बांग्लादेश में हिंदू नेता की गिरफ्तारी के बाद क्या-क्या हुआ?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज होने के बाद एक वकील की हत्या होने का मामला सामने आया है. पुलिस इसकी जांच कर रही है. वहीं, एक याचिका दायर कर बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है.बांग्लादेश के प्रमुख हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका मंगलवार को खारिज हो गई. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने उन्हें आगे की कार्रवाई पूरी होने तक हिरासत में रखने का आदेश दिया. इसके बाद जब पुलिस उन्हें जेल ले जाने लगी, तभी सैंकड़ों समर्थकों ने उनकी वैन को घेर लिया. पुलिस और उनके समर्थकों के बीच टकराव हुआ. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, हिंसा बढ़ने के बाद वकील सैफुल इस्लाम अलिफ कथित तौर पर अदालत से बाहर निकल रहे थे. तभी गलियारे में उनकी हत्या कर दी गई. हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि हत्या किसने की है. चिन्मय दास से जुड़े हिंदू समूह ने हत्या के आरोपों से इनकार किया है और जांच की मांग की है.

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पुलिस ने इस हत्या के सिलसिले में छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. वीडियो फुटेज के जरिए इनकी पहचान की गई. पुलिस ने तोड़-फोड़ और पुलिसकर्मियों पर हमले के आरोप में 21 दूसरे लोगों को भी गिरफ्तार किया है. वहीं, साथी वकील की हत्या के विरोध में दक्षिण-पूर्वी बांग्लादेश में वकीलों ने बुधवार को अदालतों का बहिष्कार किया. चटगांव जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नाजिम चौधरी ने कहा है कि वकील गुरुवार को भी अदालतों का बहिष्कार करेंगे.

भारत-बांग्लादेश के बीच तनातनी

चिन्मय कृष्ण दास इस्कॉन से जुड़े हुए हैं और हिंदू समूह ‘बांग्लादेश सम्मिलितो सनातन जागरण जोत' के प्रवक्ता भी हैं. उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की मांग करते हुए कई बड़ी रैलियां निकाली थीं. अक्टूबर में चटगांव में एक बड़ी रैली का नेतृत्व करने के बाद उन पर राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने उस रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया था. उन्हें 25 नवंबर को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था.

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत चिंतित

भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी किया और उनकी गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की. बयान में कहा गया, "बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए कई हमलों के बाद यह घटना हुई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी खुले घूम रहे हैं, वहीं शांतिपूर्ण सभाओं के जरिए वाजिब मांग उठाने वाले धार्मिक नेता पर आरोप लगाए जा रहे हैं.”

इसके जवाब में बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी किया और इस मुद्दे को अपना आंतरिक मामला बताया. बयान में कहा गया, "बांग्लादेश सरकार ने पाया है कि श्री चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को कुछ तबकों ने गलत तरीके से पेश किया है. इस तरह के बेबुनियाद बयान ना केवल तथ्यों को गलत तरीके से पेश करते हैं, बल्कि दो पड़ोसी देशों के बीच मित्रता और आपसी समझ की भावना के भी विपरीत हैं.”

बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध के लिए याचिका

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश के हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की गई है. एक वकील ने बुधवार को यह याचिका दायर की. सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने इस्कॉन के बारे में पूछा तो अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने कहा कि यह एक कट्टरवादी धार्मिक संगठन है और सरकार पहले से ही इनकी जांच कर रही है.

अटॉर्नी जनरल ने यह भी कहा कि कुछ लोग देश को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं और सरकार ने हालिया मुद्दों पर राजनीतिक दलों के साथ चर्चा की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वहीं, हाईकोर्ट ने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता है कि देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब ना हो. अदालत ने सरकार को आदेश दिया है कि वह इस्कॉन पर की गई कार्रवाई और उससे संबंधित हालिया मुद्दों पर कल तक अपनी रिपोर्ट सौंपे.