुर्लभ रोग दिवस का चुनाव करते समय इस दुर्लभ तिथि का चुनाव किया गया. दरअसल कई दुर्लभ बीमारियां प्रचलन में हैं, जिनका इलाज अपर्याप्त है. इस बात को ध्यान में रखते हुए दुर्लभ रोग दिवस की स्थापना की गई. पहली बार इस दुर्लभ रोग दिवस की स्थापना में यूरोर्डि, और 65+ राष्ट्रीय गठबंधन रोगी संगठन के सहयोगियों द्वारा आयोजित किया गया था. यह दिवस विशेष एक ऊर्जा और केंद्र बिंदु प्रदान करता है, जो दुर्लभ बीमारियों राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करता है.
क्या है दुर्लभ बीमारियां
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, किसी भी दुर्लभ बीमारी का आधार उसकी महामारी विज्ञान से समझा जा सकता है. किसी भी दुर्लभ बीमारी की फ्रीक्वेंसी प्रति 10 हजार लोगों पर 6.5 से 10 से कम होनी चाहिए. एक भारतीय कंपनी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ रेयर डिजीज इंडिया (ORDI), दुर्लभ बीमारियों वाले सभी भारतीय रोगियों को सामूहिक सहयोग देने हेतु स्थापित की गई थी. भारत की भारी जनसंख्या के अनुसार ओआरडीआई अमुक बीमारी को दुर्लभ मानता है. संगठन ने भारत में प्रचलित 263 दुर्लभ बीमारियों में से शीर्ष की दस बीमारियों को यहां सूचीबद्ध किया है.
एंडोसाइटोसिस कोरियाः तंत्रिका संबंधी यह रोग शरीर के कई हिस्सों की सक्रियता को प्रभावित करता है.
मलेशिया कार्डियाः एक दुर्लभ लोग जो मुंह और पेट (ग्रासनली) को जोड़ने वाली एवं निगलने वाली नली से भोजन आदि को बाहर निकालना मुश्किल बनाता है.
एक्रोमेसोमेलिक डिसप्लेसियाः यह छोटे कद का एक वंशानुगत रोग है, जिसे बौनापन कहा जाता है.
एक्यूट इंफ्लेमेटरी डिमाइलेटिंग पोलीन्यूरोपैथीः तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली विकृति
तीव्र लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमियाः रक्त कैंसर, विशेष रूप से श्वेत रक्त कोशिकाओं में.
एडिसन रोगः शरीर में अधिवृक्क ग्रंथियां, जिसमें कुछ कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरोन पर्याप्त हार्मोन नहीं बना पाती.
एड्रेनोलुकोडिस्ट्रॉफीः एक आनुवंशिक समस्या, जो रीढ़ और मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं को कवर करने वाली माइलिन शीथ (झिल्ली) को नुकसान पहुंचाती है.
तीव्र सूजन डिमाइलेटिंग पोलीन्यूरोपैथीः परिधीय तंत्रिका तंत्र की ऑटोइम्यून बीमारी, जिसे सौ साल पहले मान्यता मिली थी.
अलागिरी सिंड्रोमः पित्त की एक वंशानुगत जटिल समस्या जो यकृत में बनती है.
एल्केप्टोनूरिया (काला मूत्र रोग) – एक खराब प्रोटीन की स्थिति जिसके कारण होमोगेंटिसिक एसिड बनता है.