इंस्टाग्राम से कैसे बदला पर्यटन उद्योग
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, इंस्टाग्राम के इन्फ्लुएंसरों और हैशटैग्स ने छुट्टियों के ठिकाने बदल दिए हैं- लेकिन ये चीज हमेशा कारगर नहीं रहतीं.स्पेन के द्वीप मयोर्का का मौसम गरम होते ही सैकड़ों टूरिस्ट रोजाना कालो देस मोरो तट पर उमड़ने लगते हैं. मशहूर तट का आनंद उठाने की होड़ इतनी जबर्दस्त है कि रेत की संकरी सी पट्टी में एक तौलिया फैलाने की जगह भी नहीं बचती. नीले पानी की खूबसूरती का दीदार करने के लिए बेकरार लोगों की कतारें लग जाती हैं. हालांकि कई लोग हार मान लेते हैं, वे लाइन में खड़े रहकर अपनी छुट्टियां खराब नहीं करना चाहते.

यूरोप के सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट ठिकानों में से एक मयोर्का में तटों पर भारी भीड़ आम नजारा है. लेकिन कालो देस मोरो में तो हद ही हो चुकी है. कई लोग मानते हैं कि इसका जिम्मेदार है इंस्टाग्राम. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक सर्च में ही दसियों हजार तस्वीरें उभर आती हैं जिनमें तट सूने दिखाई देते हैं और समंदर का नीला पानी धूप में चमकता दिखता है. इंस्टाग्राम के आम यूजर को जरा भी अंदाजा नहीं होगा कि यथार्थ इस शांत, और दिव्य नजारे से बहुत अलग हैं.

छुट्टी की एक मुकम्मल तस्वीर की टोह में

2010 में इंस्टाग्राम के शुरू होने के बाद से, वही परिघटना बार बार बनी रहती हैः इन्फ्लुएंसरों के नक्शेकदम पर टूरिस्ट एक परफेक्ट वैकेशन फोटो का पीछा करते हैं, उन तमाम जगहों पर टूट पड़ते हैं जो या तो बहुत कम मशहूर थीं या जितनी अब हैं, उससे पहले निश्चित रूप से कम लोकप्रिय रही थीं.

कभी-कभार नतीजे भयानक होते हैं. जैसे, बावेरिया में बेष्टेष्गाडेनर लैंड क्षेत्र के कोएनिग्सबाख वॉटरफॉल में भीड़ टूट पड़ने से इलाके को मजबूरी में बंद करना पड़ा. सैलानियों की भारी आमद से कुदरती तालाबों में ईकोसिस्टम के संतुलन पर खतरा मंडराने लगता था.

अलग अलग सर्वे में टूरिस्टों ने कहा है कि वे अक्सर इंस्टाग्राम की तस्वीरों की नकल उतारने को प्रेरित होते हैं, और निश्चित रूप से ये प्लेटफॉर्म किसी विशेष पर्यटन-स्थल के समर्थन या विरोध में उनकी राय तय करने में अहम भूमिका निभाता है. उदाहरण के लिए, ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसी एक्सपीडिया ने पाया कि 40 साल से कम उम्र वाले 50 फीसदी लोग सोशल मीडिया को यात्रा के लिए प्रेरणा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. टीवी शो या पत्रिकाओं जैसे पारंपरिक माध्यमों के मुकाबले वे सोशल मीडिया को तरजीह देते हैं.

दूसरों से प्रेरणा

जर्मनी के हेसे राज्य में यात्रा और पर्यटन की सोशल मीडिया अकादमी से जुडे माइक ओवेंस कहते हैं, "इंस्टाग्राम बेशक छुट्टियां बिताने वालों के लिए प्रेरणा के स्रोत की तरह काम करता है." वह कहते हैं कि इंस्टा एक अहम रोल निभाता है, खासतौर पर जब लोग पर्यटन-स्थलों को खंगाल रहे होते हैं. छुट्टियों की जगह तलाशने के लिए कई लोगों ने गूगल जैसे सर्च इंजिनों का इस्तेमाल करना छोड़ दिया है. टूरिस्ट स्पॉट की तलाश अब वे इंस्टाग्राम पर हैशटैग्स के जरिए करते हैं.

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ओवेंस कहते हैं, "स्थानीय स्तर पर घूमने के लिए लोग इंस्टा का ही सहारा लेते हैं. अगर आप इंस्टा पर नहीं हैं तो आपका पता नहीं चलेगा." पर्यटन कंपनियों के साथ साथ पर्यटन-स्थलों के लिए भी इस प्लेटफॉर्म के अलावा कोई रास्ता नहीं है.

जर्मन होटल और रेस्तरां संगठन (डिहोगा-डीईएचओजीए) भी ऐसा ही मानता है. संगठन की प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू को बताया, "विशिष्ट टार्गेट समूहों पर लक्षित और तमाम माध्यमों के जरिए होने वाला संचार पहले की तुलना में कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है." वह कहती हैं कि दोस्तों और सहकर्मियों की सिफारिशें और अनुभव भी छुट्टी के लिए जगह के निर्धारण में प्रमुख असर डालते हैं. ये हैरानी की बात नहीं कि ज्यादातर टूर ऑपरेटर और ट्रैवल एजेंसियां, ग्राहकों तक पहुंचने के लिए इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करती हैं.

