सरोगेसी के लिए गरीब महिलाओं को बनाया जा रहा है शिकार, तो सेलिब्रिटीज के लिए बना शौक

लोकसभा में ध्वनिमत से पारित सरोगेसी (Surrogacy) विधेयक, 2016 का चिकित्सकों ने स्वागत करते हुए कहा कि व्यावसायिक सरोगेसी एक धंधा बन गया है और कुछ गरीब महिलाओं को जबरन इस धंधे में धकेला जा रहा है

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit- Instagram & Twitter)

नई दिल्ली: लोकसभा में ध्वनिमत से पारित सरोगेसी (Surrogacy) विधेयक, 2016 का चिकित्सकों ने स्वागत करते हुए कहा कि व्यावसायिक सरोगेसी एक धंधा बन गया है और कुछ गरीब महिलाओं को जबरन इस धंधे में धकेला जा रहा है. इतना ही नहीं सरोगेसी (किराए की कोख) कुछ सेलेब्रिटीज के लिए एक शौक बन गई है और जो पहले ही संतान को जन्म दे चुके हैं वे भी सरोगेसी का इस्तेमाल कर रहे हैं.

फर्टिलिटी सॉल्यूशन मेडिकेयर फर्टिलिटी (Fertility Solution Medicare Fertility) की क्लिनिकल डायरेक्टर (Clinic Director) और सीनियर कंसलटेंट (Senior Consultant) डॉ. श्वेता गुप्ता ने(Dr. Shweta Gupta) सरोगेसी पर आईएएनएस को बताया, "आमतौर पर गर्भधारण में परेशानी होने की वजह से दंपति सरोगेसी की मदद लेते हैं.

इस प्रक्रिया में पुरुष के स्पर्म (Sperm) और स्त्री के एग (Egg) को बाहर फर्टिलाइज (Fertilize) करके सरोगेट मदर (Surrogate Mother) के गर्भ में रख दिया जाता है. हालांकि, सरोगेसी का मकसद जरूरतमंद नि:सन्तान जोड़ों मदद करना था, मगर धीरे-धीरे कुछ लोगों ने इससे पूरी तरह से व्यवसायिक बाना दिया है .

उन्होंने कहा, "अब तो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दर्द से बचने के लिए इस आसान रास्ते का इस्तेमाल करने लगी हैं. सरोगेसी कुछ सेलेब्रिटीज के लिए एक शौक बन गया है और जिनके पास बेटे और बेटियां हैं वे भी सरोगेसी का इस्तेमाल कर रहे हैं." देश में सरोगेसी के बढ़ते कारोबार के सवाल पर डॉ. श्वेता गुप्ता ने कहा, "पिछले कुछ सालों से भारत में सरोगेसी का कारोबार बहुत तेजी से बढ़ा है.

आकड़ों के अनुसार हर साल विदेशों से आए दंपति यहां 2,000 बच्चों को जन्म देते हैं और करीब 3,000 क्लीनिक इस काम में लगे हुए हैं." वहीं पंचशील पार्क स्थित मैक्स मल्टी स्पेश्येलिटी सेंटर (Max Multi Specialty Center) की निदेशक और हेड-आईवीएफ (Head-IVF) डॉ. सुरवीन सिंधु (Dr. Survin Sindhu) ने आईएएनएस से कहा, "सरोगेसी का चयन करने की प्रवृत्ति निश्चित रूप से बढ़ी है.

बायोलॉजिकल (Biological) बच्चे की इच्छा के आधार पर सरोगेसी में 20 फीसदी की वृद्धि हुई है. आमतौर पर दंपति दो से तीन बार बच्चे पैदा करने में विफल होने के बाद इस विकल्प को चुनते हैं." सरोगेसी की जरूरत किन लोगों को पड़ती है और इसमें कितना खर्च आता है, इस सवाल पर डॉ. श्वेता गुप्ता ने कहा, "गर्भधारण में दिक्कत होने की वजह से जो लोग मां-बाप नहीं बन पाते, वे किराए की कोख से बच्चा पैदा करते हैं.

