World Cancer Day 2021: क्या कैंसर साध्य है? भारत में 5 कॉमन कैंसर कौन से हैं?

कैंसर' आज सबसे भयावह शब्द बन चुका है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ही नहीं दुनिया भर में कैंसरग्रस्तों की संख्या में व्यापक वृद्धि हुई है. अधिकांश लोगों की धारणा है कि कैंसर का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कैंसर विशेषज्ञों की मानें तो कैंसर का इलाज संभव है.

प्रतिकत्मका तस्वीर ( photo credti : pixabay )
'कैंसर' (Cancer) आज सबसे भयावह शब्द बन चुका है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ही नहीं दुनिया भर में कैंसरग्रस्तों की संख्या में व्यापक वृद्धि हुई है. अधिकांश लोगों की धारणा है कि कैंसर का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कैंसर विशेषज्ञों की मानें तो कैंसर का इलाज संभव है. गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) के कैंसर सर्जन डॉ के.के. हांडा के अनुसार अगर आप अपनी सेहत के प्रति सजग रहते हैं और शरीर की किसी भी छोटी-मोटी समस्याओं को नजरंदाज न कर चिकित्सक से संपर्क साधते हैं तो आप कैंसर को हरा सकते हैं. 1993 में जब प्रतिवर्ष कैंसर से मरने वालों की संख्या 70 लाख से ज्यादा होने लगी, तब कैंसर पर नियंत्रण और उपचारार्थ जनता को जागृत करने हेतु यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल नामक संस्थान की स्थापना हुुई. इस संस्थान ने पहली बार 4 फरवरी 1993 को जिनेवा में 'विश्व कैंसर दिवस' का आयोजन किया. इसके बाद से हर वर्ष इसी दिन 'विश्व कैंसर दिवस' मनाया जा रहा है.
कैंसर के विभिन्न स्वरूप कई कारणों से मनुष्य को गिरफ्त में लेते हैं, लेकिन दुनिया में सबसे ज्यादा कैंसर तंबाकू की वजह से होती है. आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में तंबाकू से उत्पन्न कैंसर से मरनेवालों की संख्या करीब 63 प्रतिशत है. भारत में भी कैंसर की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है. वर्तमान में भारत में 5 किस्म के कैंसर मसलन ब्रेस्ट कैंसर, ओरल कैंसर, लंग्स कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और पेट का कैंसर. ज्यादा प्रचलित हैं.  यह भी पढ़े: Corona Vaccination: डॉक्टरों ने कहा, कैंसर के मरीज भी ले सकते हैं कोविड-19 वैक्सीन
ब्रेस्ट कैंसर? (Breast cancer) 

