हिंदू समाज में पितृपक्ष को लेकर हमेशा से दो मत रहे हैं. एक मत के अनुसार श्राद्धपक्ष का पूरा पखवारा शोक के रूप में देखा-माना जाता है, इसलिए इन दिनों शुभ एवं मंगल कार्य करना निषेध माना जाता है. लेकिन दूसरे पक्ष के अनुसार किसी भी पुराण अथवा धर्म ग्रंथों में कहीं भी उल्लेखित नहीं है कि पितृपक्ष का समय अशुभ होता है और इन दिनों शुभ कार्य नहीं किये जा सकते. विद्वानों का मत है कि पितृपक्ष के दिनों को कुछ विशेष लोगों ने अशुभ दिन के रूप में प्रचारित कर रखा है. वरना पंचांग भी यही बताता है कि श्राद्ध के दिनों में भी कई ऐसे शुभ संयोग निर्मित होते हैं, जब शुभ कार्य किये जा सकते हैं. इन शुभ दिवस पर पितरों को तर्पण एवं पिण्डदान कर पितृदोष से मुक्ति पाने के साथ-साथ शुभ कार्य एवं उससे संबंधित आवश्यक खरीदारी भी की जा सकती है, जो बेहद फलदायी साबित होती है.
निराधार है ये धारणा
हिंदू धर्म शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार यह सत्य है कि यह पूरा पखवारा पितरों को समर्पित होता है. इन दिनों पितर पृथ्वी पर अपने परिवार से मिलने आते हैं, और उन्हें सुख-समृद्धि के साथ-साथ सदा स्वस्थ रहने का आशीर्वाद देते हैं. सदियों से मान्यता रही है कि पितृपक्ष का पर्व वस्तुतः आत्मा-परमात्मा के बीच के संतुलन को बनाये रखने के रूप में मनाया जाता है. कुछ लोगों के मन में यह भ्रांतिपूर्ण धारणा होती है कि इन दिनों केवल पितरों के लिए ही वस्तुएं खरीदी और दान दी जाती हैं, उसका उपयोग जीवित व्यक्ति नहीं कर सकता क्योंकि उसमें प्रेत के अंश होते हैं. यह सर्वदा गलत है. जबकि तर्कपूर्ण मान्यता यह है कि इस पखवारे चूंकि हमारे पितर पृथ्वी पर होते हैं और जब वे देखते हैं कि उनके घर में शुभ कार्य के आयोजनों के लिए खरीदारी हो रही है तो वे खुश होकर कार्य की सफल पूर्णता का आशीर्वाद देते हैं. श्राद्ध पक्ष में हमें तभी तकलीफें होती हैं, जब हम शुभ-मंगल कार्यों में मग्न होकर पितरों का सम्मान और आदर से विमुख हो जाते हैं. बेहतर होगा कि अगर आप शुभ कार्य के लिए कोई खरीदारी करते हैं तो पितरों से आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें. यह भी पढ़ें : Pitru Paksha Panchbali Bhog 2021: पितृपक्ष में क्यों जरूरी है पंचबली भोग? जानें क्या है पंचबलि भोग और इसे ना कराने से क्या हो सकते हैं दुष्परिणाम?
पितर को नाराज नहीं करेंगे तो उनका आशीर्वाद आपके साथ होगा!
हिंदू धर्म शास्त्रों में दिवंगत परिजनों यानी पितरों को देवों से कम महत्ता नहीं दी जाती. जिस घर से वे देह त्याग चुके होते हैं, और पितृपक्ष पर जब अपनी संतान की खुशहाली देखते हैं, तो वे बहुत खुश होते हैं. इसलिए श्राद्ध के पखवारे में आप अगर शादी-व्याह अथवा किसी अन्य शुभ कार्यों के लिए कुछ खरीदारी कर रहे हैं तो मन में अनाप-शनाप विचार ना आने दें. इस पखवारे को अशुभ मानने की गलती तो कत्तई नहीं करें. पितरों के आगमन के इस पखवारे में बस इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आप कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे पितर नाराज अथवा असंतुष्ट हों. मसलन किसी को प्रताड़ित ना करें, बिना वजह सताएं नहीं, इंसान के साथ-साथ पशु-पक्षियों का भी सम्मान कर उन्हें भोजन-पानी दें. घर आने वाले भिखारी, पशु-पक्षियों का स्वागत करें, उन्हें भोजन करायें. क्योंकि आपके पितर किसी भी रूप में आपके दरवाजे आ सकते हैं. आप ऐसा करते हैं तो उनका आशीर्वाद आपको जरूर मिलेगा और आप पितृदोष के संकट से बच सकते हैं.
इन शुभ तिथियों पर करें मंगल कार्यों की खरीदारी!
श्राद्ध के इस पखवारे में भी ग्रहों एवं नक्षत्रों के संयोग से कई शुभ तिथियां निर्मित हो रही हैं. यह इस बात का प्रमाण है को श्राद्ध के दिनों में भी शुभ मंगल कार्य हेतु खरीदारी की जा सकती है. 21 सितंबर से शुरु होकर 6 अक्टूबर 2021 तक चलने वाले श्राद्ध पखवारे में भी सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग निर्मित हो रहे हैं. इन शुभ तिथियों में खरीदारी से लेकर निवेश करने तक का कार्य कर सकते हैं. शुभ मंगल कार्य इसीलिए निषेध होता है कि कहीं आप शुभ कार्यों में व्यस्त होकर पितरों को नजरंदाज ना करें. आइये जानें इस श्राद्ध पखवारे में कौन-कौन सी शुभ तिथियां बन रही हैं.
सर्वार्थ सिद्धि योग की तिथियां
21, 23, 24,27 एवं 30 सितंबर तथा 6 अक्टूबर 2021
रवि योग की तिथियां
26 एवं 27 सितंबर 2021
अमृत सिद्धि योग की तिथियां
27 एवं 30 नवंबर 2021