भारतीय पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है ओरल कैंसर: चिकित्सक
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Facebook)

नई दिल्ली: तंबाकू (Tobacco) को दुनिया भर में ओरल कैंसर (Oral Cancer) की सबसे बड़ी वजह माना जाता है और भारत में पुरुषों के लिए ओरल कैंसर सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है. 18 साल के मुकेश को जब ओरल कैंसर होने का पता चला तब तक काफी देर हो चुकी थी और वह इस रोग की चौथी अवस्था में पहुंच चुके थे. उन्हें रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy) दी गई तथा ऊपरी जबड़ा भी निकालना पड़ा, क्योंकि उनका कैंसर काफी फैल चुका था. मुकेश के मामले में तंबाकू के मामूली सेवन के साथ जो शुरुआत हुई थी वह धीरे-धीरे इस हद तक बढ़ गया कि उसकी ओरल कैविटी में अल्सर (Ulcer) पनपने लगे. इससे मुकेश की तकलीफ बढ़ गई थी और कई बार इन घावों से रक्तस्राव भी होने लगा था. तब मुकेश ने अपनी इस आदत से छुटकारा पाने का मन बनाया, लेकिन इससे कुछ फायदा नहीं हुआ, क्योंकि तब तक काफी नुकसान हो चुका था.

ओरल कैंसर के अधिकांश मामलों में यही होता है. अक्सर भूख का अहसास मिटाने के लिए तंबाकू चबाने की आदत पड़ जाती है और कई बार लोगों को इसका स्वाद भी पसंद आ जाता है जो जल्द ही लत बन जाती है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council Of Medical Research) के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) के डेटा के मुताबिक, 2017 में भारत के चार राज्यों-बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ओरल कैंसर के 15.17 लाख मामले सामने आए. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 12.5 लाख मामले दर्ज किए गए हैं.

मैक्स हैल्थकेयर के डिपार्टमेंट ऑफ ओंकोलॉजी के प्रिंसिपल कन्सल्टेंट डॉ. गगन सैनी ने कहा, "ओरल कैंसर के अन्य कारणों में पारिवारिक इतिहास भी अहम है. कैंसर मरीजों में आनुवांशिकी की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन ओरल कैंसर के जो मरीज रेडिएशन थेरेपी के लिए आते हैं, उनके मामलों में ज्यादातर कारण तंबाकू सेवन ही होता है." यह भी पढ़ें: भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले, छह साल में 15.7 फीसदी बढ़ी मरीजों की संख्या

उन्होंने कहा, "पिछले दो दशकों के अपने अनुभवों के दौरान मैंने पाया कि जिन 10,000 मरीजों का मैंने उपचार किया है उनमें से करीब 3900-4000 ओरल कैंसर से ग्रस्त थे. यह मेरे पास इलाज के लिए आने वाले मरीजों का 40 फीसदी है. सर्वाधिक मामले उत्तर भारत से दर्ज किए गए और खासतौर से मेरे पास उत्तर प्रदेश के मरीज आए. भारत के जिन अन्य राज्यों में तंबाकू सेवन ज्यादा पाया जाता है उनमें देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र अग्रणी हैं."

भारत में वयस्कों की मौत के लिए कैंसर सबसे प्रमुख कारणों में से है और विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 में यह 634,000 मौतों और करीब 949,000 नए मामलों का कारण बना था. इस रिपोर्ट से यह भी खुलासा हुआ है कि भारत में पुरुषों में सिर और गर्दन कैंसर तथा ओरल कैविटी, लिप, फैरिंक्स तथा लैरिंक्स कैंसर प्राय: पाया जाता है. इनकी वजह से हर साल, देश में 105,000 नए मामले और 78,000 मौतें होती हैं. महिलाओं में, ओरल कैंसर मौतों का तीसरा सबसे बड़ा कारण है.

