बीजिंग: दुनियाभर में मच्छरों की हजारों प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन उनमें से मात्र 100 प्रजातियां ही इंसानों का खून पीती है और बाकी प्रकृति पर निर्भर होती हैं. वैसे तो मच्छर का काटना हर इंसान के लिए आम बात सी है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा था कि दुनिया में सबसे बड़ा मच्छर कौन सा है और वों कहा पाया जाता है. आपको यह जानकर हैरानी होगी की एक मच्छर ऐसा भी है जिसका पंख 11 सेंटीमीटर से भी बड़ा होता है.
चीन के कीट विज्ञान से जुड़े वैज्ञानिकों को सिचुआन प्रांत में 11.15 सेंटीमीटर पंखों वाला विशालकाय मच्छर मिला था. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, इंसेक्ट म्यूजियम ऑफ वेस्ट चाइना के संरक्षक झाओ ली ने बताया कि मच्छर होलोरुसिया मिकादो प्रजाति से संबंध रखता है. यह अगस्त में चेंग्दू के माउंट किंगचेंग की यात्रा के दौरान मिला था.
पहली बार जापान में पाई गई होलोरुसिया मिकादो प्रजाति का नाम ब्रिटिश कीट विज्ञानी जॉन ओब्दैयाह वेस्टवुड ने 1876 में दिया था, जिसके सामन्यता आठ सेंटीमीटर के पंख होते हैं.
झाओ ने कहा, "ये मच्छर देखने में भयावह लगते हैं, लेकिन ये खून नहीं पीते हैं. इनके वयस्कों का जीवनचक्र बहुत छोटा होता है और ये कुछ दिन ही जीवित रहते हैं. ये फूलों के रस पीते हैं."
गौरतलब है कि चीन ने खतरनाक मच्छरों से बचने के लिए हाल ही में एक ऐसा रडार बनाया है, जो किसी भी इलाके में 2 किलोमीटर दूर से ही मच्छरों को खोजकर मार देता है. चीनी सरकार के अनुंसधान विभाग ने यह बेमिसाल का मच्छर मारने का रेडार बहुत ही अलग तरीके से बनाया है.
मलेरिया से होने वाली मौतों के मामले में भारत का विश्व में चौथा स्थान है. छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और उड़ीसा राज्यों में मलेरिया के अधिक मामलों की सूचना मिली है. भारत ने 2027 तक मलेरिया मुक्त होने और 2030 तक इस बीमारी को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. मलेरिया के मामलों का पता लगाने और एक बड़ा जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है.