World Yoga Day 2022: सर्दी, जुकाम, खांसी एवं कफ की समस्या से तत्काल राहत पाने के लिए अचूक साबित हो सकते हैं ये 3 आसन!

कपालभाति एवं अनुलोम-विलोम तो कफ के लिए संजीवनी साबित होते ही हैं, लेकिन मत्स्यासन भी कारगर आसन है.

Yoga (Photo Credits: File Photo)

World Yoga Day 2022: सर्दी-जुकाम,खांसी तथा कफ एक आम समस्या है. यह कभी भी किसी को भी हो सकती है, लेकिन मौसम परिवर्तन के समय तो लगभग हर 10 में 2 व्यक्ति इनसे पीड़ित होते ही हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनके साथ ये बीमारियां लगभग चिपक-सी जाती हैं. बाबा रामदेव के अनुसार इनसे जड़ से मुक्ति पाने के लिए एकमात्र सहारा योग है. विशेष रूप से कपालभाति एवं अनुलोम-विलोम तो कफ के लिए संजीवनी साबित होते ही हैं, लेकिन मत्स्यासन भी कारगर आसन है. रामदेव का मानना है कि जिसके शरीर में कफ ने सालों से जड़ जमा लिया है, सारे इलाज नाकाफी साबित हो चुके हैं, उसे आधे घंटे ये आसन करना चाहिए. बाकी के लिए 15 मिनट काफी है.

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कपालभाति (Kapalbhati)

कपालभाति करने के लिए पालथी मारकर बैठ जाएं. अब रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए हाथों को घुटनों पर ओम की मुद्रा में रखें. नेत्र बंद रखें और गहरी सांस लें. पेट की मांसपेशियों को भीतर की ओर सिकोड़ते हुए सांस छोड़ें. यह प्रक्रिया आहिस्ता-आहिस्ता करें. सांस छोड़ते समय ज्यादा प्रेशर न डालें. इस प्रक्रिया को 3 से 5 बार करें. फिर थोड़ी देर रेस्ट करें. कपालभाति हमारे सांस की नली में जमा सारे कफ सांस के साथ बाहर निकालता है. सांस की नली एवं गले के सारे अवरुद्ध रास्ते खुल जाते हैं. वर्षों पुराना कफ जड़ से मिट जाता है. लेकिन उच्च रक्तचाप, अल्सर आदि के मरीजों को यह आसन करने से बचना चाहिए.

अनुलोम विलोम (Anulom Vilom)

जमीन पर बिछे आसन पर पद्मासन अथवा सुखासन मुद्रा में बैठें. रीढ़ और गर्दन को सीधा रखें, आंखे बंद करें. कलाइयों को बाहर घुटनों पर टिकाएं. दाहिने हाथ से मध्यमा और तर्जनी को हथेली की ओर मोड़ें. अंगूठे को दाहिने नथुने पर और अनामिका को बाएं नथुने पर रखें. अब दाहिने नथुने को अंगूठे से बंद कर बाएं नथुने से गहराई के साथ फेफड़े में सांस भरने तक खींचे. सांस की गति पर संयम रखें. अब अंगूठा छोड़कर अनामिका से बाएं नथुने को बंद करें. दाहिने नथुने से सांस को धीरे-धीरे छोड़ें. अब यही क्रिया इसके विपरीत करें. देखा जाये तो अनुलोम-विलोम की उत्पत्ति ही सर्दी-जुकाम एवं खांसी आदि के लिए हुई है. क्योंकि इस आसन को करने से फेफड़े मजबूत होते हैं. सर्दी, जुकाम अथवा दमा की जोखिम कम करता है. जिसे ये बीमारियां हैं, उसे जड़ से दूर करता है. इससे तनाव कम होता है.

मत्स्यासन (Matsyasana)

मैट पर बैठें. अब फिर रीढ़ की हड्डी को सीधा करते हुए पालथी मारें. धीरे-धीरे सिर धड़ और रीढ़ को पीछे की तरफ झुकाएं. यह क्रिया शरीर के जमीन से स्पर्श होने तक आहिस्ता-आहिस्ता करें. शरीर का पूरा वजन कोहनियों पर रहे, न कि सिर पर. जल्दबाजी से नुकसान हो सकता है. अब कम से कम एक मिनट तक इसी अवस्था में रहें. फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं. यह आसन सांस लेने के सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करता है. सांस की समस्याएं दूर होती हैं, और कफ साफ होता है.

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