Janaki Jayanti 2023: सीता जयंती पर करें ये उपाय पूरी होंगी हर मनोकामनाएं! जानें सीता जयंती की पूजा विधि एवं कथा!
उत्तर भारतीय चंद्र कैलेंडर के अनुसार लक्ष्मी स्वरूपा देवी जानकी की जयंती फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनायी जाती है, दूसरी तरफ गुजरात, महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में अमांत चंद्र पंचांग के अनुसार माघ मास में जानकी जयंती मनाई जाती है.
उत्तर भारतीय चंद्र कैलेंडर के अनुसार लक्ष्मी स्वरूपा देवी जानकी की जयंती फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनायी जाती है, दूसरी तरफ गुजरात, महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में अमांत चंद्र पंचांग के अनुसार माघ मास में जानकी जयंती मनाई जाती है. इस दिन को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन हिंदू महिलाएं अपने पति की दीर्घायु एवं खुशहाली के लिए फलाहारी उपवास रखती हैं, कुछ महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष सीता अष्टमी 14 फरवरी 2023, मंगलवार के दिन मनाया जायेगा.
अष्टमी प्रारंभः 08.15 AM (13 फरवरी 2023, सोमवार)
अष्टमी समाप्तः 07.40 AM (14 फरवरी 2023, मंगलवार)
उदया तिथि के नियमानुसार सीता अष्टमी 14 फरवरी को मनाई जायेगी.
जानकी जयंती व्रत एवं पूजा विधि
प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. घर के मंदिर के सामने मंडप बनाकर फूलों से सजायें. देवी सीता का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. देवी सीता का प्रकाट्य पृथ्वी से हुआ था, इसलिए मंडप के सामने एक स्वास्तिक बनाकर इस पर अक्षत, फूल, एवं रोली अर्पित करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें.
ऊँ ह्रीं श्रीं वसुधायै स्वाहा
श्रीराम-सीता की प्रतिमा पर गंगाजल का छिड़काव करें. देवी सीता का मंत्र पढ़ते हुए उन्हें सिंदूर, अक्षत, रोली, तिल, जौ, सुहाग का सामान एवं मौसमी फल तथा गाय के दूध से बनी मिठाइयां अर्पित करें. अब श्रीराम को पीला वस्त्र एवं सीताजी को लाल वस्त्र चढाते हुए निम्न 5 मंत्रों का जाप करें
ॐ जानकीवल्लभाय नमः
'श्रीसीता-रामाय नम:'
श्रीरामचन्द्राय नम:।
श्री रामाय नम:।
श्री सीतायै नम:।
पूजा के समापन में सीता जी की आरती उतारें और प्रसाद का वितरण करें.
विभिन्न समस्याओं से मुक्ति के लिए करें ये उपाय
* दाम्पत्य जीवन में खुशहाली हेतुः सीता जयंती के दिन श्रीराम एवं सीताजी की पूजा करते समय सुहागन स्त्रियां सीता जी की मांग में सात बार सिंदूर लगाएं और हर बार सिंदूर लगाने के बाद उसी उंगली से अपनी मांग का स्पर्श करें. ऐसा करने से उनका दाम्पत्य जीवन में सदा खुशहाली बनी रहती है.
* मनचाहे वर प्राप्ति के लिएः अगर किसी कन्या को मनपसंद वर नहीं मिल रहा है अथवा विवाह में किसी तरह की बाधाएं आ रही हैं तो सीता जयंती के दिन स्नानादि के पश्चात गंगा अथवा तुलसी के पेड़ की जड़ की मिट्टी से श्रीराम सीता की प्रतिमा बनाकर पूजा करें और सुहाग की सारी सामग्री चढ़ाएं, विवाह में आनेवाली रुकावटें दूर होंगी.
* पति की दीर्घायु के लिएः पति अस्वस्थ है अथवा किसी बड़ी बीमारी से ग्रस्त है तो सीता जयंती के दिन पत्नी अपने पति की अच्छी सेहत एवं दीर्घायु की कामना के साथ व्रत रखें एवं पूजा करे.
* शारीरिक कष्ट निवारण के लिएः अगर आप लंबे समय से शारीरिक समस्याओं से परेशान हैं तो सीता जयंती के दिन व्रत एवं पूजा करते हुए रुद्राक्ष की माला फेरते हुए निम्न मंत्र का 21 जाप करें,
'ॐ जानकी रामाभ्यां नमः'
* बाधाओं से मुक्ति के लिएः अगर आपके जीवन में नौकरी-रोजगार अथवा परिवार में कोई परेशानी है तो सीता जयंती पर सीताजी की पूजा के समय जानकी-स्त्रोत एवं श्रीराम स्तुति का पाठ करें, तत्पश्चात सुंदरकांड का पाठ करें, पाठ समाप्त होने पर छमा याचना अवश्य करें. सारे संकटों का समाधान होगा.
* आर्थिक संकट से छुटकारा पाने के लिएः सीता जयंती के दिन घर के मंदिर में पूजा के पश्चात करीब के श्रीराम मंदिर जायें. श्रीराम एवं सीताजी को पीले फूल एवं पीले चावलों के साथ पीला वस्त्र अर्पित करें, एवं श्रीराम का निम्न मंत्र का जाप करें.
हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा। गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते। बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥
जानकी देवी की जन्म कथा
वाल्मिकी रामायण के अनुसार एक बार मिथिला राज्य में भयंकर सूखा पड़ा. एक ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाने के पश्चात खेत में हल चलाया. हल चलाते समय एक घड़े में एक सुंदर नवजात कन्या मिली. निसंतान राजा जनक कन्या को घर ले आये, और उसका नाम सीता रखकर बड़े लाड़-प्यार से उसकी परवरिश की. चूंकि उसकी परवरिश राजा जनक ने की थी, इसलिए उसका एक नाम माता जानकी भी पड़ा.