COVID-19 Vaccine Update: फार्मा कंपनी Moderna की कोरोना वायरस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का बंदरों पर दिखा अच्छा परिणाम

फार्मा कंपनी मॉडर्ना की कोविड-19 वैक्सीन ने क्लीनिकल ट्रायल के दौरान बंदरों पर अच्छे परिणाम दिखाए हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेशियस डिजीज के अनुसार, परीक्षण के दौरान प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को मजबूत करनेके लिए कोरोना वायरस वैक्सीन mRNA-1273 के दो डोज बंदरों को दिए गए, जिसमें परिणाम बेहतर आए हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: IANS)

COVID-19 Vaccine Update: फार्मा कंपनी मॉडर्ना (Pharma Company Moderna) की कोविड-19 वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) ने क्लीनिकल ट्रायल के दौरान बंदरों (Monkeys) पर अच्छे परिणाम दिखाए हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेशियस डिजीज (National Institute of Allergy and Infectious Diseases (NIAID) के अनुसार, परीक्षण के दौरान प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को मजबूत करने के लिए कोरोना वायरस वैक्सीन mRNA-1273 के दो डोज बंदरों को दिए गए. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में 8 बंदरों के तीन समूहों को mRNA-1273 या प्लेसबो के 10 या 100 माइक्रोग्राम के दो इंजेक्शन मिले. करीब 28 दिन तक बंदरों पर अध्ययन किया गया. इस दौरान बंदरों ने SARS-CoV-2 द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सतह स्पाइक प्रोटीन पर एंटीबॉडी के उच्च स्तर का उत्पादन किया, ताकि कोशिकाओं को संलग्न किया जा सके.

विशेष रूप से शोधकर्ताओं ने लिखा है कि कोविड-19 से ठीक हुए लोगों में जिस तरह के एंटीबॉडी पाए जाते हैं, उसी तरह के एंटीबॉडी का उत्पादन 10 माइक्रोग्राम या 100 माइक्रोग्राम का डोज लेने वाले उम्मीदवारों में भी हुआ. इस एक्सपेरिमेंटल वैक्सीन में Th1 T-cell प्रतिक्रियाएं मौजूद हैं, लेकिन Th2 प्रतिक्रियाएं नहीं. अध्ययन के अनुसार, Th2 रिस्पॉन्स का समावेश सांस संबंधी बीमारी के वैक्सीन से संबंधित है, जबकि वैक्सीन से प्रेरित Th1 रिस्पॉन्स अन्य श्वसन रोगों के वैक्सीन से संबंधित नहीं है. यह भी पढ़ें: Coronavirus Vaccine Update: आने वाले समय में बार-बार लेनी पड़ सकती है कोरोना वायरस की वैक्सीन, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग सहित सभी दिशा-निर्देशों का रखें ध्यान

दूसरे इंजेक्शन के चार सप्ताह बाद सभी बंदरों ने नाक और फेफड़ों के जरिए SARS-CoV-2 के बारे में प्रतिक्रिया दी. उल्लेखनीय है कि दोनों टीकाकरण समूहों के बंदरों में से 8 में से 7 के फेफड़ों में किसी प्रतिकृति वायरस को डिटेक्ट नहीं किया जा सका, जबकि सभी आठ प्लेसबो-इंजेक्शन वाले जानवरों को फेफड़ों में वायरस की प्रतिकृति बनना जारी था.

शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा पहला बार हुआ है जब नॉन ह्युमन प्राइमेट ने एक प्रयोगात्मक कोविड-19 वैक्सीन का अच्छा परिणाम दिया है. यह कोविड-19 वैक्सीन फेफड़ों में वायरस प्रतिकृति को कम करके व्यक्ति में रोग को सीमित करने में मददगार है. इस वैक्सीन द्वारा SARS-CoV-2 के संचरण को संभावित रूप से कम करने की उम्मीद जताई जा रही है और यह रोग के प्रसार को कम करने में भी सहायक हो सकता है. इस बीच फार्मा कंपनी मॉडर्ना ने कोविड-19 वायरस से बचाव के लिए डिजाइन किए गए mRNA-1273 वैक्सीन का फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल भी शुरू कर दिया है.

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