भारत में हर साल 'कैंडिडा ऑरिस' फंगस से मर रहे हैं लोग, इंसान के मरने के बाद भी रहता है जिंदा
कैंडिडा ऑरिस नाम की फंगस की बीमारी लोगों में चिंता का विषय बनी है. ये फंगस जानलेवा है, इससे हजारों लोगों की मौत हो जाती है. इस बीमारी पर कोई भी एंटीफंगल दवाइयां काम नहीं कर रही हैं. सबसे डरावनी बात ये है कि इस बीमारी में व्यक्ति की मौत के बाद भी ये फंगस जिंदा रहता है...
कैंडिडा ऑरिस (Candida Auris) नाम की फंगस (Fungas)की बीमारी लोगों में चिंता का विषय बनी है. ये फंगस जानलेवा है, इससे हजारों लोगों की मौत हो जाती है. इस बीमारी पर कोई भी एंटीफंगल दवाइयां काम नहीं कर रही हैं. सबसे डरावनी बात ये है कि इस बीमारी में व्यक्ति की मौत के बाद भी ये फंगस जिंदा रहता है और उसके आसपास की हर जगह पर मौजूद रहता है. बड़े बड़े वैज्ञानिक इस बीमारी का इलाज ढूंढ रहे हैं, लेकिन अब तक इस पर कामयाबी हासिल नहीं कर पाए हैं. कैंडिडा ऑरिस फंगस बीमारी के केस भारत में साल 2011 से सामने आ रहे हैं. एम्स के डॉक्टर्स के अनुसार एक स्टडी में 2012- 2017 के बीच अस्पताल में भर्ती हुए 10 में से 2 मरीज कैंडिडा ऑरिस से ग्रसित थे. ये वायरस अस्पताल में पाया जाता है और ये उन लोगों के शरीर में घर कर लेता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है.
कैंडिडा ऑरिस फंगस की बीमारी से ग्रसित लोगों की 30 दिन के अंदर मौत हो जाती है. रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से 2012 के बीच भर्ती मरीजों में से 6.51 प्रतिशत कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित थे. इसके इन्फेक्शन को सिर्फ 27.5% मामलों में ही ठीक किया जा सका जबकि 45% मरीजों को बचाया नहीं जा सका. फंगस इन्फेक्शन दो प्रकार के होते हैं, ऐल्बिकैंस (albicans) और नॉन-ऐल्बिकैंस (non-albicans). ऐल्बिकैंस पर एंटीफंगल दवाइयों का असर होता है. नॉन-ऐल्बिकैंस में कैंडिडा ऑरिस फंगस आता है. जिसमें किसी भी प्रकार की एंटीफंगल दवाइयां काम नहीं करती है. इसलिए इस बीमारी से ग्रसित ज्यादतर मरीजों की मौत हो जाती है.
यह भी पढ़ें: जानें जानलेवा रूबेला वायरस का कारण और उससे बचने के तरीके
साल 2017 में द इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने सभी अस्पतालों को अडवाइजरी जारी कर कैंडिडा ऑरिस फंगस बीमारी से पीड़ित लोगों को अलग कमरे में रखने और एंटीबायॉटिक्स, एंटीफंगल दवाइयों का मिसयूज बंद करने की सलाह दी.