भारत में इसका खर्च 10 से 25 लाख रुपए के बीच आता है, जबकि अमेरिका (America) में इसका खर्च करीब 60 लाख रुपये तक आ सकता है." वहीं डॉ. सुरवीन सिंधु ने बताया, "इस प्रक्रिया में शामिल जटिलताएं सामान्य गर्भावस्था के समान ही हैं. इसके अलावा, प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने से पहले सरोगेट को उचित मनोवैज्ञानिक और चिकित्सा जांच-पड़ताल के माध्यम से गुजरना आवश्यक है."

व्यावसायिक सरोगेसी के संदर्भ में डॉ. श्वेता गुप्ता ने कहा, "व्यावसायिक सरोगेसी एक धंधा बन गया था और कुछ लोग गरीब महिलाओं को जबरन इस धंधे में धकेल रहे थे. विदेश से आने वाले लोगों के लिए जिन्हें बच्चे की चाह थी, उनकी इच्छा पूर्ति के लिए गरीब महिलाओं की कोख का शोषण हो रहा था. जिस पर सरकार रोक लगाना चाह रही है.

सामान्य सरोगेसी में नि:संतान दम्पति को यह सुविधा उपलब्ध है, जबकि आजकल अपने शौक के लिए भी लोग इसका दुरुपयोग करने लगे हैं." सरोगेसी के माध्यम से महिला कितनी बार बच्चे को जन्म दे सकती है, इस पर डॉ. श्वेता ने कहा, " सरकार ने जो कानून पारित किया है उसके अनुसार एक महिला एक ही बार सरोगेट मदर बन सकेगी. इसके लिए उसका विवाहित होना और पहले से एक स्वस्थ बच्चे की मां होना जरूरी है."

उन्होंने कहा, "सरोगेसी करवाने वाले पुरुषों की उम्र 26 से 55 के बीच और महिला की उम्र 23 से 50 साल के बीच होनी चाहिए. शादी के पांच साल बाद ही इसकी इजाजत होगी और यह काम रजिस्टर्ड क्लीनिकों में ही होगा." वहीं, इस सवाल पर डॉ. सुरवीन का कहना है कि पहले भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Medical Science Institute of Research) ने एक महिला के लिए अधिकतम तीन बार सरोगेट मदर बनने की सीमा निर्धारित की थी.

हालांकि, हालिया विधेयक ने इसे अब एक कर दिया है. सरोगेसी (नियामक) विधेयक, 2016 सरोगेसी के प्रभावी नियमन को सुनिश्चित करेगा, व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करेगा और बांझपन से जूझ रहे भारतीय दंपतियों की जरूरतों के लिए सरोगेसी की इजाजत देगा. लोकसभा में पारित सरोगेसी विधेयक से सरोगेसी पर क्या प्रभाव पड़ेगा और क्या प्रभाव सामने आएंगे?

इस सवाल पर डॉ. श्वेता गुप्ता ने कहा, "नए कानून के बाद मजबूर महिलाओं के सरोगेसी के लिए शोषण की गुंजाइश नहीं रहेगी. सरकार देश में सरोगेसी को रेगुलेट करने के लिए एक नया कानूनी ढांचा तैयार करना चाहती है. सरोगेसी का प्रावधान केवल नि:संतान दंपतियों के लिए होगा. सरोगेसी के अनैतिक इस्तेमाल पर रोक लगेगी, गरीब महिलाओं की कोख किराए पर लेना गुनाह होगा."

उन्होंने कहा, "सरोगेसी का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को होगा. यह सुविधा एनआरआई और ओसीआई होल्डर को नहीं मिलेगा . इसके अलावा सिंगल पैरेंट्स (Single-Parent), समलैंगिक जोड़ों (Gay Couples), लिव इन पार्टनरशिप (Live In Partnership) में रहने वालों को सरोगेसी की इजाजत नहीं होगी."

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