हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को महाशिवरात्रि व्रत का विधान है. मान्यता अनुसार महाशिवरात्रि पर्व रात्रि-व्यापिनी होने के कारण विशेष फल प्राप्त होते हैं. इस बार महाशिवरात्रि के दिन श्रवण नक्षत्र का साक्षी सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग एवं त्रयोदशी प्रदोष का योग बन रहा है, जो शिव भक्तों के लिए फलदायी हो सकता है, यह अत्यंत अत्यंत दुर्लभ संयोग है. इस काल में भगवान शिव के रुद्राभिषेक का पाठ करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं. वैसे तो भगवान शिव औघड़ एवं भोलेनाथ के नाम से भी लोकप्रिय हैं, लेकिन शिवजी जितनी सहजता से प्रसन्न होते हैं, उनका क्रोध भी उतना ही प्रलयंकारी होता है. इसलिए भगवान शिव की पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं..
शिवरात्रि के दिन ये कार्य अवश्य करें
* शिवरात्रि के दिन घर के मंदिर में शिव-पार्वती की पूजा करने के पश्चात शिव मंदिर स्थित शिवलिंग पर 21 बिल्व पत्रों अवश्य चढ़ाना चाहिए.
* शिवरात्रि के दिन गरीबों को भोजन अवश्य करवाना चाहिए, इससे घर में बरकत होती है और पितरों को शांति मिलती है.
* शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दूध, दही, गाय का घी, शक्कर, और शहद से बने पंचामृत से स्नान कराना चाहिए. पंचामृत से स्नान कराने के बाद गंगाजल जरूर अर्पित करना चाहिए.
* शिवलिंग पर दूध, शहद, बिल्व पत्र आदि चढ़ाते समय शिव जी के इस मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप निरंतर करते रहना चाहिए. इस मंत्र में बहुत शक्ति होती है. ये वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध हो चुका है कि मंत्र ऊर्जा कंपन पैदा करते है, जो जीवन को बहुत प्रभावित करते हैं.
* शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दूध से बनी मिठाइयां एवं फल ही अर्पित करना चाहिए. अन्न से बनी मिठाइयां शिवजी को नहीं चढ़ानी चाहिए.
महाशिवरात्रि पर ये कार्य न करें
* शिवरात्रि के दिन शिवलिंग की पूजा करते समय नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए.
* शिवरात्रि के दिन महिलाओं को शिवलिंग पर सिंदूर नहीं लगाना या चढ़ाना चाहिए. अच्छा होगा उसकी जगह चंदन का पेस्ट शिवलिंग पर लगायें.
* शिवरात्रि के दिन पुरुष हो या स्त्री किसी को भी काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए. हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव को काला रंग पसंद नहीं है.
* शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को सफेद रंग का पुष्प अवश्य चढ़ाएं, मगर केतकी और केवड़ा का फूल हर्गिज नहीं चढ़ाना चाहिए. धर्म कथाओं में केतकी के फूल को अभिशप्त बताया गया है.
* तुलसी का पत्ता शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए. इससे पूजा अधूरी मानी जाती है. तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है.
* शिवरात्रि हो या अन्य कोई भी दिन, शिवलिंग की पूरी परिक्रमा से बचना चाहिए. शिवलिंग का परिक्रमा हमेशा अर्धवृत होना चाहिए.
* भगवान शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने से पहले देख लेना चाहिए कि पत्ती कहीं से क्षतिग्रस्त तो नहीं है, दूसरी बात कि बिल्व पत्र तीन पत्तों के संयुक्त रूप को पूर्ण माना जाता है. बेल के दो या एक पत्ती को शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए.
* भगवान शिवजी को कांसे के पात्र में दूध नहीं चढ़ाना चाहिए. इसे अशुद्ध धातु की श्रेणी में रखा जाता है.