भारत में हर 6वां व्यक्ति है डिप्रेशन का शिकार, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में सबसे ज्यादा भारतीय अवसादग्रस्त यानी डिप्रेशन के शिकार हैं. इस रिपोर्ट केे मुताबिक, भारत में हर छठा व्यक्ति गंभीर मानसिक विकार से ग्रस्त है.
आज के इस दौर में हर व्यक्ति रुपया कमाने की दौड़ में लगा हुआ है, फिर चाहे उसे दिन रात बिना आराम किए काम ही क्यों न करना पड़े. लोग अपनी नींद और सेहत को दाव पर लगाकर घंटों तक लगातार काम करते हैं, जिसका मानसिक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जी हां, भारत में डिप्रेशन, एंजायटी और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी कई मानसिक बीमारियां तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में सबसे ज्यादा भारतीय अवसादग्रस्त यानी डिप्रेशन के शिकार हैं. इस रिपोर्ट केे मुताबिक, भारत में हर छठा व्यक्ति गंभीर मानसिक विकार से ग्रस्त है.
हालांकि मानसिक रोगों के कई कारण हो सकते हैं. जैसे- बच्चों पर अच्छे नंबर लाने का दबाव, युवाओं पर अच्छी नौकरी और परिवार को संभालने की चुनौती और महिलाओं पर घर व ऑफिस की जिम्मेदारियों का बोझ.
भारत में बढ़ रही है मानसिक रोगियों की संख्या
साल 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 100,000 लोगों पर सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक, मनोविश्लेषक या चिकित्सक उपलब्ध है. हमारे देश में सिर्फ 3500 मनोवैज्ञानिक, 4000 मनोचिकित्सक और 3500 मानसिक स्वास्थ्य सामाजिक कार्यकर्ता हैं. भारत में करीब 80 प्रतिशत लोग मानसिक विकार से जूझ रहे हैं, लेकिन वे इससे निपटने के लिए किसी भी तरह का ट्रीटमेंट नहीं लेते. देश में करीब 10.9 लोग प्रति एक लाख पर डिप्रेशन के चलते ही आत्महत्या करते हैं. डिप्रेशन के कारण सुसाइड करने वालों में 40 साल से कम की उम्र के लोग होते हैं. यह भी पढ़ें: इन पांच चीजों को खाने हो से कमसकता है डिप्रेशन
क्या है डिप्रेशन यानी अवसाद?
जब हम किसी चीज को लेकर बहुत ज्यादा निराश हो जाते हैं या किसी एक चीज को लेकर बार-बार हम पर दबाव बनाया जाता है तो ऐसे में व्यक्ति अंदर से पूरी तरह टूट जाता है और खुद को दुनिया से अलग कर लेता है. यह ऐसी अवस्था होती है जब व्यक्ति चाहकर भी किसी से खुलकर बात नहीं कर पाता. अगर डिप्रेशन के लक्षणों को समय रहते पहचानकर इसका इलाज कराया जाए तो मरीज फिर से सामान्य हो सकता है, अन्यथा स्थिति और गंभीर हो सकती है. कई बार तो अवसादग्रस्त व्यक्ति सुसाइड कर लेता है या फिर मानसिक रोगी हो जाता है.
डिप्रेशन के सामान्य लक्षण
- हर दम चुप-चुप और उदास रहना.
- शारीरिक और मानसिक थकान महसूस होना.
- बार-बार मूड में परिवर्तन होना.
- अक्सर सिर में हल्का-सा दर्द रहना.
- दुनिया से दूर अकेले रहना.
- किसी से बात करने का मन न करना.
- बातों को भूलना या चीज़ों का याद रखने में परेशानी.
- घबराहट और बेचैनी होना.
- दिनभर आलस्य महसूस होना.
- अधिक खाना या कभी-कभी भूख ही नहीं लगना.
- ध्यान भटकना, जिससे काम में मन न लगना.
- निराश और हताश रहना.
- सुसाइड जैसे ख्याल मन में आना.
- नशे का आदी हो जाना. यह भी पढ़ें: World Mental Health Day: मानसिक तौर पर रहना है फिट तो अभी से अपना लीजिए ये आदतें
ऐसे करें डिप्रेशन से अपना बचाव
- अपने काम के तनाव को दोस्तों और पारिवारिक रिश्ते पर हावी न होने दें.
- वॉक, एक्सरसाइज, योगा, ध्यान, स्विमिंग और साइकिलिंग जैसी अपनी पंसंदीदा एक्टिविटीज के लिए वक्त निकालें.
- किताब पढ़ना, पेंटिंग, गार्डनिंग जैसी अपनी पसंदीदा हॉबीज के लिए वक्त जरूर निकालें.
- शराब और स्मोकिंग जैसी चीजों से दूरी बनाएं.
- चीजों को याद रखने के लिए कुछ अहम कामों के नोट्स बना लें, इससे चीजों को याद रखने में आसानी होगी.
- मन में हमेशा अच्छी बातें सोचें और निराशा की भावना को जागने न दें. इसके अलावा किसी काम को करने से घबराएं नहीं.
- डिप्रेशन से लड़ने के लिए खुद से प्यार करना सीखें. आप जैसे हैं बेस्ट हैं इसलिए किसी के साथ अपनी तुलना न करें.
- नकारात्मक सोच से दूर रहने के लिए लोगों से मेल-जोल बढ़ाएं, कहीं घूमने जाएं और परिवार के साथ वक्त बिताएं.
- अपने लाइफस्टाइल में सकारात्मक बदलाव लाएं और खानपान पर विशेष ध्यान दें.