फोटो बैकड्रॉप की तरह एक इंस्टालेशन

जर्मनी के हून्स्रूक और मोजेल क्षेत्रों में तीन ट्रैवल एजेंसियां चला रहे माइकल फाबेर कहते हैं, "हमारे लिए, इंस्टाग्राम एक अहम संचार चैनल है, लोगों को इससे ट्रैवल का अहसास मिलता है." उनके कर्मचारी रोजाना नयी तस्वीरें अपलोड करते हैं और अगली छुट्टी के लिए बहुत खास और अलहदा सुझाव डालते रहते हैं. उदाहरण के लिए टाइरोल में सिलरटाल घाटी की यात्रा.

वहां स्थित पांच सितारा होटल स्टॉर रिसॉर्ट भी इंस्टाग्राम की अहमियत को काफी पहले पहचान चुका है. होटल के टैरेस पर विशाल डैनों का लौह मूर्तिशिल्प लगाया गया है. लोग उसकी फोटो खींचने को प्रेरित होते हैं. होटल के मार्केटिंग विभाग की बारबरा मिटेरर कहती हैं, "मकसद एक ऐसा बैकड्रॉप तैयार करने का था जिसके सामने खड़े होकर मेहमान फोटो खिंचाकर खुश हों, और जिसका जाहिर है छिपा हुआ मकसद था कि वे तस्वीरें फिर इंस्टाग्राम पर शेयर की जाएं."

थोड़ा और दक्षिण की तरफ, इटली के लेक गार्डा पर गार्डा ट्रेनटिनो टूरिज्म बोर्ड में सोशल मीडिया गतिविधियों की प्रभारी नताशा बोंताडी भी इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करती हैं. इलाके के बारे में लोगों की उत्सुकता जगाने के लिए बोंताडी इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करती हैं. वह इलाके के बारे में अल्प-ज्ञात तथ्य पेश करती हैं, छिपी हुई जगहों और रोमांचक दृश्यों की तस्वीरें पोस्ट करती हैं.

वह कहती हैं, "हम लोग ऐसे जाने-माने इलाकों के बारे में बात करने से परहेज करते हैं जो पहले से ही टूरिस्ट हॉस्पॉट हैं." इसके लिए वो कहती हैं कि इच्छित संदेश को आगे बढ़ाने के लिए इन्फ्ल्युंसरों के साथ मिलकर भी काम किया जाता हैं.

तस्वीरों की प्रचंड ताकत

म्युनिख में डेस्टिनेशन मार्केटिंग एजेंसी पिरोथ कॉम्युनिकेशन की प्रबंध निदेशक यूलिया श्टुबेनब्योक कहती हैं, "बहुत सारे ठिकाने, मास टूरिज्म नहीं बल्कि आला दर्जे वाला, व्यवस्थित और मैनेज्ड टूरिज्म चाहते हैं." ये कंपनी अन्य चीजों के अलावा टूरिस्ट ठिकानों के लिए सोशल मीडिया संबंधी गतिविधियों की योजना बनाती हैं.

श्ट्युनब्योक कहती हैं कि तस्वीरों में बहुत बड़ी ताकत होती है. आप न सिर्फ किसी चीज का वर्णन कर सकते हैं बल्कि आप उसे दिखा भी सकते हैं. वह कहती हैं कि ये चीज अक्सर बढ़िया काम करती है, खासकर इंस्टाग्राम में क्योंकि उसका डिजाइन तस्वीरों को शेयर करने के लिए ही बना है. टिकटॉक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, टूरिस्ट ठिकानों और कंपनियों को टार्गेट करने वाले मार्केटिंग विकल्पों में काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी कर चुके हैं. किशोर, युवा सैलानियों जैसे विशेष टार्गेट समूहों तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों की मदद से बेहतर पहुंच हासिल की जा सकती है.

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श्टुबेनब्योक ये नहीं मानतीं कि लोग नादानी में इंस्टाग्राम की कुछ ज्यादा ही चमचमाती और रोमांचकारी तस्वीरों के झांसे में आकर ये नहीं मान बैठते कि उनका वैकेशन भी उतना ही पिक्चर-परफेक्ट होगा. वह कहती हैं कि वास्तव में, मौजूदा रुझान एक अलग ही दिशा में जा रहा है और "इंस्टाग्राम में जो भी चीज आप देखते हैं उन पर आंख मूंदकर यकीन न करने की संवेदनशीलता बढ़ रही है."

लेकिन इन दिनों मयोर्का में ऐसी कोई बात तो नहीं नजर आती. कालो देस मोरो तट इन गर्मियों में एक बार फिर टूरिस्टों से ठसाठस होगा. जिस किसी को वहां एक परफेक्ट इंस्टाग्राम पिक्चर मिलने की उम्मीद होगी, उसे निराशा हाथ लग सकती है.