डॉ गगन सैनी ने कहा, "इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा कराए गए प्रोजेक्ट में, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन का समर्थन हासिल था, यह पाया गया है कि भारत में पुरुषों की मौतों के 40.43 प्रतिशत मामलों में तंबाकू सेवन ही प्रमुख रूप से दोषी है. तंबाकू सेवन सर्वाधिक प्रमुख कारण है और यह राष्ट्रीय बोझ की तरह है. फेफड़ों, मुंह और फैरिंक्स का कैंसर तथा कुछ हद तक ईसोफैगस का कैंसर तंबाकू प्रयोग से जुड़ा है. कैंसर नियंत्रण रणनीतियों को लागू कर इन अंगों/भागों में कैंसर से बचा जा सकता है." यह भी पढ़ें: जाने स्तन कैंसर जैसी बीमारी के लक्षण और बचने के उपाय

डॉ. गगन सैनी ने कहा, "शुरुआती संकेतों और लक्षणों में मुंह तथा जीभ की सतह पर दागों या धब्बों का उभरना, जो कि लाल अथवा सफेद रंग के हो सकते हैं, मुंह का अल्सर या छाले जो कि दूर नहीं होते, तीन हफ्तों से अधिक बने रहने वाली सूजन, त्वचा या मुंह की सतह में गांठ या उसका कड़ा होना, निगलने में परेशानी, बिना किसी वजह के दांत ढीले पड़ना, मसूढ़ों में दर्द या कड़ापन, गले में दर्द, गले में हर वक्त कुछ फंसे रहने का अहसास, जीभ में दर्द, आवाज में भारीपन, गर्दन या कान में दर्द जो दूर नहीं होता, आम हैं. ये लक्षण हमेशा कैंसर के होने का ही संकेत नहीं होते लेकिन ऐसे में पूरी जांच तथा समुचित इलाज के लिए ओंकोलॉजिस्ट से परामर्श जरूरी है."

डॉ. सैनी ने कहा, "ओरल कैंसर का इलाज काफी मुश्किल हो सकता है और मरीज को रेडिएशन तथा कीमो की वजह से कई तरह के साइड इफेक्ट्स का भी सामना करना पड़ सकता है. रोग के चौथे चरण में इलाज की स्थिति में मुंह की संरचना भी बिगड़ सकती है और कई बार मरीज के फेशियल स्ट्रक्च र को सामान्य बनाने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी भी करानी पड़ती है.ओरल कैंसर के उन्नत उपचार में रेडियोथेरेपी तथा कीमोथेरेपी दी जाती है ताकि मरीज का शीघ्र उपचार किया जा सके." यह भी पढ़ें: कैंसर के खतरे को कई गुना ज्यादा बढ़ा देता है अत्यधिक वायु प्रदूषण

उन्होंने कहा, "ओरल कैंसर की एडवांस स्टेज में उपचार के लिए सर्जरी के साथ-साथ रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी या टारगेटेड थेरेपी दी जाती है. संपूर्ण उपचार के लिए ये थेरेपी आंख के नजदीक दी जाती है अन्यथा कई बार ओरल कैंसर की वजह से मरीज की नजर भी पूरी तरह खराब हो सकती है. ट्यूमर रीसेक्शन जैसी सर्जरी ट्यूमर को हटाने के लिए दी जाती हैं, होंठों के लिए माइक्रोग्राफिक सर्जरी, जीभ के लिए ग्लासेक्टमी जिसमें जीभ निकाली जाती है, मुख के तालु के अगले भाग को हटाने के लिए मैक्सीलेक्टमी, वॉयस बॉक्स निकालने के लिए लैरिंजेक्टमी की जाती है."

कैंसर दुनियाभर में मौत का सबसे प्रमुख कारण है और 2008 में इसकी वजह से 76 लाख मौतें (सभी मौतों में लगभग 13 फीसदी) हुई थीं। 2030 में दुनियाभर में कैंसर की वजह से करीब 1.31 करोड़ मौतों की आशंका जताई गई है.