सुहागरात से पहले हर दूल्हा-दुल्हन को निभानी पड़ती हैं ये 5 रस्में, तब जाकर होता है उनका मिलन

शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन के मिलन की रात आती है, जिसे सुहागरात कहा जाता है. हालांकि नव विवाहित वर-वधू के वैवाहिक जीवन की शुरुआत से पहले सुहागरात वाले दिन कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Facebook)

हिंदू धर्म में विवाह को 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है. शादी सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं है, बल्कि इसे दो परिवारों का मिलन माना जाता है. विवाह किसी भी लड़की या लड़के के लिए उसके जीवन का सबसे यादगार लम्हा होता है. विवाह सात जन्मों का पवित्र बंधन होता है, जिसमें लड़का और लड़की एक-दूसरे के साथ सात फेरे लेते हैं और सात जन्मों के अटूट बंधन में बंध जाते हैं. हालांकि इस दौरान हर जाति हर धर्म के लोगों में कई तरह के रीति-रिवाज और परंपराएं निभाई जाती हैं. हल्दी, मेहंदी और संगीत से लेकर तरह-तरह के रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है.

शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन के मिलन की रात आती है, जिसे सुहागरात कहा जाता है. हालांकि नव विवाहित वर-वधू के वैवाहिक जीवन की शुरुआत से पहले सुहागरात वाले दिन कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं. चलिए जानते हैं ऐसी ही पांच रस्में, जो दूल्हा-दुल्हन अपनी सुहागरात से पहले निभाते हैं.

1- कुल देवी व देवता का पूजन

शादी के बाद और सुहागरात से पहले दूल्हा-दुल्हन अपने कुल देवी-देवता की पूजा करते हैं और अपने खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं. कहा जाता है कि इस रस्म को निभाने पर ईश्वर से कुल की परंपरा और वंश को आगे बढ़ाने का आशीर्वाद मिलता है. यह भी पढ़ें: सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने के लिए आज ही डायट में शामिल करें ये 10 सुपरफूड्स

2- पूर्वजों व पितरों का पूजन 

कहा जाता है कि अगर किसी के परिवार के मृत पूर्वज और पितृ नाराज हो जाएं तो संतान सुख में बाधा आती है, इसलिए दूल्हा-दुल्हन के मिलन से पहले परिवार में पूर्वजों और पितरों का पूजन किया जाता है. कहा जाता है कि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से नव विवाहित जोड़े को संतान सुख की प्राप्ति होती है व उनका वंश आगे बढ़ता है.

3- बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद

शादी के बाद नव विवाहित जोड़े को घर-परिवार के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना पड़ता है. सुहागरात से पहले ये रस्म निभाई जाती है. कहा जाता है कि बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद से नव विवाहित जोड़े को अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत करने के लिए शुभकामनाएं मिलती हैं और उनका दांपत्य जीवन खुशियों से भरा रहता है.

4- मुंह दिखाई की रस्म 

सुहागरात से पहले दुल्हन की मुंह दिखाई की रस्म निभाई जाती है. इस रस्म के दौरान दुल्हन का चेहरा देखने के बाद पति उसे कोई उपहार देता है. रामायण की एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, सुहागरात से पहले मुंह दिखाई के दौरान भगवान राम ने माता सीता को वचन दिया था कि वो आजीवन एक पत्नीव्रता रहेंगे. इसी कारण उन्होंने अपने जीवन में कभी दूसरा विवाह नहीं किया. यह भी पढ़ें: अरेंज मैरेज करने की सोच रहे हैं तो बचें इन 5 गलतियों से, वरना शादी के बाद बढ़ सकती है आपकी मुश्किलें

5- दूध पिलाने की रस्म 

सुहागरात की रात नई नवेली दुल्हन अपने पति के लिए केसर युक्त दूध का ग्लास लेकर आती है. यह रस्म अधिकांश जगहों पर निभाई जाती है. इस रस्म से जुड़ी ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, दूध का संबंध चंद्र और शुक्र ग्रह से होता है. चंद्रमा मन का कारक है, जबकि शुक्र प्रेम का कारक है. इसलिए दुल्हन अपने  मिलन की रात पति को दूध से भरा ग्लास देती है, ताकि  तन और मन से दोनों के बीच प्रेम का अटूट बंधन जीवन भर के लिए बंध जाए.

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