भारत में सर्वाधिक स्तन कैंसर (अनुमानित 1,62,000) के मामले सामने आये हैं. स्तन कैंसर के तहत स्तन में किसी तरह की गांठ, त्वचा में परिवर्तन, निप्पल के आकार में बदलाव, स्तनों का सख्त होना, निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना या स्तन में दर्द महसूस होने जैसी शिकायतें ब्रेस्ट कैंसर को जन्म दे सकती हैं. अमूमन ब्रेस्ट कैंसर धूम्रपान, अल्कोहल का सेवन, पहले गर्भ धारण में देरी करने, बच्चों को स्तनपान नहीं करवाने, जरूरत से ज्यादा गर्भनिरोधक दवाइयों के सेवन करने या  आनुवंशिक कारणों से हो सकते हैं. कैंसर विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते स्तन कैंसर का इलाज किया जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है. लेकिन यह तभी संभव होगा, जब उपरोक्त किसी भी समस्या का अहसास होते ही संबंधित चिकित्सक परामर्श लिया जाये.
ओरल कैंसर (Oral cancer) 
ओरल कैंसर में सबसे ज्यादा मुंह प्रभावित होता है. इससे होंठ, जुबान, गाल, मुंह के तालु, मसूड़ों और मुंह के ऊपरी हिस्से में भी यह कैंसर हो सकता है. ओरल कैंसरे के मुख्य कारणों में हैं, तंबाकू, अल्कोहल, केमिकल डस्ट, विटामिन बी व डी की कमी, असंतुलित खानपान तथा ह्यूमन पेपीलोमा वायरस का संक्रमण इत्यादि. मुंह के कैंसर का जल्दी पता नही चलता. जो व्यक्ति धूम्रपान करते हैं, गुटखा खाते है, या अधिक शराब पीते है उनमें ओरल कैंसर की आशंका  ज्यादा होती है. भारत में ओरल कैंसर के मरीज सबसे अधिक हैं. इसके लक्षण हैं, निरंतर खांसी, कान में दर्द, गले में दर्द और खराश, मुंह, गाल व जीभ में घाव का ठीक नहीं होना, खाना निगलने में तकलीफ होना, गले में जकड़न, मुंह में तीन सप्ताह से ज्यादा तक घाव का बने रहना, आवाज में भारीपन. ऐसे किसी भी लक्षण के दिखते ही ENTविशेषज्ञ से मिलकर उचित इलाज करवाना चाहिए.
फेफड़े का कैंसर (Lung Cancer)
विश्व स्तर पर कैंसर से होनेवाली मौतों में एक है फेफड़ों का कैंसर. फेफड़ों का कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाया जाता है. 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में फेफड़े का कैंसर कम देखने को मिलता है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ इसकी संभावनाएं बढ़ती जाती है. फेफड़ों के कैंसर के सभी मामलों में 90 फीसदी वजह धूम्रपान होती है, लेकिन डॉ केके हांडा के अनुसार उनके पास ऐसे भी केस आते हैं, जिन्होंने जिंदगी में कभी भी धूम्रपान नहीं किया होता है, और कैंसर के शिकार हो गये. फेफड़े का कैंसर तम्बाकू या धूम्रपान के अलावा आर्सेनिक, यूरेनियम, एस्बेस्टस, या रेडॉन जैसी भारी धातुओं के संपर्क से भी हो सकता है. इसके अलावा प्रदूषण के कारण 45 से 55 वर्ष की आयु के बीच की भारतीय महिलाओं में फेफड़े का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है.
सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer)

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष करीब 74 हज़ार महिलाओं की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. इसका एकमात्र कारण है महिलाओं का सर्वाइकल कैंसर की जांच ना करवाना. सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो गर्भाशय में सेल्स की अनियमित परत के कारण होती है. सर्वाइकल कैंसर को गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर भी कहते हैं. इसके होने का खतरा तब अधिक हो जाता है जब कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा के स्तर में असामान्य तरीके से बढ़ जाती हैं. यह गर्भाशय के निचले स्तर को प्रभावित करता है. सर्वाइकल कैंसर कई कारणों से हो सकता है, मसलन कम उम्र में सेक्स करने, अत्यधिक दवाइयों के सेवन करने, धूम्रपान अथवा शराब पीने, कम उम्र में बच्चे को जन्म देने, बहुत ज्यादा गर्भ निरोधक दवाइयों के सेवन करने आदि से भी सर्वाइकल कैंसर हो सकता है. सर्वाइकल कैंसर के प्रमुख लक्षणों में रक्त स्त्राव, सेक्स करने में परेशानी, जरूरत से ज्यादा पेशाब होना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना, गुप्तांग से गंध आना इत्यादि है.
पेट  का कैंसर (Stomach cancer)
पेट के कैंसर के तहत पेट के किसी भी हिस्से में असामान्य रूप से कोशिकाओं का निर्माण होने लगता है. समय रहते पेट के कैंसर का पता चल जाये तो इसका इलाज संभव है. डा. हांडा बताते हैं, गैस्ट्रिक कैंसर में पेट के भीतरी हिस्से की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है. इस बीमारी के लगभग सभी मामलों में से 90-95% केस एडेनोकार्सिनोमा रूप में उत्पन्न होता है. महिलाओं की तुलना में पुरुषों को पेट का कैंसर ज्यादा होता है. इस कैंसर के होने का खतरा तब बढ़ता है, जब व्यक्ति को पाचन तंत्र के अंदर सामान्य स्वस्थ कोशिकाएं कैंसरयुक्त हो जाती है. ये कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं, जो ट्यूमर का निर्माण करती हैं, फिर पूरे शरीर में फैलती हैं. इसके प्रमुख लक्षणों में भोजन के दौरान पेट भरा सा लगना, पसलियों, छाती और पेट में दर्द, निगलने में कठिनाई, डकार, सीने में जलन, पेट फूला सा लगना और अपच की परेशानी होना, जो इलाज के बावजूद ठीक ना हो. ऐसी स्थिति में तत्काल पेट रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए.

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